69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती मामला: SC ने कहा- 60 से 65 ही रहेगी कट ऑफ, यूपी शिक्षा मित्र एसोसिएशन की अपील को किया खारिज
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती मामले पर उच्चतम न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) ने बुधवार (18 नवंबर) को बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट के इस फैसले पर हजारों शिक्षामित्रों की निगाहें टिकी थी, लेकिन इस फैसले के बाद कोर्ट से उन्हें झटका लगा है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने यूपी शिक्षा मित्र एसोसिएशन द्वारा दायर अपील को खारिज कर दिया। इतना ही नहीं, कोर्ट ने शिक्षा मित्र को संबंधित परीक्षाओं में भाग लेने के लिए एक अंतिम मौका दिया।
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दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस फैसले को सही ठहराते हुए दिया है, जिसमें राज्य सरकार के मौजूदा कट ऑफ (60/65) को सही ठहराया गया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले में कहा कि इन शिक्षामित्रों को भर्ती का एक और मौका अगली भर्ती में दिया जाए। बता दें कि 69 हज़ार शिक्षक भर्ती मामले में पहले ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 19 सितंबर को 31661 पदों को एक हफ्ते में भरने का निर्देश दिया था। अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बाकी बचे हुए 37,339 पदों पर भर्ती का रास्ते भी साफ हो गया है।
कोर्ट
में
शिक्षामित्रों
ने
दी
थी
ये
दलील
छात्रों
के
एक
गुट
का
कहना
था
कि
सरकार
का
परीक्षा
के
बाद
कट
ऑफ
निर्धारित
करना
गलत
है।
छह
मार्च
को
इलाहाबाद
उच्च
न्यायालय
ने
यूपी
सरकार
के
फैसले
को
सही
मानते
हुए
भर्ती
प्रक्रिया
को
तीन
महीने
के
अंदर
पूरी
करने
का
आदेश
दिया
था।
मगर
शिक्षामित्रों
ने
कट
ऑफ
मार्क्स
को
लेकर
इसका
विरोध
किया
और
इलाहाबाद
उच्च
न्यायालय
के
फैसले
को
शीर्ष
अदालत
में
चुनौती
दी
थी।
कितने
शिक्षामित्र
40-45
कट
ऑफ
पर
हुए
पास
शिक्षामित्रों
का
कहना
है
कि
लिखित
परीक्षा
में
टोटल
45,357
शिक्षामित्रों
ने
फॉर्म
डाला
था,
जिसमें
से
8,018
शिक्षामित्र
60-65
प्रतिशत
के
साथ
पास
हुए
लेकिन
इसका
कोई
डाटा
नहीं
है
कि
कितने
शिक्षामित्र
40-45
के
कटऑफ
पर
पास
हुए।
इसी
वजह
से
69
हजार
पदों
में
से
37,339
पद
रिजर्व
करके
सहायक
शिक्षक
भर्ती
की
जाए
या
फिर
पूरी
भर्ती
प्रक्रिया
पर
रोक
लगाई
जाए।
पेपर
के
बीच
में
बढ़ाया
कटऑफ
उनकी
दलील
है
कि
असिस्टेंट
टीचर
की
भर्ती
परीक्षा
में
सामान्य
वर्ग
के
लिए
कटऑफ
45
फीसदी
और
रिजर्व
कैटगरी
के
लिए
40
फीसदी
रखा
गया
था।
लेकिन
पेपर
के
बीच
में
उसे
बढ़ा
दिया
गया
और
उसे
65-60
फीसदी
कर
दिया
गया।
ये
गैर
कानूनी
कदम
है
क्योंकि
पेपर
के
बीच
में
कटऑफ
नहीं
बढ़ाया
जा
सकता
है।
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