मिताली राज का वो सपना, जो रह गया अधूरा, 23 साल में नहीं हो पाया पूरा
नई दिल्ली। भारतीय की महान महिला क्रिकेटर मिताली राज ने बुधवार को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया है। मिताली ने 23 साल तक एक खिलाड़ी के रूप में भूमिका निभाई। उन्होंने 1999 में अंतरराष्ट्रीय डेब्यू किया और 2022 तक कई ऐसे रिकाॅर्ड स्थापित किए जो किसी भी अन्य महिला खिलाड़ी के लिए हासिल करना आसान नहीं रहने वाला। मिताली ने बल्ले के साथ-साथ बताैर कप्तान भी टीम को कई जीत दिलाईं। हालांकि उनका एक सपना अधूरा रह गया, जिसका उन्होंने मलाल रहेगा।
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उनका ये सपना रह गया अधूरा
दरअसल, मिताली बताैर कप्तान व बल्लेबाज के रूप में भी टीम को आईसीसी विश्व कप का खिताब नहीं दिला सकीं। मिताली ने 6 विश्व कप में हिस्सा लिया। वह सबसे ज्यादा विश्व कप टूर्नामेंट का हिस्सा बनने वाली महिला क्रिकेटर हैं। उन्होंने साल 2000 में भारत के लिए पहला विश्व कप खेला था। इसके बाद 2005, 2009, 2013, 2017 और 2022 में उन्होंने विश्व कप खेला, लेकिन टीम के लिए विश्व कप नहीं जीत सकीं।
दो बार मिला था माैका
हालांकि, दो बार भाररतीय टीम को विश्व कप में मिताली की कप्तानी में खिताब जीतने का माैका मिला था, लेकिन फाइनल में हार मिल गई थी। मिताली राज एंड कंपनी साल 2017 में फाइनल तक पहुंची। लेकिन फाइनल मैच में इंग्लैंड ने भारत को 9 रन से हरा दिया था। इसी तर्ज पर भारतीय महिला टीम का सफर साल 2005 के विश्व कप में भी उपविजेता के तौर पर ही खत्म हुआ था, जहां आस्ट्रेलिया ने 98 रनों से हरा दिया था।
वनडे विश्व कप में 24 मैचों में कप्तानी करने वाली महिला खिलाड़ी
बता दें कि 1999 में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डेब्यू करने के बाद मिताली को राष्ट्रीय टीम का एक महत्वपूर्ण सदस्य बनने में देर नहीं लगी। उसने एक के बाद एक सनसनीखेज पारियां खेली और कई जीत के लिए अपना योगदान रखा। मिताली ने बताैर कप्तान भी अच्छा काम किया। वह वनडे विश्व कप में सबसे ज्यादा 24 मैचों में कप्तानी करने वाली महिला खिलाड़ी हैं। उन्होंने इसी साल विश्व कप के दौरान ऑस्ट्रेलिया की बेलिंडा क्लार्क (23 मैच) को पीछे छोड़ा था।