शिमला न्यूज़ के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
Oneindia App Download

Kargil Vijay Diwas: सौरभ कालिया, 22 साल का वो जवान जो पहली सैलरी मिलने से पहले हो गया शहीद

Google Oneindia News

शिमला, 26 जुलाई: आज यानी 26 जुलाई को देशभर में कारगिल विजय दिवस मनाया जा रहा है। आज के ही दिन वर्ष 1999 में भारतीय सेना के वीर जवानों ने पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़ दिया और 'ऑपरेशन विजय' के हिस्से के रूप में टाइगर हिल और अन्य चौकियों पर कब्जा कर लिया। कारगिल विजय दिवस पर Oneindia Hindi आपको ऐसे वीर जवान के बलिदान की शौर्य गाथा बता रहा है, जिसने महज 22 साल की उम्र में देश की रक्षा के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। न तो कैप्‍टन यूनिफॉर्म में अपने परिवार से मिल सके और न ही अपनी पहली सैलरी देख पाए। हम बात कर रहे हैं हिमाचल प्रदेश के लाल कैप्टन सौरभ कालिया की, जिनके वीरता के किस्से सदियों तक याद किए जाएंगे।

कारगिल के शहीद कैप्टन सौरभ कालिया

कारगिल के शहीद कैप्टन सौरभ कालिया

सौरभ का जन्म 29 जून 1976 को अमृतसर में डॉ. एनके वालिया के घर हुआ था। सौरभ बचपन से ही आर्मी में जाने का सपना देखते थे। इंटर की पढ़ाई के बाद ही सौरभ ने एएफएमसी की परीक्षा दी, लेकिन सफल नहीं हुए। हालांकि, उन्होंने हार नहीं मानी और कोशिश में जुटे रहे। 1997 में ग्रेजुएशन के दौरान ही संयुक्त रक्षा सेवा परीक्षा में बैठे और सफलता हासिल की।

आर्मी ज्वाइन करने के 4 महीने में ही हो गया दुश्मन से सामना

आर्मी ज्वाइन करने के 4 महीने में ही हो गया दुश्मन से सामना

साल 1998, दिसंबर में आईएमए से ट्रेनिंग के बाद फरवरी 1999 में सौरभ की पहली पोस्टिंग कारगिल में 4 जाट रेजीमेंट में हुई। आर्मी ज्वाइन किए हुए सौरभ को अभी महज चार महीने ही हुए थे कि उनका सामना दुश्मन से हो गया। सेना को खबर मिली कि कारगिल की चोटियों पर कुछ हथियारबंद लोग देखे गए हैं। खबर मिलते ही 14 व 15 मई को कैप्टन सौरभ कालिया अपने पांच साथियों के साथ गश्त पर निकले। जैसे ही सौरभ अपनी टीम के साथ बजरंग चोटी पर हुंचे, उनका सामने पाकिस्तानी सैनिकों से हो गया। आमने-सामने हुई गोलीबारी में सौरभ और उनके साथियों की गोलियां खत्म हो गईं।

दुश्मन ने निकाल ली आंखें, काट दिए कान, फिर भी नहीं झुके कैप्टन सौरभ

दुश्मन ने निकाल ली आंखें, काट दिए कान, फिर भी नहीं झुके कैप्टन सौरभ

कैप्टन सौरभ कालिया और उनकी टीम को मदद पहुंच पाती, इससे पहले दुश्मन ने उन्हें बंदी बना लिया। इसके बाद दुश्मन अमानवीयता की हदें पार कर दी। दुश्मनों ने कैप्टन सौरभ को तोड़ने के लिए उनकी आंखें निकाल लीं। कान तक काट दिए। अलग-अलग तरीकों से उन्हें टॉर्चर किया, लेकिन वह दुश्मन के आगे नहीं झुके। इसके बाद दुश्मन ने कैप्टन सौरभ कालिया समेत पांच सिपाहियों अर्जुन राम, भीका राम, भंवर लाल बगरिया, मूला राम और नरेश सिंह को गोली मार मौत के घाट उतार दिया।

पाक की हरकत पर पूरे देश में था उबाल

पाक की हरकत पर पूरे देश में था उबाल

पाकिस्तान की इस कायराना हरकत से पूरे देश में उबाल था। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पाकिस्तान की इस करतूत की निंदा हुई। भारतीय जवानों के शवों पर ये ऐसे जख्म थे, जिन्होंने दुनिया को स्तब्ध कर दिया। परिवार में गर्व के साथ मातम पसर गया था। 9 जून 1999 को जब पाकिस्तान ने कैप्टन सौरभ कालिया और उनके साथियों के शव भारत को लौटाए थे।

न्‍याय के इंतजार में पिता

न्‍याय के इंतजार में पिता

कैप्टन सौरभ के परिवार ने पाकिस्तान की इस नापाक हरकत के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र से लेकर जिनेवा कन्वेंशन तक में अभियान चलाया। पिता एनके कालिया ने कथित रूप से जिम्मेदार व्यक्तियों की पहचान करने और उन्हें दंडित करने के लिए पाकिस्तान पर दबाव बनाने के लिए विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगठनों से संपर्क किया, लेकिन कैप्टन सौरभ को अभी तक न्याय मिल सका।

Kargil Vijay Diwas:'तिरंगा लहराकर आऊंगा या लिपटकर आऊंगा...', जब कारगिल हीरो विक्रम बत्रा ने कही थी ये बातKargil Vijay Diwas:'तिरंगा लहराकर आऊंगा या लिपटकर आऊंगा...', जब कारगिल हीरो विक्रम बत्रा ने कही थी ये बात

English summary
kargil vijay diwas shaheed captain saurabh kalia brave story
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X