Bina Refinery: डिस्पैच टर्मिनल के बाहर सैकड़ों टैंकरों की लाइन लगी, अंदर नहीं जाने दिया जा रहा
बीना स्थित बीपीसीएल की रिफायनरी के डिस्पैच टर्मिनल के बाहर करीब 300 बड़े टैंकर और कैप्सूल टैंकरों की लाइन लगी है। आगासौद मार्ग पर दोनों तरफ यह लाइन कम होने के बजाय हर रोज बढ़ती जा रही है।
BPCL Madhya Pradesh की भारत ओमन रिफायनरी बीना जब से भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन के अधीन गई है, तब से यहां कई सारे नियम और प्रतिबंध लागू कर दिए गए हैं। हाल ही में एक नया मामला सामने आया है। रिफाइनरी के गेट नंबर 3 के बाहर कई दिनों से गैस, पेट्रोल और डीजल लेने आए टैंकरों व भारी-भरकम कैप्सूल की लाइन लगी है। कुछ टेंकर सैकड़ों टैंकर तो करीब 4 से पांच दिन से बाहर ही खड़े हैं। रिफायनरी प्रबंधन ने अंदर की पार्किंग में इनको पार्क करने की अनुमति नहीं दी जिस कारण ये सड़क किनारे पार्क हो रहे हैं।
Bharat Petroleum द्वारा अधिग्रहित की गई बीना रिफाइनरी के डिस्पैच टर्मिनल पर बाउंड्री के अंदर वाहनों की पार्किंग के लिए बड़ी जगह आरक्षित है, लेकिन बीते कुछ दिनों से वाहनों की अंदर पार्किंग न कराने से डिस्पैच टर्मिनल के गेट नंबर-3 पर आगासौद मुख्य मार्ग के दोनों ओर टैंकर व कैप्सूल की एक किलोमीटर से लंबी कतार लगी हैं। किनारे खड़े इन वाहनों की संख्या तीन सौ से अधिक है। रिफाइनरी में एक-एक कर टैंकरों को प्रवेश की अनुमति दी जा रही है। बता दें कि जितने टैंकर अंदर जाते हैं, उससे कहीं नए टैंकर बाहर लाइन में लग जाते हैं। इस मामले में मीडिया द्वारा सवाल पूछने पर रिफाइनरी प्रबंधन मौन साध गया है।
देश के विभिन्न हिस्सों से आते हैं यहां टैंकर
जानकारी अनुसार बीना रिफाइनरी से पेट्रोल, डीजल, एलपीजी गैस सहित अन्य पेट्रोलियम उत्पाद लेने के लिए बड़ी संख्या में देश के विभिन्न हिस्सों से टैंकर यहां आते हैं। इनमें उत्तरप्रदेश व एमपी, राजस्थान सहित अन्य इलाकों के टैंकर फिलहाल गेट नंबर 3 के बाहर सैकड़ों की संख्या में खड़े हैं। वर्तमान में तकनीकि समस्या की आशंका जताई जा रही है। जिस कारण एक टैंकर को यहां लोड होने में 3 से 4 दिन का समय लग रहा है।
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रिफाइनरी
में
पहले
अंदर
ही
पार्क
कराए
जाते
थे
टैंकर
बीना
रिफाइनरी
में
कई
सालों
से
पेट्रोल,
डीजल
व
एलपीजी
लेने
आने
वाले
टैंकरों
को
पहले
रिफायनरी
के
गेट
नंबर
3
से
अंदर
जाकर
पार्किंग
में
खड़ा
रखा
जाता
था।
यहां
भारी-भरकम
जगह
में
पार्किंग
बनाई
गई
है।
ड्राइवर
व
सहयोगी
स्टाफ
को
अंदर
खाने-पीने
तक
की
सुविधा
मुहैया
कराई
जाती
थी।
वहीं
खाना
भी
बना
लेते
थे।
अब
ठंड
के
समय
भी
रिफाइनरी
गेट
के
बाहर
ही
खुले
खेतों
में
भोजन
आदि
बनाना
पड़
रहा
है।