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अगर छपरौली से उतरे जयंत चौधरी तो भाजपा के लिए क्यों है खतरे की घंटी?

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लखनऊ, 23 सितंबर: उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले पश्चिमी यूपी की सियासत करवट लेने लगी है। राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) पश्चिमी यूपी में अपनी पुरानी ताकत पाने के लिए हर उस सुनहरे मौके को भुनाने की कोशिश कर रहा है जो उसे मिल रहा है। इस तरह पिछले रविवार को रालोद के मुखिया जयंत चौधरी की पगड़ी रश्म आयोजित की गई थी। कार्यक्रम तो पगड़ी का था लेकिन मौका था विरोधियों को अपनी ताकत का एहसास कराने का, जिसमें जयंत चौधरी ने पूरी ताकत झोंक दी थी। हालांकि बागपत जिले के छपरौली सीट पर रालोद उस समय भी जीत गई जब वह सबसे बुरे दौर में थी। हालांकि अगले विधानसभा चुनाव को देखते हुए जयंत चौधरी का यह कार्यक्रम अहम साबित होने वाला है।

जयंत चौधरी

बागपत के छपरौली में हाल ही में पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी अजीत सिंह की श्रद्धांजलि सभा व जयंत चौधरी की पगड़ी कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। बागपत में श्रद्धांजलि सभा में यूपी, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के लोग शामिल हुए थे। छपरौली को रालोद का मजबूत गढ़ माना जाता है। कार्यक्रम के दौरान वहां मौजूद खाप चौधरियों ने रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी के सिर पर पगड़ी बांधी लेकिन इस कार्यक्रम के बहाने ही रालोद ने विरोधियों को विधानसभा चुनाव 2022 से पहले अपनी ताकत का भी एहसास करा दिया।

6 मई 2021 को अजीत सिंह का हुआ था निधन

पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के बेटे अजीत सिंह केंद्र में कृषि मंत्री और नागरिक उड्डयन मंत्री थे। वह लोक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ-साथ बागपत लोकसभा सीट से 6 बार सांसद भी रहे। 6 मई 2021 को पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी अजीत सिंह का गुरुग्राम अस्पताल में कोरोना से निधन हो गया था। उस वक्त कोरोना के चलते अजीत सिंह की श्रद्धांजलि सभा नहीं हो पाई थी। इस वजह से बाद में उनकी श्रद्धांजलि सभा का कार्यक्रम किया गया।

जयंत

छपरौली में ही जयंत को पगड़ी पहनाकर विरासत सौंपी गई

यूपी के बागपत जिले के छपरौली स्थित विद्या मंदिर इंटर कॉलेज के मैदान में रविवार सुबह 10 बजे हवन पूजन के बाद जयंत को पगड़ी पहना दी गई। जयंत चौधरी के पगड़ी समारोह के दौरान सभी खापों के मुखिया भी मौजूद रहे। इसमें 36 बिरादरी के लोग शामिल हुए। बागपत के अलावा पश्चिम यूपी के मेरठ, बुलंदशहर, गाजियाबाद, हापुड़, सहारनपुर, गौतमबुद्ध नगर, मुजफ्फरनगर, शामली, बिजनौर समेत अन्य जिलों में भी रालोद नेताओं ने भी पूरी ताकत लगाकर भीड़ जुटाई गई थी।

छपरौली से विधायक बनकर चरण सिंह प्रधानमंत्री तक पहुंचे

बागपत जिले की छपरौली विधानसभा सीट चौधरी परिवार की रियासत है। इसी से छपरौली से चौधरी चरण सिंह ने राजनीति शुरू की और प्रधानमंत्री बने और देश की गद्दी हासिल की। 1937 से 1977 तक, चौधरी चरण सिंह छपरौली से लगातार विधायक बने। रालोद ने यहां जो भी टिकट दिया, यहां के लोगों ने चौधरी परिवार को कभी निराश नहीं किया। चौधरी परिवार की तीसरी पीढ़ी आज यहां मौजूद है, 84 साल से छपरौली रालोद का यह किला है। 2017 के विधानसभा चुनाव में जब रालोद अपने सबसे बुरे दौर में थी, लेकिन फिर भी रालोद छपरौली सीट को बचाने में कामयाब रही।

चरन सिंह

बागपत लोकसभा सीट पर चौधरी परिवार का दबदबा

पश्चिम यूपी की सबसे महत्वपूर्ण जाट बहुल सीट बागपत लोकसभा सीट पर चौधरी परिवार का दबदबा रहा है। यहां 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के सत्यपाल सिंह भले ही जीते हों, लेकिन यह इलाका रालोद का किला है। रस्म पगड़ी के बहाने रालोद 2022 का संदेश देना चाहता है। बागपत में 1967 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी आरएस शास्त्री सांसद बने, 1971 में कांग्रेस के रामचंद्र विकल सांसद बने। 1977 में बागपत में समीकरण बदले और चौधरी चरण सिंह भारतीय लोक दल से सांसद बने, 1980 और 1984 में चरण सिंह बागपत से सांसद भी बने।

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1989 में चौधरी चरण सिंह के बेटे अजीत सिंह जनता दल से सांसद बने। 1991 और 1996 में भी इस लोकसभा सीट से अजित सिंह जीते थे। 1998 में पहली बार सोमपाल शास्त्री ने बीजेपी से लोकसभा चुनाव जीता था। लेकिन 1999 के चुनाव में अजीत सिंह फिर बागपत सीट से सांसद बने। 2004 और 2009 में भी अजीत सिंह बागपत से सांसद चुने गए थे। 2013 में मुजफ्फरनगर दंगों के बाद, अजीत सिंह को 2014 के लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था।

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English summary
If Jayant Chaudhary landed from Chhaprauli, then why are there alarm bells for BJP?
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