किसकी थीं वो डेड बॉडीज जो डेरा ने यूपी के एक मेडिकल कॉलेज को की थी दान?
डेरा सच्चा सौदा ने लखनऊ के प्राइवेट मेडिकल कॉलेज को दिया 14 शव, बिना मृत्यु प्रमाण पत्र के ही दे दिया शव, रिपोर्ट में सामने आया मामला,
लखनऊ। डेरा सच्चा सौदा के चीफ गुरमीत राम रहीम के काले कारनामों का पुलिंदा एक के बाद एक हर रोज खुल रहा है। जिस तरह से डेरा के भीतर सर्च ऑपरेशन चल रहा है, उसने डेरा के भीतर चल रहे राम रहीम के साम्राज्य का पर्दाफाश करके रख दिया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जो एक नोट सामने आया है उसमे कहा गया है कि डेरा सच्चा सौदा से 14 शवों को जीसीआरजी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज को भेजा गया था, लेकिन इन शवों को बिना मृत्यु प्रमाण पत्र और जरूरी कागजातों को पूरा किए बिना भेजा गया था।
संस्थान की मान्यता पर उठे हैं सवाल
यह
नोट
19
अगस्त
को
लिखा
गया
था
और
उत्तर
प्रदेश
सरकार
को
भेजा
गया
है।
इस
पत्र
में
इस
बाबत
जवाब
मांगा
गया
है
कि
कैसे
14
शवों
को
डेरा
सच्चा
सौदा
से
बिना
जरूरी
दस्तावेजों
के
ले
लिया
गया,
यह
एक
गंभीर
मुद्दा
है।
जीसीआरी
को
मान्यता
दिए
जाने
के
विवाद
पर
सुनवाई
करते
हुए
इलाहाबाद
हाई
कोर्ट
ने
एक
कमेटी
का
गठन
करने
का
आदेश
दिया
था।
जीसीआरडी
मैनेजमेंट
के
सदस्य
ओमकार
यादव
ने
बताया
कि
मेडिकल
काउंसिल
ऑफ
इंडिया
ने
16
अगस्त
को
कॉलेज
का
मुआयना
किया
था,
उन्होंने
बताया
कि
इस
दौरान
14
शव
पाए
गए
थे।
नियमों को हुआ उल्लंघन
इससे पहले 6 जनवरी को एमसीआई के मुआयने के दौरान संस्थान में सिर्फ एक शव पाया गया था, लेकिन नियम के अनुसार कम से कम 15 शव होने चाहिए। कमेटी की रिपोर्ट के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने कॉलेज को बच्चों का दाखिला करने से दो वर्षों के लिए रोक लगा दी है। हालांकि रिपोर्ट में इस बात का जिक्र नहीं किया गया है कि कैसे 14 लोगों को मृत्यु हुई थी।
डेरा समर्थक दान देते हैं शव
ओमकार यादव ने बताया कि हमें शव बाबा राम रहीम के एक समर्थक ने दान की थी, उसने हमसे नेक काम में शामिल होने की बात कही थी, डेरा समर्थक अपने रिश्तेदारों के शव को तमाम मेडिकल कॉलेज को दान में देते हैं। हमारे पास उन सभी 14 परिवारों के एफिडेविट हैं जिन्होंने शोध के लिए शवों को देने की सहमति दी है। हमने लखनऊ पुलिस को इन दस्तावेजों को जांच के लिए भी कहा है। वहीं इस बाबत लखनऊ के एसएसपी दीपक कुमार का कहना है कि इस मामले में मेडिकल एजूकेशन विभाग से सलाह लेंगे कि प्राइवेट मेडिकल कॉलेज को शवों को लेने के लिए किन नियमों का पालन करना होता है। ऐसे में अगर मेडिकल कॉलेज या डेरा प्रशासन ने नियमों का उल्लंघन किया होगा तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
क्या है नियम
किंग
जॉर्ज
मेडिकल
कॉलेज
के
डॉक्टर
नवनीत
सिंह
का
कहना
है
कि
चाहे
प्राइवेट
मेडिकल
कॉलेज
हो
या
फिर
सरकारी
मेडिकल
कॉलेज,
शव
को
लेने
से
पहले
उसका
मृत्यु
प्रमाण
पत्र
जरूरी,
यह
प्रमाण
पत्र
किसी
डॉक्टर
या
फिर
अस्पताल
प्रशासन
की
ओर
से
परिवार
के
सदस्यों
की
सहमति
के
बाद
जारी
किया
होना
चाहिए।
वहीं
अज्ञात
शवों
के
लिए
पोस्ट
मार्टम
जरूरी
होता
है
और
पुलिस
की
एनओसी
के
बाद
ही
शवों
को
लिया
जा
सकता
है।