परमजीत कौर खालड़ा के मैदान में उतरने से खडूर साहिब में खतरे में बीबी जागीर कौर का भविष्य
तरनतारन। पंजाब में तरनतारन इलाका शुरू से ही सिख धर्म में आस्था रखने वालों में श्रद्धा का केंद्र रहा है। यहां स्थानीय राजनीति में शिरोमणी अकाली दल का खासा प्रभाव रहा है। इस संसदीय चुनाव क्षेत्र में नौ विधानसभा क्षेत्र आते हैं। इनमें से जंडियाला गुरु, तरनतारन, खेमकरण, पट्टी, खडूर साहिब, बाबा बकाला, कपूरथला, सुलतानपुर लोधी और जीरा शामिल है। इस चुनाव क्षेत्र में शिरोमणी अकाली की प्रत्याशी बीबी जागिर कौर मैदान में उतरी हैं, लेकिन उनके मुकाबले बीबी परमजीत कौर खालड़ा के मैदान में उतरने से यहां का चुनाव हाई प्रोफाइल हो गया है।पंजाब ही नहीं पंजाब से बाहर रह रहे सिखों की नजर भी खडूर साहिब की ओर है।
चुनावों के नजरिये से महत्वपूर्ण क्षेत्र है
डिलिमिटेशन के दौरान तरनतारन जिले के हिस्से को खडूर साहिब लोकसभा चुनाव क्षेत्र बना। गुरुद्वारा श्री खडूर साहिब के नाम पर इस क्षेत्र का नाम पड़ा। इस क्षेत्र में सिखों के आठ गुरुओं ने भ्रमण किया है, इसलिए यहां के गुरुद्वारे को पवित्र माना जाता है। कहा जाता है कि गुरुनानक देव स्वयं यहां पांच बार आए इसलिए भी चुनावों के नजरिये से यह महत्वपूर्ण क्षेत्र है। यहां अब तक दो लोकसभा चुनाव हुये व दोनों ही बार यहां शिरोमणी अकाली दल के ही सांसद चुने गये हैं, लेकिन इस बार मौजूदा सांसद रणजीत सिंह ब्रहमपुरा के शिरोमणी अकाली से अलग हो जाने के बाद राजनैतिक तस्वीर बदली है। चूंकि शिरोमणी अकाली दल इस बार बिखर चुका है।
शिरोमणि अकाली दल ने यहां से सबसे पहले घोषित किया उम्मीदवार
2014 के लोकसभा चुनावों में शिरोमणि अकाली दल के रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा ने कांग्रेस के हरमिन्दर सिंह गिल को एक लाख से अधिक मतों से हराया था। शिरोमणि अकाली दल को 29 प्रतिशत, कांग्रेस को 23 प्रतिशत और आम आदमी पार्टी को 9 फीसदी मत मिले थे। 81.25 प्रतिशत ग्रामीण और 18.75 प्रतिशत शहरी आबादी वाले इस क्षेत्र की आबादी 21,85,064 है। शिरोमणि अकाली दल ने यहां से सबसे पहले अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है। भुलत्थ से पूर्व विधायक और शिरोमणी गुरूद्धारा प्रबंधक कमेटी की पूर्व अध्यक्षा बीबी जागीर कौर यहां से मैदान में है। यहां से भाजपा और शिरोमणी अकाली दल के बीच गठबंधन है। बीबी जागीर कौर पर बेटी की रहस्यमय मौत को लेकर खासा विवाद हुआ था, लेकिन 18 साल बाद उन्हें बरी कर दिया गया। खडूर साहिब में वह धार्मिक डेरा भी चलाती हैं। बीबी जागीर कौर का मुकाबला पंजाब एकता पार्टी की प्रत्याशी परमजीत कौर खालड़ा और टकसाली अकाली दल के पूर्व आर्मी चीफ जनरल जेजे सिंह से होगा, लेकिन चर्चा तो परमजीत कौर खालड़ा की ही है।
सिख सियासत में बीबी खालड़ा का अहम स्थान
दरअसल, सिख सियासत में बीबी खालड़ा का अहम स्थान रहा है। उन्होंने इंसाफ पाने के लिये बीस साल तक अकेले संघर्ष किया है। पंजाब में आतंकवाद के दौर के दौरान कुछ सिख युवकों की तालाश के दौरान गुम हो गये थे। उन्होंने मानवाधिकारों के लिये अपना जीवन समर्पित किया। उनके पति जसवंत सिंह खालड़ा ने सिख मानवाधिकारों के लिये लंबी लड़ाई लड़ी है। उन्होंने उस समय के पंजाब पुलिस प्रमुख केपीएस का खुलकर विरोध किया और पुलिस के कई फेक एनकाऊंटर की पोल खोली। उसके बाद पंजाब पुलिस उन्हें उनके घर से छह सितंबर 1995 को डठा कर ले गई, और उनकी मौत 27 अक्तूबर को हो गई। उनके शव को हरिके के पास फैंका गया था। बीबी खालडा़ ने अपने पति को इंसाफ दिलाने की लंबी लड़ाई लड़ी और 2005 में पांच पुलिस कर्मियों का कत्ल के आरोप में सजा दिलाई।जिसे बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा। एक समय टकसाली अकालियों का इस क्षेत्र में काफी प्रभाव था, लेकिन अब कई टकसाली नेता अकाली दल से अलग हो चुके हैं। 2009 से पहले भी इस हल्के में अकाली दल का ही कब्जा रहा है। 1952 से 1962 तक कांग्रेस के सुरजीत मजीठिया नुमाइंदगी कर चुके हैं। खडूर साहिब का पहले नाम तरनतारन था। 1989 में सिमरनजीत सिंह मान 4 लाख मतों से विजयी हुए थे। कांग्रेस ने अभी यहां से अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है।
दिलचस्प होगा खडूर साहिब पर मुकाबला
आम आदमी पार्टी भी टकसाली अकाली दल से गठबंधन के प्रयास कर रही थी, लेकिन अब तक इसमें कोई प्रगति नहीं हुई है। आम आदमी पार्टी लगातार अपनी रणनीति पर काम कर रही है। लेकिन अब तक उसे कोई परिणाम नहीं मिले हैं। बावजूद इसके खडूर साहिब पर मुकाबला दिलचस्प होगा। कांग्रेस भी अभी उम्मीदवार की तलाश कर रही है। लेकिन परमजीत कौर खालड़ा के लिये अभी विदेशों से चंदा आना शुरू हो गया है। यहां 15,95, 595 वोटर हैं। इनमें महिला वोटर 7,55,537 है, जबकि पुरुष वोटर 8,39,991 हैं। खडूर साहिब लोकसभा सीट से 2004-09 में डॉ. रतन सिंह और 2014 में रंजीत सिंह ब्रह्मपुरा विजयी रहे। दोनों ही शिरोमणि अकाली दल के हैं।