अकेले किसान और खाट नहीं हर धर्म का वोटर है राहुल के रडार पर
नई दिल्ली। यूपी मिशन पर निकले कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी लगातार रोड शो और रैलियां कर रहे हैं। इस दौरान वो न केवल मंदिर गए, मुस्लिम धर्म गुरु मौलाना कल्बे सादिक से भी मुलाकात की। इतना ही नहीं उन्होंने चर्च और गुरुद्वारे में भी वक्त बिताया।
राहुल
गांधी
की
नजर
हर
वर्ग
के
वोट
बैंक
पर
आखिर राहुल गांधी के इस अंदाज का मतलब क्या निकाला जाए? क्या सियासी गणित बिठाने के लिए वो ये तरीका अपना रहे हैं? वजह चाहे जो भी हो लेकिन उनके अंदाज से एक बात तो साफ है कि कांग्रेस इस बार किसी भी वोट बैंक को हाथ फिसलने देना नहीं चाहती है।
शायद इसीलिए राहुल गांधी ने यूपी में किसान यात्रा का आगाज किया। इस दौरान उन्होंने खाट पर चर्चा भी की। देवरिया से शुरू होकर दिल्ली तक की इस किसान यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने न केवल परंपरा तोड़ते हुए अयोध्या गए, बल्कि हनुमानगढ़ी मंदिर में पूजा भी की। इस दौरान उन्होंने संत ज्ञानदास से भी मुलाकात की।
जब 24 साल बाद हनुमानगढ़ी पहुंचे नेहरू-गांधी परिवार के कोई सदस्य
बाबरी विध्वंस के 24 साल बाद अयोध्या पहुंचने वाले वह नेहरू-गांधी परिवार के पहले सदस्य भी हैं। बाबरी विध्वंस के बाद कोई भी नेहरू या गांधी परिवार से अयोध्या कभी नहीं आया, ऐसे में राहुल गांधी का वहां जाना काफी अहम माना जा रहा है।
रैदास मंदिर के बाद लखनऊ की गलियों में बढ़ा राहुल गांधी का काफिला
अयोध्या पहुंचकर राहुल गांधी ने एक तरफ जहां सियासी हलचल को बढ़ाया तो दूसरी तरफ उन्होंने विवादित स्थल से तकरीबन एक किलोमीटर की दूरी बनाए रखी। सियासी विश्लेषकों की मानें तो उन्होंने यह एक सांकेतिक कदम है। राहुल इस बात को बखूबी समझते हैं कि अगर वह राम जन्म भूमि जाते तो मुस्लिम वर्ग उनसे दूर हो सकता था। ऐसे में वह किसी भी तरह का जोखिम लेने से बचना चाहते थे।
चित्रकूट के कामतानाथ मंदिर भी गए राहुल गांधी
राहुल इस बात को बखूबी समझते हैं कि अगर वह राम जन्म भूमि जाते तो मुस्लिम वर्ग उनसे दूर हो सकता था। ऐसे में वह किसी भी तरह का जोखिम लेने से बचना चाहते थे।
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अयोध्या के हनुमानगढ़ी मंदिर ही नहीं राहुल गांधी चित्रकूट के कामतानाथ मंदिर भी गए और पूजा-अर्चना की। यूपी के विभिन्न जिलों के दौरे के दौरान राहुल का अंदाज बिल्कुल जुदा नजर आया। इसका पता उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में उनके रोड शो के दौरान नजर आ गया।
मुस्लिम धर्म गुरु मौलाना कल्बे सादिक से मिले राहुल गांधी
लखनऊ में राहुल गांधी ने जता दिया कि यूपी मिशन को लेकर उनका दांव कुछ और ही है, इसीलिए उन्होंने लखनऊ में मुस्लिम धर्म गुरु मौलाना कल्बे सादिक से मुलाकात की। कल्बे सादिक से मुलाकात के दौरान कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता राहुल गांधी के साथ थे।
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इनमें कांग्रेस की ओर से यूपी की सीएम उम्मीदवार शीला दीक्षित, राजबब्बर, गुलाम नबी आजाद समेत प्रदेश के दूसरे वरिष्ठ नेता शामिल हैं। राहुल गांधी के मुस्लिम धर्म गुरु से मिलने के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। ये भी कयास लगाया जा रहा है कि क्या उनकी नजर लखनऊ के मुस्लिम वोटबैंक पर है। फिलहाल ये तो भविष्य की बात है।
लखनऊ के नदवा तूल उलेमा मदरसा में राहुल गांधी
मुस्लिम धर्म गुरु मौलाना कल्बे सादिक से मुलाकात के बाद कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी नदवा तूल उलेमा मदरसा पहुंचे और वहां लोगों से मुलाकात-बात की।
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मदरसे से निकलकर राहुल गांधी का अगला पड़ाव बना चर्च। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी लखनऊ स्थित कैथेड्रल चर्च गए और वहां कुछ समय बिताया।
लखनऊ में रोड शो के दौरान राहुल गांधी रैदास मंदिर पहुंचे
चर्च में कुछ समय रहने के बाद राहुल गांधी का काफिला यूपी की राजधानी में आगे बढ़ा। राहुल गांधी इसके बाद रैदास मंदिर पहुंचे और पूजा-अर्चना की।
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रैदास मंदिर, वाल्मीकि संप्रदाय से जुड़े लोगों के लिए खास महत्व रखता है। ऐसे में राहुल गांधी के वहां जाने के सियासी मायने हो सकते हैं।
याहियागंज स्थित गुरुद्वारे में कांग्रेस उपाध्यक्ष
लखनऊ में रोड शो के दौरान राहुल गांधी ने याहियागंज स्थित गुरुद्वारा भी गए। कांग्रेस उपाध्यक्ष ने वहां मत्था टेका और कुछ देर बैठे भी।
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कुल मिलाकर राहुल गांधी ने अपनी किसान यात्रा के जरिए एक तरह से उत्तर प्रदेश की जनता के बीच सियासी गणित साधने की भरपूर कोशिश की है। उन्होंने सर्वधर्म समभाव का संदेश देने की कोशिश अपनी इस यात्रा से की है।
आखिर राहुल के बदले अंदाज की वजह क्या है?
राहुल गांधी के पूरे कार्यक्रम को देखा जाए तो साफ हो जाता है कि कैसे उन्होंने कांग्रेस का वोटबैंक मजबूत करने के लिए हिंदू, मुस्लिम, सिख और इसाई चारों वर्गों को लुभाने की कोशिश की है।
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इतना ही नहीं रोड शो के साथ-साथ रैली और डोर-टू-डोर कैंपेन से साबित होता है कि कांग्रेस उत्तर प्रदेश की जनता को विश्वास दिलाने की कोशिश कर रही है कि वह उनके साथ है।
यूपी चुनाव के मद्देनजर सभी धर्मों को साधने की कवायद
शायद यही वजह है कि राहुल गांधी के इस पूरे कार्यक्रम का नाम किसान यात्रा दिया गया। जिसमें किसानों के हित के मुद्दे राहुल गांधी ने पूरी ताकत से उठाए। साथ ही केंद्र की मोदी सरकार को घेरने का कोई मौका हाथ से जाने नहीं दिया।
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फिलहाल राहुल गांधी की इस पूरी कवायद का परिणाम क्या होगा? जनता इसे किस रुप में लेगी ये तो अगले साल होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में ही दिखाई देगा, लेकिन कांग्रेस उपाध्यक्ष की जोर आजमाईश लगातार जारी है।