पाकिस्तान ने पहली बार माना अफगानिस्तान में है भारत का रोल, विदेश मंत्री बोले, शांति के लिए चाहिए भारत की मदद
इस्लामाबाद। पाकिस्तान ने पहली बार ऑन रिकॉर्ड इस बात को स्वीकार किया है कि अफगानिस्तान से भारत के हित जुड़े हैं और भारत का भी काफी कुछ दांव पर लगा है। पाकिस्तान के मंत्री का कहना है कि उनका देश अकेले अफगानिस्तान में शांति नहीं ला सकता है क्योंकि यहां क्षेत्रीय देशों के साझा हित जुड़े हुए हैं। यह बयान प्रधानमंत्री इमरान खान की कैबिनेट में विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी की ओर से दिया गया है। पाकिस्तान की तरफ से अभी तक इस तरह का बयान आधिकारिक तौर पर नहीं दिया गया था।
पाकिस्तान को चाहिए मदद
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने नेशनल एसेंबली में शनिवार को दिए बयान में यह अहम बात कही है। कुरैशी ने कहा कि पाकिस्तान अकेले अफगानिस्तान में शांति नहीं कायम कर सकता है। कुरैशी ने कहा, 'प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा है कि अफगानिस्तान में शांति मिलिट्री की मदद से नहीं लाई जा सकती है। आज अमेरिका, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और तालिबान वार्ता के जरिए किसी नतीजे पर पहुंचना चाहते हैं।' कुरैशी ने इसके बाद कहा, 'अफगानिस्तान में शांति की स्थापना के लिए दांवदारों के बीच कुछ मीटिंग्स हुई हैं। भारत भी अफगानिस्तान में दावेदार है और इसका सहयोग अगर जरूरत पड़ी तो चाहिए होगा।'
अमेरिका चाहता है भारत का बड़ा रोल
अमेरिका इस बात की तरफ इशारा कर चुका है कि अफगानिस्तान में उसने भारत को अहम जिम्मेदारी देने की योजना बनाई है। जबकि पाकिस्तान पिछले कई वर्षों से अपने रुख पर कायम था कि भारत को यहां पर कोई भी रोल अदा नहीं करने दिया जाएगा। पाकिस्तान, अफगानिस्तान में भारत के विकास कार्यों को एक रणनीति के तौर पर देखता है। कुरैशी ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री इमरान खान को चिट्ठी लिखी है। इस चिट्ठी में उन्होंने पाकिस्तान से अफगानिस्तान की शांति प्रक्रिया के लिए मदद की अपील की है। कुरैशी की मानें तो पाकिस्तान बहुत पहले से यह करता आ रहा है।
डोनाल्ड ट्रंप ने लिखी भारत को चिट्ठी
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को चिट्ठी लिखी है। इमरान को लिखी चिट्ठी में ट्रंप ने उनसे अफगानिस्तान में शांति लाने वाले प्रयासों के लिए मदद मांगी है। ट्रंप ने इमरान से यह भी अपील की है कि वह अफगानिस्तान में चले आ रहे 17 वर्ष पुराने युद्ध को खत्म करने के लिए तालिबान को वार्ता के लिए राजी करें। चिट्ठी पर पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि अपनी चिट्ठी में ट्रंप ने मदद मांगी है ताकि रुकी हुई अफगान शांति को शुरू किया जा सके।