'मैं रात को उठकर 4-5 मील तक खींचता था ट्रक', अख्तर ने बताया कैसे फेंकी थी क्रिकेट इतिहास की सबसे तेज गेंद
नई दिल्ली। क्रिकेट इतिहास की सबसे तेज गेंद फेंकने का रिकॉर्ड पाकिस्तान के पूर्व तेज गेंदबाज शोएब अख्तर के नाम है जिन्होंने 2003 विश्वकप के दौरान 161.3 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गेंद फेंकी थी। इसके साथ ही वो 100 मील प्रति घंटे की रफ्तार से गेंद फेंकने वाले गेंदबाज बने और लगभग दो दशक के बाद भी इस क्लब में अब तक किसी दूसरे गेंदबाजी की एंट्री नहीं हुई है। इंडियन प्रीमियर लीग के 15वें सीजन में सनराइजर्स हैदराबाद के लिये गेंदबाजी करने वाले युवा भारतीय बॉलर उमरान मलिक ने लगातार 150 से ज्यादा की गति से गेंदबाजी कर सभी को प्रभावित किया है और इस क्लब में एंट्री करने की अपनी दावेदारी पेश की है।
शोएब अख्तर ने 22 फरवरी 2003 को इंग्लैंड के खिलाफ खेले गये मैच में यह गेंद फेंकी थी जहां पर उनका सामना सलामी बल्लेबाज निक नाइट कर रहे थे। अख्तर ने निक नाइट के सामने 100.23 मील प्रति घंटे की रफ्तार से गेंद फेंकी और क्रिकेट इतिहास की सबसे तेज गेंद फेंकने का रिकॉर्ड अपने नाम किया। उमरान मलिक ने इस सीजन 157 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से सबसे तेज गेंद फेंकने का रिकॉर्ड अपने नाम किया तो वहीं पर कई बार 155 से ज्यादा की स्पीड से गेंद फेंकी।
160 नहीं फेंक पाने से हो रहा था नाराज
इस बीच पाकिस्तान के पूर्व तेज गेंदबाज ने अपने क्रिकेट करियर की सबसे तेज गेंद फेंकने के किस्से को याद किया है और 100 मील प्रति घंटे की रफ्तार को हासिल करने के पीछे की कहानी सुनाई है।
स्पोर्टसकीड़ा से बात करते हुए अख्तर ने कहा,'जब आप एक गेंदबाज के रूप में 155 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गेंद फेंक लेते हैं तो आपको याद रखना होता है कि आपके अंदर 5 किमी प्रति घंटे की स्पीड अभी और बाकी है। हालांकि अपनी गेंदबाजी में वो अतिरिक्त गति डालने के लिये आपको एक खास तरह की ट्रेनिंग से गुजरना पड़ता है। जब मैंने 100 मील प्रति घंटे का रिकॉर्ड तोड़ा था तो उससे पहले मैं 157-158 किमी प्रति घंटे की स्पीड से गेंद फेंकता था लेकिन 160 पर नहीं पहुंच पा रहा था। मैं इस बात से काफी परेशान था और सोच रहा था कि ऐसा क्यों हो रहा है।'
रात को 4-5 मील तक खींचता था ट्रक
पाकिस्तान के पूर्व तेज गेंदबाज ने आगे खुलासा करते हुए अपनी ट्रेनिंग डिटेल्स की जानकारी दी जिसमें मैच से पहले गाड़ियों और ट्रक्स को खींचने का अभ्यास भी था। इसके बाद वो 26 यार्ड की पिच पर तब तक गेंदबाजी करते थे जब था कि वो थक नहीं जाते थे।
उन्होंने कहा,'मैं टॉयर को पैर में बांध कर दौड़ता था लेकिन जैसे ही वो मुझ पर हल्के लगने लगे, मैंने छोटी गाड़ियों को अपने कंधे से खींचना शुरू कर दिया। इस्लामाबाद में आबादी कम है तो मैं रात को पहले छोटी गाड़ियां खींचा करता था। मैं उसकी स्पीड को अपने रन अप की स्पीड से मिलाने की कोशिश करता था, फिर मुझे एहसास हुआ कि यह गाड़ी भी छोटी है तो मैंने ट्रक को खींचना शुरू कर दिया। मैं 4-5 मील तक ट्रक खींचा करता था।'
2 महीने में मिली थी 150 की स्पीड
शोएब अख्तर ने आगे बताया कि जब मैंने 26 यार्ड की पिच पर गेंदबाजी करना शुरू किया था तो मेरी स्पीड 142-143 किमी प्रति घंटे तक आ गई थी लेकिन मेरा लक्ष्य पिच पर 150 की गति हासिल करना था। मेरे मसल्स अच्छे शेप में थे और फिर मैंने पुरानी और खराब हो चुकी गेंदों से बॉलिंग करना शुरू की। मैं उन गेंदों से विकेट पर निशाना लगाना चाहता था। धीरे -धीरे मैंने नई गेंदों से गेंदबाजी करना शुरू की, मैंं अपने शरीर के हिसाब से गेंदबाजी कर रहा था और मुझे 150 की स्पीड तक पहुंचने में 2 महीने का समय लगा।
साथियों को पहले ही बताया कि तोड़ूंगा रिकॉर्ड
अख्तर ने आगे बताया कि जब वो 2003 विश्वकप के समय तक पहुंचे तो उन्हें पूरा विश्वास था कि वो यह रिकॉर्ड तोड़ सकते हैं और उन्होंने इस बारे में अपने साथी खिलाड़ियों को भी बताया जो कि नेटस में उनका सामना करने से डरा करते थे।
उन्होंने कहा,'जब मैंने 2003 विश्वकप के दौरान नेटस पर गेंदबाजी की तो मेरे टीम के बैटर्स ने कहा कि तुम हमें मार सकते हो क्योंकि तुम बहुत ज्यादा तेज गेंद फेंक रहे हो। तुमने अपनी स्पीड को इतना बढ़ाने के लिये क्या किया। इसके जवाब में मैंने उन्हें बताया की कैसे मैंने मेहनत की ताकि मैं 100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार के बैरियर को तोड़ सकूं। मैंने अजहर महमूद और शकलैन मुश्ताक को बताया कि मैं इस वर्ल्ड कप में विश्व रिकॉर्ड तोड़ सकता हूं।'
इस डर से छोड़ा वो अभ्यास
गौरतलब है कि शोएब अख्तर वहीं पर नहीं रुकना चाहते थे लेकिन उनका शरीर सिर्फ इतनी ही गति से फेंकने की इजाजत दे पा रहा था, जिसकी वजह से वो उससे ज्यादा की स्पीड से बॉल नहीं फेंक सके।
उन्होंने कहा,'जब मैंने 161.3 kph की गति से गेंद फेंकी तो मुझे लगा कि शायद मैं इससे भी तेज गेंद फेंक सकता हूं लेकिन फिर मेरे शरीर में क्रैक्स आने शुरू हो गये, मेरी पीठ में हैमस्ट्रिंग आ गई। मैंने सोचा कि अगर मैं ऐसा करना जारी रखूंगा तो पूरी तरह से टूट जाउंगा और विश्वकप से बाहर हो जाउंगा तो मैंने वो करना छोड़ दिया।'