यूपी चुनाव: इलाहाबाद में सपा को 'पदुम' तो मिले पर बसपा में फिसले 'शमी'
यूं तो कुर्मी बाहुल्य सोरांव विधानसभा सीट पर एक-एक वोट की अहमियत है। लेकिन यहां मुस्लिम मतदाता निर्णायक की भूमिका में आ सकते हैं। ऐसे में शमी का आना बसपा के लिए फायदेमंद होगा।
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मो. शमी ने समाजवादी पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा देते हुए बसपा ज्वाइन कर ली है और अब बसपा प्रत्याशी गीता पासी के लिए सहारा बन चुके हैं। शमी के आने से मुस्लिम वोटों का एक बड़ा धड़ा अब सोरांव विधानसभा में बसपा के साथ होगा और निश्चित तौर पर मत की संख्या बढ़ाएगा।
शमी के कई दावे
मो. शमी ने सोरांव से गीता पासी के समर्थन में वोट की अपील करते हुए बसपा सरकार बनने का दावा किया है। साथ ही मऊआइमा इलाके के प्रधान और बीडीसी सदस्यों के भी साथ होने की बात कही है।
आंकड़ों में मुस्लिम हैं निर्णायक
यूं तो कुर्मी बाहुल्य सोरांव विधानसभा सीट पर एक-एक वोट की अहमियत है। लेकिन यहां मुस्लिम मतदाता निर्णायक की भूमिका में आ सकते हैं। इस बार भी सपा और बसपा अपनी जीत की किस्मत इन वोटों से जोड़कर देख रही है। पौने चार लाख मतदाता में मुस्लिम वोट दूसरे नंबर पर आते हैं। लगभग पचास से पचपन हजार के बीच मुस्लिम मतदाता हैं। लेकिन भाजपा को रोकने के लिए अधिकतम 40 हजार वोट पड़ने की उम्मीद की जा रही है। ऐसे में बसपा या सपा के पक्ष में 25 से 30 हजार वोट पड़ते हैं। ऐसे में मुस्लिम वोटों को लुभाने के लिए शमी का आना बसपा के लिए फायदेमंद होगा।
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