CM योगी ने किया ब्यूरोक्रेसी का पोस्टमार्टम, जानिए 16 IAS अफसरों के फेरबदल के पीछे की कहानी
लखनऊ, 01 सितंबर: उत्तर प्रदेश में योगी के सबसे खास अफसर अवनीश अवस्थी के रिटायर होने के बाद अचानक ही यूपी की ब्यूरोक्रेसी में तबादले के रूप में बड़ा भूचाल आया है। इसमें कई बड़े बड़े विकेट गिर गए हैं। किसी के पर कतर दिए गए हैं तो किसी को पहले से ज्यादा ताकतवर बना दिया गया है। अटकलें लगाई जा रही हैं कि सीएम ने एक तरह से सीनियर लेवल पर ब्यूरोक्रेसी में बडे़ पैमाने पर फेरबदल करके बड़ा संदेश देने का प्रयास किया है। हालांकि इस बदलाव के बाद आईएएस नवनीत सहगल का कद कम किर दिया गया तो सीएम के प्रमुख सचिव संजय प्रसाद और मजबूत बनकर उभरे हैं।
16 आईएएस में तीन किरदार बेहद महत्वपूर्ण
बुधवार देर रात यूपी में एक साथ 16 आईएएस अधिकारियों के तबादले कर दिए गए। इस तबादले में तीन किरदार काफी महत्वपूर्ण रहे। तीन वरिष्ठ आईएएस नवनीत सहगल, अमित मोहन प्रसाद और संजय प्रसाद। संजय प्रसाद इस समय मुख्यमंत्री के सबसे खास अफसरों में गिने जा रहे हैं। यही वजह है कि इस भूचाल में सबसे ज्यादा फायदा उन्हीं को हुआ। मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव के साथ ही अवनीश अवस्थी और नवनीत सहगल जैसे कद्दावर आईएएस अधिकारियों के विभागों की जिम्मेदारी उनके सौंप दी गई। संजय प्रसाद सबसे ताकतवर अफसर बनकर उभरे हैं।
नवनीत सहगल का कद कम कर दिया गया
इसके अलावा वरिष्ठ आईएएस और अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल के पर कतर दिए गए हैं। नवनीत सहगल ऐसे आईएएस माने जाते हैं जिनकी हर सरकार में पूछ रहती है। चाहे मायावती की सरकार रही हो या फिर अखिलेश यादव की। दोनों ही पूर्ववर्ती सरकारों में उन्होंने अहम पदों पर काम किया। खासतौर से आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे को बनाने का श्रेय भी नवनीत सहगल को ही जाता है। नवनीत सहगल के इस रिकॉर्ड को तोड़ने के लिए ही अवनीश अवस्थी ने पूर्वांचल एक्सप्रेस वे पर अपना पूरा जोर लगा दिया था। हालांकि योगी सरकार में वह अहम पदों पर रहे लेकिन अचानक उनको फिर से साइडलाइन कर दिया गया।
अमित मोहन प्रसाद पर भारी पड़े ब्रजेश पाठक
नवनीत सहगल के साथ ही अमित मोहन प्रसाद से भी स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी ले ली गई है। ये वही अमित मोहन प्रसद हैं जिन्होंने डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था। अमित मोहन प्रसाद भी कद्दावर अधिकारी माने जाते हैं। वह पूरे कोरोना काल तक स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी संभालते रहे। इस दौरान उन्होंने काफी अच्छा काम किया लेकिन ब्रजेश पाठक के खिलाफ मोर्चा लेना उनको महंगा पड़ गया। उनकी शिकायत पीएमओ तक पहुंच गई थी। अमित को अब स्वास्थ्य विभाग से हटाकर ब्रजेश पाठक को खुश करने का प्रयास सरकार ने किया है।
अवनीश अवस्थी पांच साल तक सुर्खियों में रहे
बहरहाल अवनीश अवस्थी बुधवार को अपने पद से रिटायर हो गए। वह पांच साल से अधिक समय तक सुर्खियों में रहे। जब उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के करीबी सहयोगी के रूप में काम किया, और कई विभागों को संभाला। योगी के अवनीश अवस्थी बुधवार को सेवानिवृत्त होने के बाद भी अपनी सेवा विस्तार की अटकलों के बीच सुर्खियों से दूर नहीं रहे। पिछले पांच वर्षों में इतना ध्यान आकर्षित करने के लिए कोई अन्य नौकरशाह नहीं रहा है। चाहे वह एसीएस (गृह), एसीएस (सूचना) या उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीईआईडीए) के सीईओ के रूप में उनका कार्यकाल हो। जैसे-जैसे उनकी सेवानिवृत्ति की तारीख नजदीक आने लगी, उनकी सेवा के विस्तार की अटकलें तेज हो गईं, जो बुधवार देर रात तक जारी रहीं।
योगी के खास अफसर ने बड़े प्रोजेक्ट को पहनाया अमली जामा
एक वरिष्ठ अधिकारी ने उदाहरण देते हुए कहा कि किसी ने कभी नहीं सोचा था कि अवस्थी विधानसभा चुनाव से पहले पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का निर्माण सुनिश्चित कर पाएंगे, लेकिन वह कामयाब रहे। अधिकारी ने बताया कि यही हाल बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे का भी था। परियोजना पर काम फरवरी 2020 में शुरू हुआ और इस साल अगस्त में रिकॉर्ड समय में पूरा हुआ। अपने कार्यकाल के दौरान किए गए कार्यों के बारे में बोलते हुए, अवस्थी ने टीओआई को बताया कि पूर्वांचल और बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे दोनों कोरोनोवायरस महामारी के बीच पूरे हो गए, जबकि गंगा एक्सप्रेसवे पर काम शुरू होने वाला है।
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