VIDEO: कांवड़ में मां-बाप को बैठाकर करवाता है तीर्थ, कहता है- यही मेरे भगवान
जहां जगदीश के लिए उनके मां-बाप भगवान है तो उनका भी कहना है कि जगदीश जैसा बेटा पाकर वो भी धन्य हो गए हैं।
मेरठ। सतयुग में श्रवण कुमार ने कांवड़ के स्थान पर अपने मां-बाप को तीर्थ स्थल के दर्शन करवाए और नोएडा के रहने वाले परशुराम अपने मां-बाप को लेकर हरिद्वार से जल लेकर घर आए। परशुराम कई सालों से हरिद्वार सहित इलाहाबाद से भी गंगाजल के साथ अपने मां-बाप को कांवड़ में बिठाकर ला चूके हैं। परशुराम का बेटा अपने पिता के इस धर्म के काम में उनका साथ दे रहा है और अपने को गौरवान्वित महसूस करते हुए यही बोल रहे हैं कि धन्य हूं मैं ऐसे मां-बाप की संतान हूं।
आज-कल ज्यादातर बेटों को मां-बाप बोझ लगने लगते हैं और बुढ़ापे में उन्हें दर-दर की ठोकर खाने को मजबूर कर देते हैं। यही नहीं शादी के बाद अक्सर सास-बहू में तकरार होती रही है। उसके चलते या तो बहू बेटे में तलाक हो जाता है या फिर वो मां-बाप से अलग हो जाते हैं। लेकिन नोएडा के रहने वाले परशुराम की शादी को 25 साल हो गए और ये छोटा सा परिवार आज छोटे-बड़ों का सम्मान करता दिख रहा है। परशुराम की माने तो उनके गुरु ने कहा कि भगवान और अपने पितरों को पूजने के स्थान पर अपने मां-बाप की सेवा करो, धरती पर मां-बाप ही भगवान हैं।
वहीं जगदीश अपने बेटे परशुराम पर गर्व महसूस करता है और कहता है जो मेरा बेटा कर रहा है, बहुत अच्छा कर रहा है और जो भी देख रहा है वो-वो बेटे की तारीफ कर रहा है। इसे समाज को अच्छा संदेश जाता है। कम से कम कुछ तो लोगों पर फर्क पड़ेगा और वो अपने मां-बाप की सेवा तो करेंगे। वहीं जागदीश अपने पिता परशुराम के बारे में कहता है कि मैं धन्य हूं जो मुझे ऐसे मां-बाप ने जन्म दिया और मैं यही चाहता हूं कि ऐसे मां-बाप सबको मिलें।
वहीं संतोष अपने बेटे के लिए कहती हैं कि ऐसा बेटा सबको मिले ताकि समाज में औरों पर तो इसका असर पड़े, वो अपने मां-बाप की सेवा कर सकें। उनका भी कहना है कि जगदीश जैसा बेटा पाकर वो बहुत धन्य हो गए हैं। बहू प्रेमवत्ती का कहना है कि वो दूसरों की तो कह नहीं सकतीं। लेकिन इन्होंने दो कावड़ ब्रजघाट की करवा दी है, सात हरिद्वार की और एक कुंभ की करवा दी। जब सास-बहू का रिश्ता पूछा तो बोली कि ये सास जैसी नहीं मेरी मां जैसी हैं। शादी को 25 साल हो गए और सब प्यार से रहते हैं। परिवार में सास-ससुर एक बेटा और उनकी पत्नी हैं।
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