T-20 World Cup: अभी ‘पर्थ’ की कसौटी पर खुद को परखेगी टीम इंडिया
टी-20 विश्वकप के पहले टीम इंडिया पर्थ में डेरा जमाएगी। करीब दो सप्ताह तक 'वाका’ का पर्थ क्रिकेट मैदान भारतीय टीम के लिए बेस ग्राउंड रहेगा। इस मैदान पर भारतीय टीम चार अभ्यास मैच खेलेगी। दो वेस्टर्न ऑस्ट्रिलिया इलेवन के साथ और एक-एक मैच ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड के साथ। 10 से 19 अक्टूबर तक भारत विश्व की सबसे तेज पिच पर अतिरिक्त उछाल और गति वाली गेंदों पर अभ्यास करेगा। विश्वकप का पहला मैच 23 अक्टूबर को पाकिस्तान के खिलाफ है। इस अहम मुकाबले के पहले भारत पर्थ में अपने सभी कील- कांटे दुरुस्त कर लेना चाहता है। पाकिस्तान की ताकत तेज गेंदबाजी है। इसलिए भारत ने दुनिया की सबसे बाउंसी पिच को अपना अभ्यास स्थल बनाया है।
पर्थ में भारत के चार अभ्यास मैच
ऑस्ट्रेलिया में छह प्रांत हैं। वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया भी इनमें एक है। पर्थ इसकी राजधानी है। पर्थ के ऐतिहासिक क्रिकेट ग्राउंड को गेंदबाजों का स्वर्ग माना जाता है। पर्थ की खास मिट्टी की वजह से इस पिच पर तेज गेंदबाज को अतिरिक्त उछाल मिलती है और गेंद बहुत तेज गति से बल्लेबाज के पास आती है। टी-20 विश्वकप के लिए भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया पहुंच चुकी है। वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट एसोसिएशन (WACA) के पर्थ ग्राउंड पर भारत का अभ्यास शिविर शुरू हो रहा है। 10 और 12 अक्टूबर को भारत वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया इलेवन के साथ खेलेगा। वेस्टर्न ऑस्ट्रलिया की टीम इस साल की शेफील्ड शील्ड विजेता है। शेफील्ड शील्ड ऑस्ट्रेलिया की राष्ट्रीय क्रिकेट प्रतियोगिता (चार दिवसीय) है। टीम के कप्तान शॉन मार्श हैं। वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया को 23 साल बाद जून 2022 में शेफील्ड शील्ड जीतने का गौरव प्राप्त हुआ था। इस टीम में जोएल पेरिस जैसे लंबे लेफ्टआर्म फास्ट बॉलर हैं जो ऑस्ट्रेलिया के लिए वनडे मैच खेल चुके हैं।
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पर्थ की पिच पर अभ्यास बहुत खास
वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया के बाद भारत ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के साथ पर्थ में अभ्यास मैच खेलेगा। 17 और 19 अक्टूबर को ये मैच खेले जाएंगे। इन दो मजबूत टीमों के साथ खेल कर भारत ऑस्ट्रेलियाई परिस्थितियों में खुद को व्यवस्थित करेगा। मौसम और पिच के मुताबिक खुद को ढालेगा। भारत के बल्लेबाज असमान उछाल वाली पिच पर शॉर्ट गेंद कैसे खेलेंगे, ये देखने वाली बात होगी। पर्थ में पता चल जाएगा कि हर्षल, अर्शदीप, भुवनेश्वर अपनी पिछली गलतियों से कितना सीखे हैं। युजवेन्द्र चहल को भी लिटमस टेस्ट से गुजरना होगा। ऑस्ट्रेलिया ने भी अपनी तैयारियों को परखने के लिए सबसे पहले पर्थ की पिच को ही चुना है। विश्वकप से पहले वह 9 अक्टूबर को इंग्लैंड के साथ टी-20 इंटरनेशनल खेलेगा। हालांकि इस मैच में ऑस्ट्रेलिया ने मिचेल स्टार्क, पैट कमिंस, जोश हेजलवुड और एडम जंपा जैसे अपने प्रमुख गेंदबाजों को आराम दिया है।
पर्थ में टी-20 का सर्वाधिक स्कोर 186/6
पर्थ में रन बनाना आसान नहीं। इस मैदान पर टी-20 का सर्वाधिक स्कोर 186/6 है जो 2007 में ऑस्ट्रेलिया ने न्यूजीलैंड के खिलाफ बनाया था। इतने रन इसलिए भी बन गये थे क्यों कि उस दिन एंड्रयू साइमंड्स की निकल पड़ी थी। साइमंड्स ने 46 गेंदों पर नाबाद 85 रन बनाये थे। वर्ना गिलक्रिस्ट, माइकल क्लार्क, माइकल हसी जैसे दिग्गज बल्लेबाज कुछ खास नहीं कर पाये थे। इस पिच पर 186 एक बड़ा और सम्मानजनक स्कोर था। उस समय आस्ट्रेलियाई टीम में ब्रेट ली, शॉन टेट, मिचेल जॉनसन जैसे तूफानी गेंदबाज थे जिनकी रफ्तार 150 किलोमीटर प्रतिघंटे से अधिक थी। इनकी तेज गेंदबाजी के सामने न्यूजीलैंड की टीम केवल 132 रनों पर ढेर हो गयी। वे पूरे 20 ओवर भी नहीं खेल पाये। सिर्फ जेकब ओरम ने 31 गेंदों पर 66 नाबाद की पारी खेली थी। ब्रेंडन मैकुलम 13, रॉस टेलर 0 आउट हो गये थे। ऑस्ट्रेलिया की तरफ से ली, जॉनसन और टेट ने 2-2 विकेट लिये थे।
जब ऑस्ट्रेलिया लुढ़क गया था सिर्फ 133 रनों पर
ऑस्ट्रेलिया भी इस मैदान पर टी-20 में औंधे मुंह नीचे गिरा है। 2010 में श्रीलंका के खिलाफ वह 20 ओवर में सिर्फ 133 रन ही बना सका था। जब कि उसके 8 खिलाड़ी आउट हुए थे। श्रीलंका की तरफ से यॉर्कर किंग लसिथ मलिंगा ने चार ओवरों में 26 रन दे कर एक विकेट लिया था। दिलहारा फर्नांडो ने चार ओवर में 29 रन देकर एक विकेट हासिल किया था। पर्थ की तेज पिच पर स्पिनर सूरज रनदीव ने अपनी शानदार गेंदबाजी से सबको चकित कर दिया था। उन्होंने चार ओवरों में 25 रन दे कर 3 विकट लिये थे। इस मैच में ऑस्ट्रेलिया के धुरंधर बैटर वार्नर 2, माइकल क्लार्क 16, शेन वाटसन 4, माइकल हसी 7 रन ही बना पाये थे। इसके जवाब में श्रीलंका ने सधा हुआ खेल दिखाया था। तिलकरत्ने दिलसान के 41, कुमार संगकारा के नाबाद 44 रनों की बदौलत श्रीलंका ने यह मैच 7 विकेट से जीत लिया था। तिसारा परेरा ने आखिरी ओवरों में 4 गेंदों पर 17 रन बना कर मैच एकतरफा कर दिया था। इस तरह देखते हैं कि पर्थ की कठिन पिच ऑस्ट्रेलिया के लिए सहज नहीं रही है। अब ऐसे पिच पर अगर भारत दो हफ्ते तक अभ्यास करेगा तो जाहिर है उसे अपनी कई खामियों को सुधारने में मदद मिलेगी।
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