पुलवामा हमला : बार अध्यक्ष का आरोप- 'न्यायाधीश ने कहा ऐसे कई मरते रहते हैं, मैं किस-किस का शोक मनाऊं'
Sirohi News, सिरोही। जम्मू कश्मीर के पुलमावा में आतंकी हमले में शहीद हुए जवानों की शहादत पर विवादित टिप्पणी करने का मामला सामने आया है। राजस्थान के सिरोही में बार एसोसिएशन अध्यक्ष ने एक न्यायाधीश पर पुलवामा शहीदों पर विवादित टिप्पणी करने का आरोप लगाया है। इसके बाद बार एसोसिएशन ने विशेष न्यायालय से संबंधित कार्यों नहीं करने का निर्णय किया है।
दरअसल, सिरोही जिला अभिभाषक संघ की ओर से पुलवामा में शहीद हुए सीआरपीएफ के जवानों को श्रद्धांजलि देने के लिए कार्य न्यायालय में उपस्थिति न देने का निर्णय लिया गया था। संघ के अध्यक्ष मान सिंह देवड़ा ने बताया कि विशेष न्यायालय के विशिष्ट न्यायाधीश राजेश नारायण शर्मा को शोक सभा में आने को कहा तो वे बोले कि मेरा कोई शोक नहीं है। मैं नहीं आऊंगा।
शहीदों का अपमान बताते हुए नाराजगी जाहिर की
संघ ने कार्य स्थगित करने का प्रस्ताव लेकर न्यायालय भिजवाया। कार्यकारिणी पदाधिकारी व सदस्य विशिष्ट न्यायधीश पोक्सो राजेश नारायण शर्मा को इसकी सूचना देने गए तो उन्होंने इसे फेंकते हुए कहा कि ऐसे तो कई मरते रहते हैं। मैं किस-किस का शोक मनाऊं। न्यायाधीश शर्मा की इस विवादित टिप्पणी के बाद चैंबर में ही संघ के पदाधिकारी बहस करने लगे और इसे शहीदों का अपमान बताते हुए नाराजगी जाहिर की। बाद में समझाइश कर मामला शांत करवाया। इसके बाद शहीदों को श्रद्धांजलि दे कार्य को स्थगित कर दिया।
अभिभाषक संघ ने जारी किया निंदा प्रस्ताव
सिरोही में न्यायाधीश द्वारा शहीदों पर की गई विवादित टिप्पणी के बाद बार एसोसिएशन सिरोही की ओर से राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश व निरीक्षण न्यायाधिपति को पत्र भेजकर इस मामले की जानकारी दी गई। साथ ही निंदा प्रस्ताव जारी किया गया। इतना ही नहीं अभिभाषक संघ ने न्यायाधीश शर्मा का स्थानांतरण नहीं होने तक विशेष कोर्ट से संबंधित कार्यों का भी बहिष्कार करने की घोषणा की है।
पहली बार में 10 हजार रुपए का जुर्माना
संघ के पदाधिकारियों ने बताया कि इसके बावजूद यदि कोई कार्य करता है तो पहली बार में 10 हजार रुपए का जुर्माना और दूसरी बार मामला सामने आने के बाद उसे एसोसिएशन से निष्कासित किया जाएगा। विशिष्ट न्यायाधीश राजेश नारायण शर्मा का पक्ष जानने की कोशिश की तो उन्होंने कार्यालय कर्मी के साथ किसी भी तरह की टिप्पणी व बयान न देने का मैसेज मीडिया तक पहुंचाया।