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किसान आंदोलन पर बोले चंडीगढ़ भाजपा अध्यक्ष अरुण सूद- सड़कों पर उतरने से कोई कानून वापस नहीं होता

चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मी बढ़ चुकी हैं। चंडीगढ में नगर निगम चुनाव दिसंबर में होने जा रहा है तो वहीं पंजाब में 2022 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। सभी सियासी पार्टी चुनावी तैयारियों में जुट चुकी हैं।

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चंडीगढ़, सितंबर 15, 2021। चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मी बढ़ चुकी हैं। चंडीगढ में नगर निगम चुनाव दिसंबर में होने जा रहा है तो वहीं पंजाब में 2022 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। सभी सियासी पार्टी चुनावी तैयारियों में जुट चुकी हैं इसी बाबत वन इंडिया हिंदी ने चंडीगढ़ भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अरूण सूद से बात की उन्होंने चुनावी तैयारियों पर चर्चा करते हुए सभी नगर निगम सीटों पर जीत दर्ज करने की बात कही।

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किसान आंदोलन पर बोले चंडीगढ़ भाजपा अध्यक्ष अरुण सूद- सड़कों पर उतरने से कोई कानून वापस नहीं होता
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'595 बूथों की कमेटियों का किया गया गठन'
चंडीगढ़ भाजपा अध्यक्ष अरुण सूद ने कहा कि दिसंबर होने वाले नगर निगम की तैयारियां ज़ोरों से चल रही हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव की तैयारियों के दौरान संगठन की मज़बूती पर ज़्यादा ध्यान दिया गया है। भारतीय जनता पार्टी को प्रदेश के छह ज़िलो में बांटा गया है। उन ज़िलों में 35 वार्डों को पार्टी के मॉडलों के हिसाब से गठित किया गया है। इसके पार्टी 595 बूथों की कमेटियों का भी गठन कर लिया है। इसके नीचे पोलिंग स्टेशन (शक्ति केन्द्र) तक में भारतीय जनता पार्टी ने पन्ना केमटी का गठन किया है। अरुण सूद ने बताया कि पार्टी के छह मोर्चे हैं जो मंडल लेवल तक गठित हैं। भारतीय जनता पार्टी के 17 प्रकोष्ठ को भी गठित करने के साथ 27 विभाग को भी गठित किया गया है। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के संगठन को बूथ लेवल से लेकर वोटर लिस्ट के पेज लेवल तक मज़बूत किया गया है। नगर निगम के चुनाव में पिछले छह साल से कॉर्पोरेशन में मेयर भारतीय जनता पार्टी के ही बनते आ रहे हैं। विकास कार्य जो भारतीय जनता पार्टी ने किया है वही चुनाव का मुद्दा रहेगा। इसी के तर्ज़ पर प्रचार प्रसार किया जा रहा है।

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'AAP पास आधार और जनाधार नहीं'
चंडीगढ़ भाजपा अध्यक्ष अरुण सूद ने कहा कि आम आदमी पार्टी ने गुलपनाग को 2014 में सांसद का चुनाव लड़ाया था, लगभग 1 लाख के क़रीब वोट मिला था, उसके बाद गुलपनाग और आम आदमी पार्टी का वजूद नहीं रहा। साल 2019 में आम आदमी पार्टी ने फिर से हरमोन धवन को चुनाव लड़ाया था उन्हें 13 हज़ार से भी कम वोट मिले थे, उनकी ज़मानत ज़ब्त हो गई थी। 2014 में 1 लाख और 2019 में 13 हज़ार वोटों पर आम आदमी पार्टी सिमट गई।

आज की तारीख़ में भी आम आदमी पार्टी के पास ना तो संगठन है और ना ही उनके पास चेहरे हैं। कांग्रेस से आए कुछ लोगों के सहारे आम आदमी पार्टी अपने संगठन को खड़ा करने की कोशिश कर रही है

आम आदमी पार्टी का विकास बारिश के दिनों में दिल्ली की जनता देख चुकी है। उन्होंने आम आदमी पार्टी पर तंज़ कसते हुए कहा कि काठ की हांडी दिल्ली में एक बार चढ़ गई। पंजाब में भी आम आदमी पार्टी पूरी तरह से फेल हुई है और चंडीगढ़ में भी इनका कोई आधार नहीं है। चंडीगढ़ में आम आदमी पार्टी वोट कटुआ है इसके अलावा जनाधार या आधार नहीं है।

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किसानों के हित के लिए बना कृषि क़ानून- अरुण सूद
किसान आंदोलन और किसानों के विरोध प्रदर्शन पर अरुण सूद ने कहा कि जब से यह आंदोलन चल रहा है। चाहे वह सिंधू बॉर्डर, करनाल, चंडीगढ़ या पंजाब में हो, धीरे-धीरे किसान आंदोलन का जनाधार खिसकता जा रहा है। 26 जनवरी की घटना के बाद लोगों में काफ़ी नाराज़गी है।जिस तरह से तिरंगे का अपमान किया गया, लाल किले का अपमान किया गया यह सब मामले जनता को समझ आने लग गए हैं। भारत सरकार ने हमेशा 3 कृषि कानूनों पर अपना मत ज़ाहिर किया है। 2024 तक किसानों की आय को दोगूनी करने वाले यह बिल हैं। किसानों को आत्महत्या से दूर करने वाले बिल हैं। किसानों को क़र्ज़ मुक्त करने वाले बिल हैं। किसानों को दलाली और जमा खोरी से बचाने वाले बिल हैं।

'सड़को पर उतरने से कोई सरकार बिल वापस नहीं लेती'
कुछ लोग जो अर्बन नक्सलाइट हैं, कुछ देश विरोधी ताक़तें या फिर कुछ राजनीतिक पार्टियां जैसे आम आदमी पार्टी या कांग्रेस ये लोग किसानी झंडे के तहत विरोध प्रदर्शन से ओछी राजनीति कर रहे हैं। लेकिन देश में छोटा किसान जो 85 फ़ीसद से ज़्यादा है वह इन बिलों से ख़ुश है और उन्हें इन बिलों से फ़ायदा भी पहुंचेगा। आज की तारीख़ में कृषि बिल सस्पेंडेड है, सरकार ने हमेशा से बात करने के लिए पेशकश की है। कोई भी बिल संसद में बनता है उसपर विचार किया जा सकता है, लेकिन सड़को पर उतरने से कोई सरकार बिल वापस ले लेती है ना तो ऐसा इतिहास में कभी हुआ है और ना ही आगे कभी होगा।

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English summary
Chandigarh BJP President Arun Sood said on the farmers movement – no law is withdrawn by taking to the streets
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