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कांग्रेस में दलबदलुओं की बल्ले बल्ले ! चन्नी की काट में अकाली दल ने चला बसपा का मोहरा

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चंडीगढ़, 27 नवंबर। क्या पंजाब में कांग्रेस, आप के बागियों के दम पर चुनावी वैतरणी पार करेगी? आप के 20 में से 7 विधायक पार्टी छोड़ चुके हैं और इनमें पांच कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। दलबदलुओं को तरजीह दिये जाने से कांग्रेस के जमीनी नेताओं की चिंता बढ़ गयी है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने कुछ दिनों पहले कहा था कि इस बार पार्टी के कई मौजूदा विधायकों के टिकट काटे जाएंगे। करीब 30 विधायकों के टिकट काटे जाने की संभावना जतायी जा रही है।

punjab election 2022 congress aap or Shiromani Akali Dal who can get benefits of defectors

तमाम कोशिशों के बाद भी कांग्रेस में गुटबाजी खत्म नहीं हुई है। कई विधायक अनिश्चय के भंवर में फंसे हुए हैं। चर्चा है कि चुनाव की अधिसूचना जारी होते ही कांग्रेस के कई विधायक कैप्टन अमरिंदर सिंह की पार्टी में जा सकते हैं। इसकी वजह से कांग्रेस ने अभी तक उम्मीदवारों की घोषणा शुरू नहीं की है। जब कि दूसरी तरफ कांग्रेस के प्रमुख प्रतिद्वंद्वी आप और अकाली दल ने प्रत्याशियों के नाम का एलान शुरू कर दिया है। अकाली दल ने बसपा के उम्मीदवार को डिप्टी सीएम बनाने की घोषणा कर कांग्रेस के दलित कार्ड को बेअसर करने की कोशिश की है।

क्या दलबदलुओं के लिए कांग्रेस सुरक्षित ठिकाना?

क्या दलबदलुओं के लिए कांग्रेस सुरक्षित ठिकाना?

2017 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) को 20 सीटें मिलीं थीं। वह दूसरी सबसे बड़ी पार्टी थी और नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी उसके पास थी। लेकिन अब हालत ये है कि आप में केवल 13 विधायक रहे गये हैं जिसकी वजह से उसे तीसरे नम्बर पर खिसक जाना पड़ा है। आप विधायक जगतार सिंह जग्गा दो दिन पहले कांग्रेस में शामिल हुए हैं। आप छोड़ने वाले वे सातवें विधायक हैं। क्या आप विधायकों की नजर में कांग्रेस एक सुरक्षित ठिकाना है ? कांग्रेस खुद आंतरिक कलह से परेशान है। नवजोत सिंह सिद्धू के अड़ियल रवैये से मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को आये दिन फजीहत झेलनी पड़ रही है। इन दोनों की लड़ाई में टिकट वितरण का ऊंट किस करवट बैठेगा, कहना मुश्किल है। आप के विधायक अगर कांग्रेस में आ रहे हैं तो जाहिर है उन्हें टिकट देने का वादा जरूर दिया गया होगा। कांग्रेस पहले से असंतोष की आग में तप रही है। इससे स्थिति और बिगड़ेगी।

ड्रग अभी भी पंजाब में राजनीतिक मुद्दा

ड्रग अभी भी पंजाब में राजनीतिक मुद्दा

ड्रग की जानलेवा समस्या अभी भी पंजाब में एक राजनीतिक मुद्दा है। 2017 के विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस ने ड्रग को मुद्दा बना कर अकाली दल को सत्ता से बेदखल किया था। अब सवाल पूछा जा रहा है कांग्रेस सरकार ने पांच साल के शासन में क्या किया ? इस मुद्दे पर कांग्रेस अध्यक्ष सिद्धू ने अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने धमकी दी है कि अगर चन्नी सरकार ने ड्रग रिपोर्ट जारी नहीं की तो वे इसके खिलाफ भूख हड़ताल करेंगे। पंजाब में नशा मुक्ति केन्द्र तो बढ़े हैं। कुछ लोगों को नशे की लत से उबरने में कामयाबी भी मिली है। लेकिन तस्करी पर पूर्ण नियंत्रण नहीं लग पाने के कारण ड्रग के लती लोगों की संख्या में कोई कमी नहीं आ रही। खुद सिद्धू का कहना है कि पंजाब में अभी भी लाखों लड़के नशे की सुई ले रहे हैं। पटियाला की सभा में एक बुजुर्ग ने सिद्धू से कहा, नशे की वजह से मैं अपने पोते की हालत देख कर रोने लगता हूं। इसलिए सिद्धू ने चन्नी सरकार से मांग की है कि वह पंजाब में नशे की खपत, कारोबार और सरकार की कार्रवाई के संबंध में रिपोर्ट जारी करे। अगर ड्रग के मुद्दे पर कांग्रेस घिरती है तो इसका फायदा अमरिंदर सिंह और आम आदमी पार्टी उठा सकती है।

