यूपी चुनाव: धनुष-बाण और गदाधारी प्रत्याशी पहुंचे कलेक्ट्रेट ऑफिस, रोते हुए निकले बाहर
राजेश्वर दयाल शुक्ला करछना से शिवसेना प्रत्याशी के तौर पर धनुष-बाण लेकर पहुंचे थे, जबकि करछना से गदाधारी प्रत्याशी। इन प्रत्याशियों का उत्साह बढ़ाने के लिये भाजपा कार्यकर्ता भी जयघोष करते नजर आये।
इलाहाबाद। पहला दृश्य हाथ में धनुष-बाण और प्रत्यंचा खींचे हुए राजर्षि ठाठ-बाट और वस्त्र, सिर पर सुशोभित स्वर्णमय मुकुट साथ में सैकड़ों समर्थक और जयघोष। दूसरा दृश्य दोनों हाथ में गदा धारण किये हुए विकराल रूप व गर्जना, पीताम्बर वस्त्र और समर्थकों का जयघोष। ये दोनों दृश्य थे इलाहाबाद कलेक्ट्रेट ऑफिस के बाहर के जहां जोश और उत्साह से लबरेज कुछ प्रत्याशी अपनी विशिष्ट वेशभूषा धारण कर पहुंचे। लेकिन कुछ देर बाद जब नामांकन पत्रों की जांच में निर्दल प्रत्याशियों के नामांकन खारिज होने लगे तो माहौल ही बदल गया। लोगों का उत्साह काफूर हो गया। कई प्रत्याशी रोते हुये कलेक्ट्रेट ऑफिस से बाहर निकले। राजेश्वर दयाल शुक्ला करछना से शिवसेना प्रत्याशी के तौर पर धनुष-बाण लेकर पहुंचे थे, जबकि करछना से गदाधारी प्रत्याशी। इन प्रत्याशियों का उत्साह बढ़ाने के लिये भाजपा कार्यकर्ता भी जयघोष करते नजर आये।
जब
बिलख
पड़ा
प्रतापपुर
का
प्रत्याशी
प्रतापपुर
विधानसभा
सीट
से
एक
प्रत्याशी
ने
अपना
नामांकन
दाखिल
किया
था।
जांच
के
दौरान
कमी
मिलने
पर
उसका
पर्चा
खारिज
कर
दिया
गया।
वहीं,
प्रत्याशी
कलेक्ट्रेट
ऑाफिस
में
ही
बिलख
पड़ा-अरे
बाप
रे,
यह
क्या
हो
गया।
अब
हम
क्या
करें।
कुछ
करो
वकील
साहब,
कुछ
करो।
हमारा
तो
सबकुछ
बर्बाद
हो
जाएगा।
बड़ी
मेहनत
की
थी
हमने,
चुनाव
बिल्कुल
निकला
हुआ
था,
लेकिन
आपने
तो
हमें
कहीं
का
नहीं
छोड़ा।
अब
हम
क्या
मुंह
दिखाएंगे
लोगों
को।
कलेक्ट्रेट
परिसर
में
यह
और
ऐसे
ही
नजारे
देखने
के
लिए
तमाशबीन
जुटे
रहें।
निर्दलीय
ही
बने
शिकार
वहीं,
नामांकन
खारिज
होने
का
सबसे
अधिक
कष्ट
निर्दलीय
प्रत्याशियों
को
ही
उठाना
पड़ा।
किसी
बड़े
दल
के
प्रत्याशी
का
पर्चा
अवैध
नहीं
पाया
गया।
जबकि
53
अवैध
घोषित
हुये
नामांकन
में
अधिकांश
निर्दलीय
दावेदार
ही
थे।
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इलाहाबाद
के
धनकुबेर
भाजपा
प्रत्याशी,
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