अखिलेश यादव और रामगोपाल सुधरने के नोटिस पीरियड पर हैं, बोले शिवपाल
बिहार में महागठबंधन के टूटने के बाद शिवपाल का बड़ा बयान, मायावती के साथ कर सकते हैं गठबंधन
लखनऊ। यूपी बिहार को देश की राजनीति को दिशा देने वाला राज्य माना जाता है। लेकिन पिछले कुछ दिनों में जिस तरह से राजनीतिक घटनाक्रम बदले हैं उसने देश के राजनीतिक समीकरण को बदलकर रख दिया है। बिहार के बाद उत्तर प्रदेश में भी सियासी उठापटक का दौर तेज हो गया है। बिहार में महागठबंधन टूटने के बाद सपा नेता शिवपाल यादव ने अहम बयान दिया है।
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बसपा के साथ कर सकते हैं गठबंधन
बसपा के साथ गठबंधन के सवाल पर शिवपाल यादव ने कहा है कि देश में सेक्युलर सरकार बनाने के लिए लोकसभा चुनाव से पहले विचार किया जा सकता है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा है कि इसके लिए अभी काफी समय बाकी है। शिवपाल यादव ने यह अहम बयान मुलायम सिंह यादव के संसदीय क्षेत्र आजमगढ़ में कही।
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समान विचारधारा के लोगों को साथ लाया जाएगा
अखिलेश यादव पर तंज कसते हुए शिवपाल यादव ने कहा कि अखिलेश और रामगोपाल यादव को सुधरने के लिए समय दिया गया है, लेकिन अगर कोई सुधार नहीं आता है तो सेक्युलर मोर्चे का गठन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि समान विचारधारा के लोगों को एक साथ लाया जाएगा। शिवपाल ने कहा कि फिलहाल मैं परिवार को बचाने के लिए बाहर निकला हुआ हूं।
अखिलेश-रामगोपाल को एक मौका दिया है
यूपी में समाजवादी पार्टी की हार के बारे में बोलते हुए शिवपाल यादव नेक हा कि पार्टी जिस तरह से बिखरी और उसे करारी हार का सामना करना पड़ा है उसके बाद पार्ट में काफी बिखराव आ गया है। लिहाजा हमने एक बार फिर से पार्टी को एकजुट करने की कोशिश शुरू कर दी है। उन्होंने कहा कि पार्टी को एकजुट करने के लिए अखिलेश और रामगोपाल को एक मौका दिया गया है।
नेताजी होते तो नहीं टूटता महागठबंधन
बिहार की राजनीति पर प्रतिक्रिया देते हुए पहले शिवपाल यादव ने नीतीश कुमार को दोबारा मुख्यमंत्री बनने पर बधाई दी। साथ ही उन्होंने कहा कि ये लोग एक जगह टिक कर नहीं रह पाते हैं। महागठबंधन के टूटने पर शिवपाल ने कहा क यह सेक्युलर मोर्चे को बड़ा झटका है।
नेताजी का सम्मान होता तो यह हश्र नहीं होता
शिवपाल ने कहा कि अगर मुलायम सिंह यादव महागठबंधन का हिस्सा होते तो इसका यह हश्र नहीं होता। उन्होंने कहा कि अगर महागठबंधन में सपा को सही भागीदारी दी गई होती और नेताजी का सम्मान किया गया होता तो बिहार के हालात कुछ और होते। यही नहीं अगर अखिलेश यादव ने नेताजी का सम्मान किया होता तो यूपी चुनाव में पार्टी का यह हश्र नहीं होता।