अखिलेश तो घर में घिरे हैं, पश्चिमी यूपी को साधने में लगे जयंत, 'फुलप्रूफ प्लान' समझिए
लखनऊ, 13 जुलाई: राष्ट्रीय लोकदल के नेता जयंत चौधरी इन दिनों पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति में काफी ज्यादा सक्रिय हो गए हैं। वह सेना में भर्ती की स्कीम 'अग्निपथ योजना' के खिलाफ आंदोलन चला रहे हैं तो साथ ही दलितों के बीच अपनी पार्टी की पहुंच बढ़ाने के लिए भी एक बड़ा कदम उठा चुके हैं। जबकि, किसानों का मुद्दा तो उनकी पार्टी के लिए हमेशा से ही महत्वपूर्ण रहा है। यूं समझ लीजिए जयंत चौधरी ने 2024 की तैयारी अभी से ही गंभीरता से शुरू कर दी है। फिलहाल वह जिन तीन मुद्दों पर फोकस कर रहे हैं, वे हैं - युवा, किसान और दलित। आरएलडी नेता ऐसे समय में सियासी तौर पर इतने सक्रिय हुए हैं, जब उनकी सहयोगी सपा के नेता अखिलेश यादव को घर में भी चुनौतियां मिल रही हैं और सहयोगी भी आंखें दिखा रहे हैं।
फुलफॉर्म में हैं जयंत चौधरी
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव विधानसभा चुनाव में मिली हार से उबर भी नहीं पाए थे कि आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा उपचुनावों में करारी शिकस्त ने उनकी चुनौती को और भी मुश्किल बना दिया है। ऊपर से आजम खान की नाराजगी की वजह से मुस्लिम वोट बैंक खिसकने की जो आशंका थी, वह और भी ज्यादा बढ़ चुकी है। स्थिति ये हो चुकी है कि अब सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के नेता ओपी राजभर भी आए दिन आईना दिखाने लगे हैं। लेकिन, समाजवादी पार्टी की एक और सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल के नेता जयंत चौधरी राज्यसभा में पहुंचने के बाद फुलफॉर्म में हैं।
युवा पंचायतों के जरिए युवाओं को जोड़ने की कोशिश
जयंत चौधरी की पार्टी आरएलडी का दबदबा मुख्य रूप से पश्चिमी यूपी में है। उन्होंने पहली कोशिश इसी इलाके के युवाओं को साधने से शुरू की है। इसके लिए उनके निशाने पर मोदी सरकार की ओर से लाई गई 'अग्निपथ योजना' है। वह अग्निपथ योजना वापस लेने की मांग को लेकर पूरे पश्चिमी यूपी में 'युवा पंचायत 'आयोजित कर रहे हैं। 28 जून से शामली से शुरू हुई यह पंचायत 16 जुलाई को बागपत में खत्म होगी। 'युवा पंचायत' के जरिए वे 'अग्निपथ योजना' के खिलाफ युवाओं को लामबंद तो कर ही रहे हैं, बेरोजगारी की व्यापक समस्या उठाकर भी इस बड़े वर्ग से भावनात्मक रूप से जुड़ना चाह रहे हैं।
'अग्निपथ योजना' के विरोध के जरिए बेरोजगारी का मुद्दा उठा रहे हैं
'युवा पंचायत ' में जयंत सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बना रहे हैं। उनका कहना है कि पीएम मोदी युवाओं की भावनाओं को समझना ही नहीं चाह रहे। मंगलवार को आगरा में उन्होंने सवाल किया कि जब 'अग्निपथ योजना' के तहत सेना के जवान पेंशन के हकदार नहीं हैं तो फिर 5 साल सांसद और विधायक रहने वालों को पेंशन क्यों मिलनी चाहिए। उनका दावा है कि 2000 के बाद से सेना में भर्ती ही नहीं हुई है और युवा बेरोजार घूमने को मजबूर हैं। वह युवाओं से अपील कर रहे हैं कि आप डटे रहिए, उनकी लड़ाई वो लड़ेंगे। उनका दावा है कि 60 हजार पद खाली पड़े हैं और सभी पर भर्तियां होनी चाहिए।
यूपी में लाखों युवा करते हैं सेना में भर्ती होने की तैयारी
आंकड़ों के मुताबिक अकेले उत्तर प्रदेश में हर साल लाखों युवा (अपुष्ट आंकड़ों के मुताबिक 4 लाख) सेना में भर्ती के लिए तैयारियां करते हैं। पश्चिमी यूपी ऐसे युवाओं का बहुत बड़ा केंद्र है। उदाहरण के लिए गौतम बुद्ध नगर, गाजियाबाद, हापुड़ और बुलंदशहर से जुड़ा साठा-चौरासी गांवों का समूह है। यह ऐसा इलाका है, जहां से सशस्त्र सेना में जाने वालों की संख्या काफी ज्यादा है। यहां के युवाओं में 'अग्निपथ योजना' को लेकर एक आम भावना देखी गई है कि वह सिर्फ चार साल की नौकरी के लिए नहीं दौड़ते हैं और ना ही पसीना बहाते हैं। जितना पैसा इस योजना के तहत मिलेगा, उतना तो वे नोएडा-गाजियाबाद में कोई प्राइवेट नौकरी करके कमा सकते हैं। इनके लिए सेना में भर्ती गौरव का विषय है। जयंत चौधरी यहां के युवाओं की इसी भावना को पकड़ने की कोशिश कर रहे हैं। (सेना के अभ्यर्थियों की फाइल तस्वीर-मथुरा)
दलितों को साधने के लिए भी लगा रहे हैं दांव
आरएलडी नेता ने देखा है कि पिछले चुनावों में काफी कोशिशों के बावजूद पश्चिमी यूपी का दलित वोट या तो बसपा के साथ रहा है या फिर भाजपा में गया है। सपा-रालोद को उसका इतना फायदा नहीं मिल पाया है। जबकि, पश्चिमी यूपी में जाट-दलित समीकरण बन जाए तो भविष्य में जयंत चौधरी को किसी दूसरी पार्टी के भरोसे रहने की जरूर ही नहीं पड़ेगी। इसलिए, उन्होंने अभी से दलितों का दिल जीतने का भी अभियान शुरू कर दिया है। यूपी विधानसभा में जयंत चौधरी की पार्टी के 8 विधायक हैं। उन्होंने अपने दल के सभी विधायकों से कहा है कि विधायक निधि का 35% फंड दलितों के कल्याण पर खर्च करें।
किसानों से जुड़े मुद्दे हमेशा से अहम
राष्ट्रीय लोकदल किसानों से ही बनी पार्टी है। इसलिए किसान से जुड़े मुद्दे तो इसके लिए हमेशा से ही प्रमुख रहे हैं। कृषि कानूनों के विरोध के दौरान भी उनकी पार्टी इस मुद्दे पर काफी मुखर थी। इन सब विषयों पर वन इंडिया ने आरएलडी प्रवक्ता अनिल दुबे से बात की तो उन्होंने कहा कि "इस समय तो युवा और दलित मुद्दे ही हैं। युवाओं को लेकर आंदोलन चल रहा है और पंचायतें हो रही हैं; और किसानों के लिए तो सबकुछ है ही।" कुल मिलाकर जयंत चौधरी फिलहाल युवा, दलित और किसानों पर ही फोकस कर रहे हैं और संसद के आने वाले मानसूत्र में भी उनकी पार्टी की ओर से इसे उठाने की कोशिश रहेगी।