राज्यसभा चुनाव की दस्तक से बढ़ी सियासी हलचल, कपिल सिब्बल और जयंत चौधरी में फंसा पेंच
नई दिल्ली, 20 मई। राज्यसभा की 57 सीटों के लिए चुनाव की तैयारियां जोरो पर हैं। माना जा रहा है कि अघले हफ्ते इसका नोटिफिकेशन आ जाएगा, इस महीने के अंत तक उम्मीदवारों के नामांकन की आखिरी तारीख होगी। ऐसे में सभी अहम दल राज्यसभा में अपने उम्मीदवारों को पहुंचाने की तैयारियों में जुट गए हैं। रिपोर्ट की मानें तो राज्यसभा में इस बार युवा और बुजुर्ग नेता राज्यसभा में अपनी एंट्री की जुगत में लगे हैं। राज्यसभा में जो नया चेहरा पहुंच सकता है उसकी बात करें तो जयंत चौधरी का नाम सबसे आगे है, माना जा रहा है कि अखिलेश यादव के समर्थन से वह राज्यसभा में पहुंच सकते हैं।
अखिलेश
से
मुलाकात
हो
सकती
है
अहम
रालोद
के
एक
प्रवक्ता
ने
बताया
कि
जयंत
यादव
अखिलेश
यादव
से
मिलने
के
लिए
लखनऊ
जा
रहे
हैं।
रिपोर्ट
की
मानें
तो
इसी
हफ्ते
सपा
अपने
विधायकों
के
साथ
बैठक
करेगी,
इस
बैठक
में
विधायक
इसका
फैसला
लेंगे
कि
किन
उम्मीदवारों
को
राज्यसभा
भेजा
जाना
चाहिए।
उत्तर
प्रदेश
से
11
उम्मीदवार
राज्यसभा
में
पहुंचेंगे,
ऐसे
में
सपा
को
भरोसा
है
कि
वह
तीन
सीट
पर
जीत
दर्ज
कर
सकती
है।
मौजूदा
समय
की
बात
करें
तो
यूपी
से
राज्यसभा
में
भाजपा
के
5,
सपा
के
3,
बसपा
के
2
और
कांग्रेस
के
1
सदस्य
हैं।
जयंत
भी
फिर
से
संसद
जाने
को
बेकरार
सपा
प्रवक्ता
ने
बताया
कि
जयंत
यादव
के
राज्यसभा
जाने
की
संभावना
बहुत
अधिक
है।
आठ
साल
के
बाद
जयंत
फिर
से
संसद
पहुंच
सकते
हैं।
2009-2014
के
बीच
जयंत
यादव
मथुरा
से
लोकसभा
सांसद
थे,
लेकिन
हेमा
मालिनी
के
खिलाफ
चुनाव
हारने
के
बाद
वह
संसद
से
बाहर
हो
गए।
एक
तरफ
जहां
जयंत
यादव
अखिलेश
यादव
की
मदद
से
राज्यसभा
पहुंचने
की
कोशिश
कर
रहे
हैं
तो
दूसरी
तरफ
कांग्रेस
के
वरिष्ठ
नेता
कपिल
सिब्बल
दोबारा
सदन
में
बने
रहने
की
कवायद
में
जुटे
हैं।
सपा
ने
2016
में
किया
था
सिब्बल
का
समर्थन
कपिल
सिब्बल
के
पिछले
कार्यकाल
की
बात
करें
तो
अखिलेश
यादव
ने
उन्हें
समर्थन
दिया
था।
सपा
नेताओं
के
साथ
उनके
संबंध
काफी
अच्छे
हैं।
गुरुवार
को
सुप्रीम
कोर्ट
में
कपिल
सिब्बल
ने
आजम
खान
की
ओर
से
पेश
हुए
थे,
उन्हें
सपा
ने
आजम
कि
पैरवी
के
लिए
भेजा
था।
2017
में
साइकिल
चुनाव
चिन्ह
को
बरकरार
रखने
में
भी
सिब्बल
ने
अखिलेश
यादव
की
मदद
की
थी।
हालांकि
सपा
के
प्रवक्ता
राजेंद्र
चौधरी
का
कहना
है
कि
पार्टी
ने
अभी
यह
तय
नहीं
किया
है
कि
वह
राज्यसभा
में
किसे
भेजेगी।
वहीं
कांग्रेस
प्रवक्ता
अंशू
अवस्थी
ने
कहा
कि
कांग्रेस
आला
कमान
ने
अभी
तक
राज्यसभा
चुनाव
के
लिए
कोई
संपर्क
नहीं
किया
है।
हाई
कमान
ही
इसपर
फैसला
लेगा।
2016
में
सपा
ने
सिब्बल
का
समर्थन
किया
था।
कपिल
सिब्बल
को
है
उम्मीद
वहीं
कपिल
सिब्बल
का
कहना
है
कि
मुझे
किसी
ने
संपर्क
नहीं
किया
है।
मैं
सिर्फ
गरीबों
की
मदद
करना
चाहता
हूं।
बता
दें
कि
कांग्रेस
के
पास
यूपी
में
सिर्फ
दो
विधायक
हैं,
ऐसे
में
वह
राज्यसभा
चुनाव
में
किसी
भी
निर्णायक
स्थिति
में
नहीं
है।
कपिल
सिब्बल
के
पूर्व
सहयोगी
आरपीएन
सिंह
को
भाजपा
राज्यसभा
में
भेज
सककती
है।
भाजपा
के
एक
सांसद
ने
बताया
कि
आरपीएन
सिंह
की
वजह
से
ही
भाजपा
को
गोरखपुर
में
अच्छा
परिणाम
मिला,
हालांकि
अभी
निश्चित
रूप
से
यह
नहीं
कहा
जा
सकता
है
कि
किसे
राज्यसभा
भेजा
जाएगा,
लेकिन
उनका
नाम
सबसे
पसंदीदा
लोगों
की
लिस्ट
में
है।