कश्मीर में बुलेट नहीं पैलेट की चोट से मरा था 22 वर्षीय युवक
नई दिल्ली। बीते दिनों कश्मीर में 22 वर्षीय युवक की मौत पर शुरू हुआ विवाद अब खत्म हो गया है। सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच करने वाली टीम की ओर से जारी की गई ऑटाप्सी रिपोर्ट के अनुसार युवक की मौत पैलेट के चोट से हुई है, न कि बुलेट से।
(कथित तौर पर पुलिस अधिकारी यासिर कादरी द्वारा शबीर मीर के मारे जाने का विरोध करती महिलाएं फाइल फोटो)
न्यायाधीश पीसी घोष और अमित्व रॉय की बेंच के समक्ष रखी गई ऑटाप्सी रिपोर्ट का लिफाफा सोमवार अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने खोला।
रोहतगी ने बताया कि रिपोर्ट चौंकाने वाले तथ्यों का खुलासा करती है।
आरोप को गलत साबित करती है रिपोर्ट
यह रिपोर्ट उस आरोप को गलत साबित करती है जिसमें कहा गया है कि जम्मू और कश्मीर पुलिस का जवान शबीर मीर के घर में घुसा और उसे प्वाइंट ब्लैंक रेंज से मारा।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट शीर्ष अदालत के आदेश का अनुपालन करते हुए बनाई गई है जिसमें मीर के शरीर की मेडिकल जांच के लिए कहा गया था।
अटॉर्नी जनरल और जम्मू और कश्मीर सरकार के वकील सुनील फर्नांडिस ने न्यायालय में कहा कि युवक की मौत दुर्भाग्यपूर्ण है लेकिन राज्य की पुलिस पर लगाए गए आरोप निराधार है।
उन्होंने कहा कि रिपोर्ट ने राज्य सरकार के रुख को सही ठहराया है।
( शबीर के रिश्तेदार फाइल फोटो )
ये है मामला
बता दें कि मीर की मौत इसी साल 10 जुलाई को हुई थी। सरकार ने कहा था कि उसकी मौत तब हुई जब पुलिस प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग कर ही थी।
हालांकि मीर के परिजनों का आरोप है कि उसे पुलिस के उपाधीक्षक यासिर कादरी ने मारा है और अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। वहीं राज्य सरकार ने आरोप का खंडन किया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि मेडिकल सेर्टिफिकेट के अनुसार मृतक को सिर्फ एक ही चोट लगी है, जो पूरी तरह से उस आरोप को दरकिनार करती है जिसमें कहा गया है कि उसे प्वाइंट ब्लैंक रेंज से मारा गया है।
हालांकि परिजनों के आरोप और राज्य सरकार के आरोप के खंडन को देखते हए शीर्ष अदालत ने शरीर के फॉरेंसिक जांच के आदेश दिए हैं ताकि मीर के मौत की सही परिस्थितियों का पता चल सके।