अगला दलाई लामा अपने आदमी को बनाने के फिराक में चीन, अमेरिका के कड़े तेवर से तिब्बती खुश
शिमला। तिब्बतियों के अध्यात्मिक नेता दलाई लामा की बढ़ती उम्र व तिब्बत के धार्मिक मामलों पर चीन की टेढ़ी नजर हर तिब्बती को परेशान करती है। रह-रह कर सवाल यही उठता है कि दलाई लामा के बाद क्या होगा? हालांकि तिब्बती समुदाय पुनर्अवतार में विश्वास रखता है। लेकिन हर कोई इस बात को लेकर चिंतिंत रहता है कि कहीं चीन दलाई लामा संस्था पर अपना कब्जा जमा न ले। इससे पहले भी चीन ने पंचेन लामा से करमापा तक को अपने तरीके से पुर्नस्थापित करने की कोशिश की है। यही वजह है कि इन दिनों दलाई लामा के भविष्य को लेकर चिंता का माहौल है। लेकिन इस बीच तिब्बतियों के लिये वाशिंगटन से राहत भरी खबर आई है कि चीन अगर तिब्बतियों पर अपना दलाई लामा थोपने का प्रयास करता है तो अमेरिका उसका विरोध करेगा।
अमेरिका के रुख का तिब्बतियों ने किया स्वागत
अमेरिका के इस रुख का तिब्बत की निर्वासित सरकार ने स्वागत किया है व कहा है कि तिब्बतियों से धार्मिक आजादी को छीनने का प्रयास चीन करता रहा है। लिहाजा दलाई लामा के चयन में चीन का दखल अस्वीकार्य है। निर्वासित सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि चीन ऐसे व्यक्ति को दलाई लामा के रूप में स्थापित करने की फिराक में है जो कि चीन के प्रति वफादार हो। लेकिन यह तिब्बतियों को ही तय करना है कि अगला दलाई लामा कौन होगा? यह एक पूर्णयता धार्मिक मामला है। दलाई लामा के उत्तराधिकारी का चयन धार्मिक तरीके से धार्मिक संगठन ही करें।
'तिब्बती लोगों को दलाई लामा चुनने का अधिकार'
दरअसल, अमेरिका ने स्पष्ट किया है कि तिब्बती लोगों को ही दलाई लामा चुनने का अधिकार है व अगर चीन इसमें दखल देता है तो उसे बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। अमेरिका ने कहा है कि यह तिब्बतियों का धार्मिक मामला है। इससे तिब्बती खुद ही निपटें। इसमें किसी भी देश की भूमिका नहीं होनी चाहिये। चीन में भी इन दिनों यह बहस छिड़ी है कि भारत में निर्वासित जीवन व्यतीत कर रहे 14वें दलाई लामा का उत्तराधिकारी कौन होगा? दलाई लामा की उम्र बढ़ रही है। वहीं तिब्बती बौद्ध परंपरा के मुताबिक मौजूदा दलाई लामा के निधन के बाद उनका पुर्नजन्म होगा। तिब्बतियों का पुर्नजन्म में विश्वास रहा है जबकि चीन दावा कर रहा है कि उसे चौदहवें दलाई लामा के उत्ताराधिकारी के चयन का अधिकार हासिल है। यही वजह है कि अब इस मामले में अमेरिका भी कूद पड़ा है।
ट्रंप प्रशासन तिब्बतियों के साथ
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के पूर्व एशिया व प्रशांत मामलों के ब्यूरो के वरिष्ठ अधिकारी लौरा स्टोन ने इस मामले पर ट्रंप प्रशासन का रूख स्पष्ट करते हुये सांसदों से कहा कि अमेरिका का यह स्पष्ट रूख है कि धार्मिक फैसले राजनैतिक शासन की ओर से नहीं बल्कि धार्मिक संगठनों की ओर से ही होने चाहिये। करीब ढाई घंटे तक यह चर्चा चली। उन्होंने यह जवाब सीनेटर कोरी गार्डर के सवाल पर दिया। गार्डर ने पूछा था कि चीन ने कहा है कि वह अगले दलाई लामा का चयन करेगा।
कौन हो दलाई लामा?
इस मामले में दलाई लामा पहले ही कह चुके हैं कि दलाई लामा संस्था का बना रहना या न रहना, लोगों की इच्छा पर निर्भर है। दलाई लामा ने कहा है कि इस बारे में न सिर्फ तिब्बतियों, बल्कि हिमालयी क्षेत्र में हिमाचल और मंगोलिया के लोगों से भी चर्चा करनी चाहिए, जो ऐतिहसिक रूप से इस संस्था से जुड़े रहे हैं। दलाई लामा ने स्पष्ट किया कि दलाई लामा के पुनर्जन्म को मान्यता दी जाए अथवा नहीं यह तिब्बती, मंगोलियाई और हिमालयी क्षेत्रों के लोगों के निर्णय पर निर्भर था व रहेगा।