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यूपी चुनाव: इन पांच सीटों पर सबसे अधिक मुस्लिम वोटर फिर भी जीती भाजपा, 2022 में क्या होगा ?

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लखनऊ, 31 जनवरी। क्या उत्तर प्रदेश की मुस्लिम बहुत सीटों पर भाजपा 2022 में भी कमाल कर पाएगी ? मुस्लिम बहुसंख्यक पांच प्रमुख सीटों पर एक नजर दौड़ाते हैं कि 2017 की तुलना में 2022 में यहां भाजपा की क्या स्थिति है। ये विधानसभा सीटें हैं देवबंद, मुरादाबाद शहर, कांठ, रुदौली और थाना भवन। इन विधानसभा क्षेत्रों में मुस्लिम वोटरों आबादी 50 फीसदी से अधिक है। लेकिन 2017 में यहां भाजपा को जीत मिली थी। ये जीत कैसे मिली थी ? इसके अलग अलग कारण हैं। लेकिन सबसे बड़ी बात ये है कि इन सीटों पर भाजपा जीती। वह भी तब जब भाजपा विरोधी राजनीति चरम पर है।

UP election 2022: BJP still won in these five seats after maximum number of Muslim voters

उत्तर प्रदेश में भाजपा के सबसे बड़े रणनीतिकार अमित शाह रहे हैं। भाजपा अध्यक्ष के रूप में 2017 में उन्होंने कमाल का चुनाव प्रबंधन किया था। भाजपा ने अपने चुनावी इतिहास की सबसे बड़ी जीत दर्ज की थी। अब वे गृहमंत्री हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश की राजनीति पर उनकी पकड़ पहले की तरह बनी हुई है। शनिवार को पश्चिमी उत्तर प्रदेश की मुस्लिम और जाट बहुत क्षेत्रों उन्होंने ने सघन दौरा किया। उन्होंने तीन जगह डोर टू डोर चुनाव प्रचार किया- मुजफ्फरनगर, देवबंद और सहारनपुर।

देवबंद विधानसभा सीट

देवबंद विधानसभा सीट

देवबंद, उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले का एक शहर है। यहां दारुल उलूम देवबंद है जो विश्व में इस्लामी शिक्षा का दूसरा सबसे बड़ा केन्द्र है। यहां पर माता त्रिपुर बाला सुंदरी का प्रसिद्ध मंदिर भी है। इस सीट पर दूसरे चरण के तहत 14 फरवरी को मतदान है। देवबंद में 71 फीसदी मुस्लिम और 27 फीसदी हिंदू आबादी है। मत विभाजन से बचने के लिए मुस्लिम समुदाय के लोग कांग्रेस, सपा या बसपा के हिंदू उम्मीदवार को ही अपना वोट देते रहे हैं। यहां मुस्लिम उम्मीदवार कम ही खड़ा होते हैं। 1952 से लेकर 2017 तक देवबंद में कुल 17 विधानसभा चुनाव हुए हैं जिसमें सिर्फ दो बार मुस्लिम उम्मीदवार विधायक बने हैं। 1977 में जनता पार्टी के मो. उस्मान और 2016 के उपचुनाव में कांग्रेस के माबिया अली। भाजपा ने यहां 1993, 1996 और 2017 में जीत हासिल की थी। 2017 में भाजपा के बृजेश सिंह ने बसपा के माजिद अली को करीब 30 हजार वोटों से हराया था। समाजवादी पार्टी के माबिया अली 55 हजार वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे। माबिया अली कांग्रेस के विधायक थे। लेकिन 2017 में वे साइकिल पर सवार हो गये। फिर भी हारे। लेकिन 2022 में असदुद्दीन ओवैसी ने यहां के समीकरण को बदल दिया है। औवैसी ने देवबंद में प्रभाव रखने वाले मदनी परिवार के उमैर मदनी को उम्मीदवार बनाया है। भाजपा के बृजेश सिंह, सपा के कार्तिकेय राणा, बसपा के राजेन्द्र सिंह और कांग्रेस के राहत खलील भी यहां से मैदान में हैं। शनिवार को जब अमित शाह देवबंद पहुंचे तो वहां लोगों की इतनी भीड़ उमड़ गयी कि कार्यक्रम को रद्द कर देना पड़ा। देवबंद में कई मुद्दे हैं लेकिन आखिर में चुनाव दलीय ध्रुवीकरण में सिमट जाता है। सपा, बसपा और कांग्रेस के अलग-अलग लड़ने का फायदा भाजपा को मिलता दिख रहा है।

