यूपी विधानसभा चुनाव 2017: बिजनौर में बीएसपी और सपा को नोटबंदी से बड़ा फायदा!
नोटबंदी की वजह से इंडस्ट्री की छोटी और घरेलू यूनिट जिनमें 10 से 25 मजदूर काम करते थे, वह बंद हो चुकी हैं। बड़ी यूनिट भी बंद को रही हैं जहां 100 से 150 वर्कर काम करते हैं।
बिजनौर। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में नोटबंदी का असर साफ देखने को मिलेगा। यूपी के बिजनौर जिले में 'ब्रश नगरी' कही जाने वाली धामपुर विधानसभा सीट के लोगों की रोजी पर नोटबंदी की मार पड़ी है। यहां से शेरकोट इलाके में छोटे स्केल और कॉटन इंडस्ट्री की 600 यूनिट सक्रिय हैं जिनसे देश के करीब 70 फीसदी पेंटिंग और ड्राइंग ब्रश बनते हैं। इनसे करीब 25 से 30 हजार लोगों को रोजगार मिलता है। साल 2011 की जनगणना के मुताबिक इस नगर पालिका की आबादी करीब 62226 है। जिसमें से 74 फीसदी लोग मुस्लिम और 9 फीसदी दलित हैं। ऑस्कर ब्रश प्रोडक्ट्स के मालिक मोहम्मद अजमल ने कहा, 'नोटबंदी ने कारोबार पर बुरा असर डाला है। हमारी 60 फीसदी यूनिट बंद हो चुकी हैं क्योंकि काम करने वालों को देने के लिए हमारे पास पैसे नहीं हैं।'
एटीएम
की
लाइन
से
परेशान
हैं
लोग
स्थानीय
ब्रश
कारोबारी
सतीश
कुमार
ने
कहा,
'छोटी
और
घरेलू
यूनिट
जिनमें
10
से
25
मजदूर
काम
करते
थे,
वह
बंद
हो
चुकी
हैं।
बड़ी
यूनिट
भी
बंद
को
रही
हैं
जहां
100
से
150
वर्कर
काम
करते
हैं।
ये
यूनिट
पहले
12
घंटे
काम
करती
थीं
लेकिन
8
नवंबर
के
बाद
से
सिर्फ
8
घंटे
ही
यहां
काम
होता
है।'
शेरकोट
आने
वाले
लोगों
को
दो
चीजें
सबसे
पहले
दिखती
हैं।
पहला-
स्ट्रीट
लाइट
के
खंभों
पर
लगे
एलईडी
बल्ब
और
दूसरा
HDFC
बैंक
के
एटीएम
के
बाहर
लगी
लंबी
लाइन।
स्ट्रीट
लाइट
नगर
पालिका
के
युवा
चेयरमैन
कमरुल
इस्लाम
ने
लगवाई
हैं,
वह
समाजवादी
पार्टी
के
नेता
हैं।
कस्बे
के
चार
में
से
सिर्फ
एटीएम
ही
काम
करता
है।
तीन
एटीएम
8
नवंबर
के
बाद
से
बंद
रहते
हैं
या
फिर
कभी
कभी
खुलते
हैं
तो
तकनीकी
समस्या
बनी
रहती
है।
READ
ALSO:
सिद्धू
ने
दिखाए
तीखे
तेवर,
कहा-
भाग
बाबा
बादल
भाग
कई
यूनिट
हो
गई
हैं
ठप
मौजूदा
विधानसभा
चुनावों
में
धामपुर
विधानसभा
से
बीएसपी
के
उम्मीदवार
मोहम्मद
गाजी
हैं।
उनका
पारिवारिक
बिजनेस
पेंटिंग
ब्रश
बनाने
का
ही
है।
उनके
दो
ब्रांड
साजन
और
चारमीनार
चर्चित
