UP: 22 साल बाद युवक के थप्पड़ मारने की मिली ये अनोखी सजा
शाहजहांपुर। उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में एक युवक को 9 साल की उम्र में किए गए जुर्म की 22 साल बाद कोर्ट ने सजा सुनाई है। कोर्ट ने जो सजा सुनाई है उसे सुनकर आप भी दंग रह जाएंगे। दलित को थप्पड़ मारने के मामले में किशोर न्याय बोर्ड ने 22 वर्ष बाद युवक हिमांशु शुक्ला को सजा सुनाई है। उसे एक माह तक चार घंटा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर काम लिए जाने के लिए कहा गया है। जिला प्रोबेशन अधिकारी ने इसके लिए सीएचसी प्रभारी को पत्र भी जारी किया है।

हिमांशु शुक्ला उस वक्त केवल नौ साल के थे जब उन्होंने अपने गांव सतवन बुजुर्ग में कल्लू नाम के लड़के को थप्पड़ मार दिया था। घटना के करीब दो दशक बाद कोर्ट ने हिमांशु को एससी/एसटी ऐक्ट (जूवेनाइल कोर्ट) के तहत दोषी पाया है। यह घटना साल 1995 में हुई थी।
हिमांशु का खेत पर काम करते समय गांव के ही बच्चे से विवाद हो गया था। हिमांशु ने गांव के ही एक व्यक्ति को थप्पड़ मार दिया था। उस मामले में पुलिस ने एससी एसटी एक्ट के तहत उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। घटना वाले दिन भी पुलिस उसे घर से गिरफ्तार करके ले गई थी। उस समय हिमांशु की उम्र 18 वर्ष से कम थी, इसलिए उसको तीन माह के लिए बाल सुधार गृह भेजा गया था।
हिमांशु को 2011 में कोर्ट का इस मामले में समन मिला। जिसमें उन्हें कोर्ट में पेश होने के लिए कहा गया था। हिमांशु शुक्ला की माली हालत ठीक नहीं है। जिसके चलते वह बार-बार कोर्ट नहीं जा पाए। बाद में जब कोर्ट ने उन्होंने अपने अपराध को कबूल कर लिया तो उन्हें कोर्ट ने एक महीने तक स्थानीय सीएचसी में सुबह 10 बजे से लेकर 2 बजे तक स्वीपर का काम करना होगा। हिमांशु अशिक्षित हैं इसलिए उन्हें स्वीपर का काम दिया गया है।
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