कांग्रेस को अकाली दल का जवाब

कांग्रेस को अकाली दल का जवाब

पंजाब में आप के कमजोर होने से शिरोमणि अकाली दल की उम्मीदें बढ़ गयी हैं। 2017 में भले उसकी करारी हार हुई थी लेकिन पंजाब में उसका पुराना जनाधार है। इस बार अकाली दल ने बहुजन समाज पार्टी से चुनावी समझौता किया है। 117 सीटों में से अकाली दल 97 और बसपा 20 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। अकाली दल ने घोषणा की है कि बहुमत मिलने पर वह बसपा को डिप्टी सीएम का पोस्ट देगी। कांग्रेस ने चरणजीत सिंह चन्नी को सीएम बना कर पंजाब के दलित वोट को अपने पाले में लाने के लिए पासा फेंका है। कांग्रेस की नजर में यह तुरूप का पत्ता है। इसको बेअसर करने के लिए ही अकाली दल ने बसपा का मोहरा आगे किया है। पंजाब में दलित समुदाय की आबादी 32 फीसदी है। इस बड़े वोट बैंक को अपने पाले में करने के लिए कांग्रेस- अकाली दल में रस्साकशी शुरू हो चुकी है। कांग्रेस ने जहां अभी तक अपने उम्मीदवार घोषित नहीं किये हैं वहीं अकाली दल ने अपने कोटे की 97 में से 84 सीटों पर प्रत्याशियों के नाम का एलान कर दिया है। बहुजन समाज पार्टी ने भी 20 में से 15 उम्मीदवार घोषित कर दिये हैं।

आप की राजनीतिक स्थिति कमजोर

आप की राजनीतिक स्थिति कमजोर

2014 में आम आदमी पार्टी पंजाब में एक धूमकेतू की तरह उभरी थी। पंजाब में आप के चार सांसद जीते थे। 2017 के विधानसभा चुनाव में आप ने 20 सीटें जीत कर अकाली दल को भी पीछे छोड़ दिया था। लेकिन संगठन की कमी और आपसी खींचतान के चलते पार्टी कमजोर होती चली गयी। 2019 के लोकसभा चुनाव में केवल भगवंत मान ही अपनी संगरूर सीट बचा सके। भगवंत मान चर्चित हास्य अभिनेता रहे हैं। लगातार दूसरा चुनाव जीतने के बाद पंजाब में उन्हें सबसे मजबूत नेता माना जाने लगा। आप के कई विधायक और कार्यकर्ता चाहते थे कि भगवंत मान को 2022 के विधानसभा चुनाव में सीएम चेहरा बनाया जाय। लेकिन इसके लिए अरविंद केजरीवाल तैयार नहीं हुए। इसके विरोध में विधायक रुपिंदर कौर रुबी ने पार्टी छोड़ दी। आप छोड़ने वाले विधायकों ने अरविंद केजरीवाल को तानाशाह और नकली क्रांतिकारी बताया है। तब अरविंद केजरीवाल ने बची खुची पार्टी को बचाने के लिए 10 विधायकों को फिर टिकट दे दिया। क्या आप के कमजोर होने का फायदा कांग्रेस को मिलेगा ? या फिर आप और कांग्रेस के आंतरिक कलह से कैप्टन अमरिंदर सिंह की किस्मत खुलने वाली है ? चुनावी लड़ाई के आखिरी दौर में पहुंचने के बाद शायद कुछ तस्वीर साफ हो सके।

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English summary
punjab election 2022 congress aap or Shiromani Akali Dal who can get benefits of defectors
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