VIDEO: उठक-बैठक सिर्फ स्कूली छात्रों की सजा नहीं है, BHU अस्पताल में डॉक्टर भी यही सजा पाते हैं
दरअसल प्रशासन ने छात्रों और रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल के बाद ये आदेश जारी किया था की कोई भी एमआर ओपीडी में नही आएगा, लेकिन ये मुंह उठाए पहुंच गए...
वाराणसी। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय किसी परिचय का मोहताज नहीं है। विद्या की राजधानी के मजबूत स्तंभ के रूप में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय शुरुआत से ही स्थापित रही है लेकिन पिछले कुछ समय से ये विश्वविद्यालय गलत कारणों से ज्यादा चर्चा में रहा है। कभी लाइब्रेरी के आंदोलन तो कभी छात्रों और डाक्टरों के बीच झगड़े को लेकर, तमाम मामलों में विश्वविद्यालय प्रशासन के मामले को निपटाने के तौर-तरीके आजकल हमेशा चर्चा का विषय रहे हैं।
देखिए VIDEO...
वाराणसी के सुंदर लाल अस्पताल में चिकित्सा अधीक्षक ने दो एमआर को अपने चैंबर में उठक-बैठक की सजा थी। दरअसल प्रशासन ने छात्रों और रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल के बाद ये आदेश जारी किया था की कोई भी एमआर ओपीडी में नहीं आएगा। अभी बीते दिनों 27 मार्च को रेजिडेंट डाक्टरों और छात्रों के बीच झगड़े पर विश्वविद्यालय प्रशासन का रवैया भी सवालों के घेरे में रहा है। बंद कमरों में विश्वविद्यालय से जुड़े अधिकारी कैसे मामले को निपटाते हैं इसकी एक बानगी इस वीडियो के माध्यम से समझी जा सकती है।
परिसर स्थित सर सुंदर लाल अस्पताल में निजि कंपनियों के मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव (एमआर) के आने पर पा़बंदी है। कल दिन में निजि कंपनी में काम कर रहे दो एमआर आशीष जायसवाल और रजनीश रूम नं 14 के ओपीडी के पास थे, तभी विश्वविद्यालय प्रशासन के लोग उन्हें पकड़कर अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक ओपी उपाध्याय के पास ले आए और फिर जो सजा दी गई वो आप वीडियो में देख सकते हैं कि कैसे अनुशासन के नाम पर अपने चैंबर में इन दोनों से उठक-बैठक कराया गया।
सजा देने के इसी तरीके की चर्चा अब परिसर में भी लोग कर रहे हैं की आखिर प्रतिबंध के बावजूद घूम रहे एम आर को तो सजा दे दी गई लेकिन जिस डॉक्टर के बुलावे पर ये दोनों आए थे आखिर उस डाक्टर पर क्या कोई कार्रवाई हुई? सबसे बड़ा सवाल ये है की सजा देने के इस वायरल वीडियो के इस पूरे प्रकरण पर विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से कोई आधिकारिक रूप से कहने को तैयार नहीं है।
Read more: मेरठ: बूचड़खानों के बंद होने से स्पोर्ट कारोबार को तगड़ा झटका, मजदूरों को रोजगार का खतरा