अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट: दोषियों की सजा कम कराने HC जाएंगे मौलाना अरशद मदनी, कही ये बात
अहमदाबाद ब्लास्ट: कोर्ट के फैसले को चुनौती देंगे मौलाना अरशद
सहारनपुर, 19 फरवरी: साल 2008 में गुजरात के अहमदाबाद में एक साथ अलग-अलग स्थानों पर 21 सीरियल ब्लास्ट हुए थे। इस मामले के 13 साल बीतने के बाद शुक्रवार को गुजराज कोर्ट ने 38 दोषियों को फांसी की सजा सुनाई है, जबकि 11 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। तो वहीं अब कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने हाईकोर्ट में चुनौती देने की बात कही है।
मौलाना अरशद मदनी ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा कि हमें उम्मीद है कि दोषियों की सजा को हाई कोर्ट द्वारा ही कम किया जाएगा। लेकिन यदि हमें सफलता नहीं मिली तो हम सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। कहा कि देश के नामी वकील, दोषियों को फांसी से बचाने के लिए मजबूती से कानूनी लड़ाई लड़ेंगे। हमें यकीन है कि इन लोगों को हाईकोर्ट से पूरा न्याय मिलेगा, पहले भी कई मामलों में निचली अदालतों से सजा पाए दोषी हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट से बरी हो चुके हैं।
आपको बता दें कि, देश के इतिहास में ऐसा पहली बार है जब एक साथ 38 दोषियों को फांसी की सजा सुनाई गई है। दोषियों पर यूएपीए के तहत आरोप साबित किए गए और उन्हें सजा सुनाई गई है। ये सजा 13 साल पहले 26 जुलाई 2008 में अहमदाबाद में 70 मिनट के भीतर 20 जगहों पर 21 धमाके किए गए थे। इस सीरियल ब्लास्ट में 56 लोगों की मौत हो गई थी। जबकि 240 लोग इस आतंकी हमले में घायल हुए थे।
13
साल
चली
सुनवाई
इस
पूरे
मामले
में
13
साल
तक
सुनवाई
चली।
सुनवाई
के
दौरान
7
जज
भी
बदले,
लेकिन
शुक्रवार
18
फरवरी
को
आखिरकार
इस
ब्लास्ट
में
दोषियों
को
सजा
सुनाई
गई।
इस
पूरे
मामले
को
19
दिन
में
ही
सुलझा
लिया
गया
था।
मामले
में
30
आरोपियों
को
पकड़ा
गया
था,
जबकि
35
से
अधिक
एफआईआर
इस
मामले
में
दर्ज
की
गई।
जिसके
बाद
2009
में
इस
ब्लास्ट
को
लेकर
मुकदमा
दायर
किया
गया।
इस
पूरे
मामले
में
कुल
78
आरोपियों
के
खिलाफ
केस
चलाया
गया
और
1100
लोगों
की
इस
मामले
में
गवाही
हुई।
केस
में
521
चार्जशीट
दाखिल
हुई
थी।