यूपी चुनाव: आखिर भाजपा के पाले में जाकर क्यों खेल रहे हैं सारे विपक्षी दल?
यूपी चुनाव: आखिर भाजपा के पाले में जाकर क्यों खेल रहे हैं सारे विपक्षी दल?
नई दिल्ली, 20 दिसंबर: विधानसभा चुनाव को लेकर इन दिनों उत्तर प्रदेश में काफी सरगर्मी देखने को मिल रही हैं। बीजेपी लगातार दूसरी बार सत्ता में लौटने की कोशिश में हैं तो सपा, बसपा और कांग्रेस ने भी अपनी ओर से जोर लगाए हुए हैं। एक तरफ विपक्षी दल महंगाई, बेरोजगारी और कानून व्यवस्था जैसे मुद्दे उठा रहे हैं तो हिन्दू और हिन्दुत्व की बात भी उनकी ओर से हो रही है। मायावती की सभाओं में जहां जय श्रीराम के नारे लग रहे हैं तो वहीं हाल के दिनों में राहुल गांधी भी हिन्दुत्व पर बात कर रहे हैं। जिससे लग रहा है कि विपक्षी भाजपा के पाले में जाकर खेलने की कोशिश कर रहे हैं।
राहुल कर रहे हिन्दू और हिन्दुत्व की बात
राहुल गांधी हाल ही में उत्तर प्रदेश के अमेठी पहुंचे थे। राहुल अमेठी से कई बार सांसद रहे हैं। राहुल ने यहां कहा कि हिंदुत्ववादी झूठ की राजनीति करता है। आज देश में एक ओर हिंदू खड़े हैं जबकि दूसरी ओर हिंदुत्ववादी। राहुल ने बीते कुछ दिनों में कई बार हिन्दू और हिन्दुत्व पर बात की है। वहीं अखिलेश यादव ने भी कई बार खुद को खुलकर या घुमा फिराकर बीजेपी वालों से 'बेहतर हिन्दू' साबित करने की कोशिश की है।
बसपा की सभाओं में जय श्रीराम के नारे
बहुजन समाज पार्टी के इतिहास में भी इस बार काफी कुछ अलग दिख रहा है। इस साल हुए बीएसपी के ब्रह्राण सम्मलेन में शंखध्वनि के बीच वेदमंत्रों का उच्चारण हुआ। सभा में 'जयश्रीराम' और 'जय परशुराम' के नारे भी लगे। बीएसपी के किसी सम्मेलन में शायद पहली बार ये नारे लगे हों। बीएसपी, सपा और कांग्रेस के अलावा आप जैसे दल भी यूपी में किस्मत आजमा रहे हैं। जो पहले ही हिन्दुत्ववादी राजनीति का रुझान रखते हैं। ऐसे में राजनीतिक विश्लेषक खासतौर से कांग्रेस, बसपा और सपा को लेकर हैरान हैं।
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भाजपा के पाले में जाकर क्यों खेल रहे विपक्षी
भारतीय जनता पार्टी हमेशा से ही हिन्दुत्ववादी राजनीति करती रही है। यूपी में भी वो अपनी इसी पुरानी लीक पर चलती दिख रही है। अयोध्या में मंदिर निर्माण, गंगा आरती, देव दीपावली से लेकर पीएम का खुद लाइव गंगा स्नान और आरती वगैरह करना हाल के दिनों में देखा ही गया है। भाजपा को इससे सफलता मिलती रही है और माना जाता है कि वो इस नीति से ही बेहतर चुनावी प्रदर्शन करती है। इस सबमें हैरत ये है कि दूसरी पार्टियां भी यही कर रही हैं। अखिलेश यादव, मायावती से लेकर राहुल-प्रियंका तक इस राजनीति को करने की कोशिश करते दिख रहे हैं।
राजनीति के जानकारों का कहना है कि खुद को सेक्युलर कहने वाले ये दल इसमें बड़ा नुकसान उठा सकते हैं। इस तरह की राजनीति में भाजपा पुरानी खिलाड़ी है, ऐसे में उसको तो वो नुकसान नहीं कर पाएंगे उल्टा सेक्युलर मिजाज के वोटर्स को जरूर खुद से दूर कर लेंगे। इसके अलावा बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दे जिन पर भाजपा असहज हो सकती है, वो भी पीछे छूट जाएंगे। इससे भाजपा को ही फायदा होगा। ऐसे में इस नीति पर विपक्षी चलते हैं तो आधी लड़ाई वो बिना लड़े ही हार जाएंगे।