क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

उत्तर प्रदेश: तीन नियम जो बुलडोजर चलाने में तोड़े गए

Google Oneindia News
Provided by Deutsche Welle

नई दिल्ली, 14 जून। जिला अधिवक्ता मंच नाम के वकीलों के संगठन के कुछ सदस्यों और जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने उत्तर प्रदेश में बुलडोजर से लोगों के मकान तोड़े जाने के खिलाफ अलग अलग याचिकाओं में अदालतों के दरवाजे खटखटाए हैं.

जमीयत ने पूरी कार्रवाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली है, जिसमें अदालत के सामने दो मांगें रखी गई हैं. पहली मांग है कि उत्तर प्रदेश के नगर पालिका संबंधी कानूनों का उल्लंघन कर लोगों के घर तोड़ने के जिम्मेदार उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए.

(पढ़ें: उत्तर प्रदेश: बुलडोजर कार्रवाई पर विपक्ष ने फिर उठाए सवाल)

एक गैर कानूनी कदम

दूसरी मांग है कि अदालत उत्तर प्रदेश सरकार को आदेश दे कि इसके बाद बिना तय प्रक्रिया का पालन किए किसी भी तरह की तोड़ फोड़ ना की जाए. इस याचिका के अलावा जिला अधिवक्ता मंच के पांच सदस्य वकीलों ने प्रयागराज में जावेद अहमद के मकान को तोड़े जाने के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका डाली है.

मुंबई में नूपुर शर्मा के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान

अधिवक्ताओं ने याचिका में अदालत को बताया है कि मकान जावेद की पत्नी परवीन फातिमा के नाम पर था और इसलिए उसे तोड़ना एक गैर कानूनी कदम था. पिछले सप्ताह 10 और 11 जून को प्रयागराज समेत उत्तर प्रदेश के कई शहरों और दूसरे भी कई राज्यों में बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा द्वारा पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ दिए गए बयान के विरोध में प्रदर्शन हुए थे.

(पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट के सामने साख बचाने की बड़ी चुनौती)

याचिका के मुताबिक प्रयागराज में पुलिस ने इन प्रदर्शनों को आयोजित करने के आरोप में जावेद को बिना एफआईआर दर्ज किए 10 जून को पहले गिरफ्तार किया और फिर अगले दिन एफआईआर दर्ज की.

नियमों का उल्लंघन

फिर 11 जून को ही प्रयागराज विकास प्राधिकरण (पीडीए) ने जावेद और फातिमा के मकान पर निर्माण संबंधी कानूनों के उल्लंघन का नोटिस चिपका दिया और अगले ही दिन मकान को मिट्टी में मिला दिया.

प्रयागराज से पहले कानपूर और सहारनपुर में भी इसी तरह के प्रदर्शनों से जुड़े लोगों के मकानों को तोड़ दिया गया था. जमीयत की याचिका में सुप्रीम कोर्ट को बताया गया है कि मकानों को इस तरह तोड़ने में कम से कम तीन कानूनों का उल्लंघन किया गया है.

(पढ़ें: यूपी के बाद दूसरे राज्यों को भी भा रही है बुलडोजर संस्कृति)

उत्तर प्रदेश (रेगुलेशन ऑफ बिल्डिंग ऑपरेशन्स) अधिनयम, 1958, के सेक्शन 10 के तहत किसी भी इमारत को अगर तोड़ना भी है तो ऐसा उससे प्रभावित व्यक्ति को अपना पक्ष रखने के लिए उचित अवसर दिए बिना नहीं किया जा सकता.

इसके अलावा उत्तर प्रदेश नगर योजना और विकास अधिनियम, 1973, के सेक्शन 27 के तहत भी मकान तोड़ने से पहले प्रभावित व्यक्ति का पक्ष सुनना जरूरी है और इसके लिए उसे कम से कम 15 दिनों का नोटिस दिया जाना चाहिए.

याचिका में यह भी कहा गया है कि इसी अधिनियम के तहत प्रभावित व्यक्ति मकान तोड़ने के आदेश के खिलाफ आदेश के 30 दिनों के अंदर अपील भी दायर कर सकता है. जमीयत ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में इन सभी नियमों का उल्लंघन किया गया है जिसके लिए अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए.

Source: DW

Comments
English summary
rules violated in brazen demolition by bulldozers in india
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X