मुरादाबाद शहर विधानसभा सीट

मुरादाबाद शहर विधानसभा सीट

मुरादाबाद शहर सीट भी मुस्लिम बहुल है। इस सीट पर 14 फरवरी को मतदान है। यहां 55 फीसदी मुस्लिम और 45 फीसदी हिंदू वोटर हैं। 2012 में इस सीट पर सपा के मो. युसूफ अंसारी जीते थे। लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में युसूफ 1 लाख 20 हजार वोट ला कर भी चुनाव हार गये। भाजपा के रीतेश कुमार गुप्ता ने युसूफ को करीब तीन हजार वोटों से हराया था। बसपा के आतिक अहमद को करीब 24 हजार वोट मिले थे। इस बार भी रीतेश कुमार गुप्ता का मुकाबला सपा के युसूफ अंसारी से है। बसपा के इरसाद हुसैन और कांग्रेस के रिजवान कुरैशी भी यहां से चुनाव लड़ रहे हैं। तीन मुस्लिम उम्मीदवारों के चुनाव लड़ने से भाजपा को फायदा मिलता दिख रहा है। 30 दिसम्बर को अमित शाह ने मुरादाबाद में एक रैली की थी। तब उन्होंने कहा था, यहां बुआ (मायावती), बबुआ (अखिलेश यादव) और बहन (प्रियंका गांधी) तीनों मिल जाएं फिर भी भाजपा के सामने उनकी दाल नहीं गल सकती।

कांठ विधानसभा सीट

कांठ विधानसभा सीट

कांठ सीट मुरादाबाद जिले में है। यहां दूसरे चरण के तहत 14 फरवरी को चुनाव है। पांच साल पहले कांठ के कुल 3 लाख 55 हजार वोटरों में मुस्लिम वोटरों का संख्या करीब 1 लाख 90 हजार थी। यहां मुस्लिम वोटरों का दबदबा है। इसके बाद जाट और दलित वोटरों का प्रभाव है। 2017 के चुनाव में भाजपा के राजेश कुमार चुन्नू ने सपा के अनीसुर रहमान को करीब ढाई हजार वोटों से हराया था। बसपा के मो. नासीर 43 हजार वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे। अनीसुर रहमान ने 2012 में पीस पार्टी के टिकट पर जीता था। वे 2017 में दल बदल कर सपा में आये लेकिन जीत नहीं पाये। पिछले चुनाव में भाजपा को यहां 21 साल बाद जीत मिली थी। 2022 में भाजपा को किसान आंदोलन की वजह से ज्यादा संघर्ष करना पड़ रहा है। कांठ गन्ने की खेती के लिए जाना जाता है। गन्ना किसानों का बकाया और स्टेट एडवाइडरी प्राइस (एसएपी) यहां के लिए बड़ा चुनावी मुद्दा है। इस बार भाजपा के राजेश कुमार चुन्नू का सपा के कमाल अख्तर से मुकाबला है। बसपा के अफाक खां और कांग्रेस के मो. इसरार मुकाबले को चौतरफा बनाने की कोशिश में हैं।

रुदौली विधानसभा सीट

रुदौली विधानसभा सीट

अयोध्या की रुदौली विधानसभा क्षेत्र में भी मुस्लिम मोटरों की संख्या निर्णायक है। इस सीट पर पांचवें चरण के तहत 27 फरवरी को वोटिंग है। सपा ने रविवार तक इस सीट पर प्रत्याशी तय नहीं किया था। यहां करीब 70 हजार मुस्लिम वोटर हैं। इसकी वजह से असदुद्दीन औवेसी भी यहां नजर गड़ाये हुए हैं। उनकी पार्टी से शेर अफगान यहां से चुनाव लड़ रहे हैं। 2017 में यहां से भाजपा के रामचंद्र यादव ने सपा के अब्बास अली जैदी को करीब 31 हजार वोटों से हराया था। अब्बास को 59 हजार 52 वोट मिले थे। 2012 में रामचंद्र यादव ने अब्बास को मात्र 941 वोटों से हराया था। दोनों ही बार बसपा के मुस्लिम प्रत्याशी के चुनाव लड़ने के कारण यहां भाजपा को जीत मिली थी। 2012 में बसपा को 34 हजार से अधिक वोट मिले थे। जब कि 2017 में बसपा को 47 हजार से अधिक वोट मिले थे। इस बार तो औवेसी की पार्टी भी यहां चुनाव लड़ रही है। मुस्लिम वोटों के बंटने और अयोध्या में राम मंदिर बनने के कारण भाजपा की राह आसान लग रही है।

थाना भवन विधानसभा सीट

थाना भवन विधानसभा सीट

थाना भवन सीट पश्चिमी उत्तर प्रदेश के शामली जिले में है। यहां पहले चरण में 10 फरवरी को चुनाव है। यह सीट भी मुस्लिम बहुल है। यह इलाका गन्ने की खेती के लिए प्रसिद्ध है। 2017 में भाजपा के सुरेश राणा ने बसपा के अब्दुल बारिस अली खान को करीब 24 हजार वोटों से हराया था। रालोद के जावेद राव 31 हजार वोटों के साथ तीसरे स्थान पर थे। 2012 में भी इस सीट पर भाजपा के सुरेश राणा ही जीते थे। लेकिन वे रालोद के अशरफ अली को महज 265 वोटों से ही हरा पाये थे। इस बार रालोद का सपा से गठबंधन है। 2022 में भाजपा के सुरेश राणा, रालोद के अशरफ अली, बसपा के जहीर मलिक और कांग्रेस के सत्य श्याम सैनी के बीच लड़ाई है। सुरेश राण योगी सरकार में मंत्री हैं। बसपा के जहीर मलिक सपा के बागी नेता हैं। उनके चुनाव लड़ने से रालोद के अशरफ अली के लिए मुश्किल हो गयी है।

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English summary
UP election 2022: BJP still won in these five seats after maximum number of Muslim voters
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