हैं।
शेरकोट
के
दूसरे
ब्रश
कारोबारियों
के
ब्रांड
विल्सन,
उगता
सूरज,
जैनको,
ए-वन,
पनामा
और
मास्टर
हैं।
ये
फर्म
आमतौर
पर
कच्चा
माल
बनाती
हैं
और
फिर
स्थानीय
मजदूरों
के
जरिए
सारे
पार्ट्स
को
मिलाकर
ब्रश
बनवाती
हैं।
बीएसपी
उम्मीदवार
के
पिता
मोहम्मद
खुर्शीद
ने
कहा,
'ये
ब्रश
हाथ
से
बनाए
जाते
हैं।
इनके
लिए
विशेष
कारीगरों
की
जरूरत
होती
है
जो
आपको
इस
टाउन
में
मिल
जाएंगे।'
खुर्शीद
साल
1976
के
आसपास
सहारनपुर
के
पास
एक
गांव
से
शेरकोट
ब्रश
इंडस्ट्री
शुरू
करने
आए
थे।
उन्होंने
बताया
कि
पहले
वह
सुअर
और
भैंस
के
बालों
से
ही
पेंटिंग
ब्रश
बनाते
थे
लेकिन
बीते
15
साल
से
वे
सिंथेटिक
और
नायलॉन
फिलामेंट
का
इस्तेमाल
करने
लगे
हैं।
READ
ALSO:
गृहमंत्री
के
घर
तक
पहुंची
मेघालय
सेक्स
स्कैंडल
की
आंच
'सपा
सरकार
में
बिजली
सप्लाई
बेहतर
हुई'
बीएसपी
की
चुनावी
रणनीति
दलित
और
मुस्लिम
मतदाताओं
को
एकजुट
करना
और
नोटबंदी
के
असर
से
प्रभावित
हुई
उनकी
रोजी
को
याद
दिलाते
हुए
नोट
हासिल
करना।
बिजनौर
में
43
फीसदी
मुस्लिम
और
21
फीसदी
दलित
हैं।
पेंटिंग
ब्रश
के
अलावा
यहां
ग्लास
बोतल
और
हैंडलूम
इंडस्ट्री
भी
है।
इन
पर
भी
नोटबंदी
का
असर
हुआ
है।
बीएसपी
ने
सबसे
पहले
बिजनौर
की
सभी
आठ
विधानसभा
सीटों
पर
उम्मीदवार
उतारे
थे।
जिनमें
से
छह
में
मुस्लिम
उम्मीदवार
हैं
और
दो
में
दलित।
लेकिन
अभी
तक
समीकरण
पूरी
तरह
बैठे
नहीं
हैं।
सईदुल
हसन
नाम
के
एक
शख्स
ने
कहा,
'हमारा
दिल
अभी
भी
सपा
के
साथ
है।
अगर
पार्टी
टूटती
भी
है
तो
हम
अखिलेश
के
साथ
जा
सकते
हैं।
उनकी
सरकार
ने
काफी
काम
किया
है
हमारे
लिए।
खासकर
बिजली
सप्लाई
की
व्यवस्था
सुधारने
में
काफी
योगदान
है।
अगर
अखिलेश
अजीत
सिंह
से
गठबंधन
कर
लेते
हैं
तो
हमारी
पसंद
आसान
हो
जाएगी।'
बीएसपी
ने
वोटरों
को
दिया
ये
लालच
बीएसपी
ने
वोटरों
को
यह
कहकर
भी
लुभाना
शुरू
कर
दिया
है
कि
सपा
में
जारी
घमासान
की
वजह
से
अगर
वह
सपा
को
वोट
भी
करते
हैं
तो
उनका
वोट
बेकार
जाएगा।
इसलिए
बेहतर
है
कि
वोट
बीएसपी
को
दिया
जाए।
बीएसपी
के
उम्मीदवार
रशीद
अहमद
ने
कहा,
'1977
में
दो
हाल
नसबंदी
की
वजह
से
कांग्रेस
का
हुआ
था,
वही
हाल
नोटबंदी
की
वजह
से
बीजेपी
और
परिवारबंदी
की
वजह
से
सपा
का
होगा।'
नोटबंदी
की
वजह
से
प्रदेश
में
बीजेपी
को
वोट
जुटाने
में
काफी
मुश्किल
हो
सकती
है।