UP Assembly elections 2017- मुसलमानों के सपा को वोट नहीं देने की 4 वजहें
इस चुनाव में समाजवादी पार्टी को मुसलमान वोट नहीं देंगे इसके पीछे की कई अहम वजहें हैं, जिनमें से एक सबसे बड़ी है 18 फीसदी आरक्षण का ना देना
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के चुनाव में मुस्लिम मतदाता सरकार बनाने में काफी अहम भूमिका निभाते हैं और इस बात से तमाम सियासी दल पूरी तरह से वाकिफ है और सभी दल इस बात को ध्यान में रखते हुए अपनी रणनीति बना रहे हैं। प्रदेश में समाजवादी पार्टी को मुस्लिम वोटों की सबसे बड़ा पैरोकार माना जाता है, लेकिन जिस तरह से पार्टी के भीतर जंग चल रही है उसका लाभ लेने की बसपा पूरी कोशिश कर रही है। प्रदेश में 20 फीसदी मुस्लिम वोटों पर सेंधमारी करने के लिए मायावती ने 97 मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है।
पार्टी के भीतर का विवाद बसपा के पक्ष में
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सपा से विमुख मुस्लिम मतदाता बसपा का रुख कर सकते हैं, समाजवादी पार्टी में जिस तरह से 2012 में सपा ने तमाम चुनावी वायदे किए थे और उसे पूरा करने में विफल रही है उससे मुस्लिम समुदाय सपा के खिलाफ वोट दे सकता है। मुस्लिम समुदाय इस बात को लेकर भी आश्वस्त नहीं है कि पार्टी के भीतर का विवाद कब खत्म होगा और आखिरकार पार्टी किस नेता की अगुवाई में और किस चुनाव चिन्ह के साथ मैदान में उतरेगी।
आजमगढ़
में
रहने
वाले
आबिद
मसूद
का
कहना
है
कि
परिवार
के
भीतर
का
झगड़ा
भारतीय
जनता
पार्टी
को
लाभ
पहुंजाएगा।
हमें
सांप्रदायिक
पार्टी
की
ओर
देखना
पड़ेगा
और
बसपा
इस
वक्त
एक
मात्र
उम्मीद
के
तौर
पर
दिख
रही
है।
जिस
तरह
से
परिवार
के
भीतर
विवाद
चल
रहा
है
उसे
देखकर
इसके
जल्द
खत्म
होने
की
उम्मीद
कम
लग
रही
है।
पार्टी
के
भीतर
यह
विवाद
अब
खत्म
नहीं
होगा
और
इसका
नुकसान
पार्टी
को
उठाना
पड़ेगा।
सपा ने पूरे नहीं किए वायदे
मुस्लिम समुदाय सपा सरकार पर अपने वायदे पूरे नहीं करने का आरोप लगा रहा है, उनका कहना है कि पार्टी ने अपने वायदे पूरे नहीं किए जिसके चलते लोग पार्टी से नाराज हैं। सपा ने मुस्लिम समुदाय को 18 फीसदी आरक्षण देने का वायदा किया था, लेकिन यह वायदा अभी भी अधूरा है, मुस्लिम कहते हैं कि इसके लिए वह पार्टी को सबक सिखाएंगे, मुस्लिम समुदाय ना सिर्फ सपा बल्कि सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव से भी खफा है।
सर्वे माया के साथ
हाल ही में आए तमाम चुनावी सर्वे इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि चुनावों में मायावती को लाभ होगा, वहीं मुसलमानों का सोचना है कि उनका वोट बेकार नहीं जाना चाहिए।
पश्चिमी यूपी में दंगों पर सपा के रूख से नाराज
सपा के भीतर चल रहे विवाद और मुसलमानों के रुख को देखते हुए मायावती ने पहले ही 97 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दे दिया है, ऐसे में मुसलमानों को इस बात का यकीन है कि अगर वह बसपा को अपना वोट देते हैं तो वह बेकार नहीं जाएगा। वहीं जिस तरह से सपा ने मुजफ्फरनगर के दंगों पर अपना रुख दिखाया उससे भी मुस्लिम समुदाय काफी नाराज है। ऐसे में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुसलमान वोटों का सपा को भारी नुकसान हो सकता है। ऐसे माहौल में पार्टी के भीतर के विवाद ने मुसलमानों को दूसरे विकल्प के बारे में सोचने के लिए मजबूर किया है, वहीं बसपा इस विकल्प के रुप में सामने आई है।