जलबपुर में कांवड़ियों ने निकाली सबसे बड़ी और अनोखी कांवड़ यात्रा
जबलपुर। सावन माह में कांवड़ यात्रा का अपना विशेष महत्व है। इसी क्रम में जबलपुर में एक ऐसी कांवड़ यात्रा सोमवार को निकाली गई जो एमपी की सबसे बड़ी और ऐतिहासिक कांवड़ यात्रा मानी जा रही है। यह जबलपुर के नर्मदा तट ग्वारीघाट से 35 किलोमीटर दूर मटामर स्थित कैलाश धाम तक निकली। इस यात्रा में हजारों महिलाएं, पुरुष और बच्च्चें कंधे में कावड़ लेकर बम-बम भोले के जयकारे लगाते चल रहे थे।
अनूठी कांवड़ यात्रा
इस यात्रा को देखने के लिए सुबह से ही सड़क के दोनों ओर हजारों श्रद्धालु जमा रहे। संस्कार कावड़ यात्रा समिति द्वारा निकाली गई कांवड़ यात्रा का विहंगम दृश्य जिसने भी देखा दंग रह गया। इस कांवड़ यात्रा को इसलिए भी अनूठा माना जा रहा है, क्योंकि कांवड़िए एक कांवड़ में नर्मदा जल और दूसरे में पौधा रखकर चल रहे थे।
यही सच्ची शिव पूजा...
सावन माह के इस दूसरे सोमवार को संस्कारधानी जबलपुर में अद्भुत नजारा देखने को मिला। हजारो कांवड़ियों की भीड़ देखकर हर कोई अभिभूत व रोमांचित नजर आया। समर्थ भैयाजी सरकार के मुताबिक शिव भक्त नर्मदा जल के साथ पौधे लेकर चल रहे हैं, ये शिव प्रकृति को संदेश देना है। लोगों को जागरुक कर नदी, तालाबों और पेड़ों को बचाना है, यही सच्ची शिव पूजा है।
35
किलोमीटर
कांवड़
यात्रा
कांवड़
यात्रा
का
शुभारंभ
तड़के
उमाघाट
में
धर्मसभा
से
हुआ।
संतों
ने
कांवडियों
को
शिव
को
मनाने
व
नर्मदा
को
बचाने
का
संदेश
दिया।
संकल्प
कराया
कि
हर
भक्त
नर्मदा
किनारे
यह
पौधा
अवश्य
रोपेगा।
लगभग
35
किलोमीटर
लम्बी
कांवड़
यात्रा
में
शिव
भक्तों
का
उत्साह
देखने
लायक
रहा।
कांवड़
यात्रा
के
आयोजकों
का
कहना
था
की
इस
कावंड
यात्रा
के
द्वारा
प्रकृति
और
पर्यावरण
के
प्रति
लोगों
को
सन्देश
दिया
जा
रहा
है।
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