MP: इस सरकारी दफ्तर में भयानक वास्तुदोष, कुंए पर बना है चैंबर, कार्यकाल पूरा नहीं कर पाते अधिकारी
सागर, 29 सितंबर। मप्र के सागर में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय वास्तुदोष के कारण बदनाम होता जा रहा है। जो भी सीएमएचओ यहां बैठा वह कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया। तालाब के किनारे पुराने डफरिन अस्पताल के जिस भवन में यह कार्यालय मौजूद है, वहां एक कुआं मौजूद है। उसे पाटकर उसके ऊपर बनाए गए चैंबर में ही सीएमएचओ बैठते हैं। जानकार कुंए को लेकर बताते हैं कि यह विकट वास्तुदोष उत्पन्न करता है और मुखिया कभी भी सुखी और शांत नहीं रह सकता। बीते समय पर नजर डाले तो 23 साल में इस कार्यालय में 19 सीएमएचओ आए, लेकिन एक भी कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया। यह पहली बार हुआ कि सीएमएचओ रहते हुए डॉ. एक डॉक्टर की मृत्यु हो गई। डॉ. डीके गोस्वामी का बीते 17 सितंबर की रात असमय निधन हो गया था।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. देवेन्द्र गोस्वामी के निधन के बाद अब सीएमएचओ कार्यालय में मौजूद चैम्बर पर सवाल उठने लगे है। क्योंकि जब से सीएमएचओ ऑफिस किराए के भवन से डफरिन अस्पताल में शिफ्ट हुआ है तब से अब तक कोई भी सीएमएचओ अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सका। नियुक्ति के बाद कोई भ्रष्टाचार में फंसा तो किसी का जनप्रतिनिधियों से सामांजस्य बिगड़ने के कारण तबादला हो गया। इतना ही नहीं यह पहलीबार है जब पद पद रहते हुए एक सीएमएचओ की जान तक चली गई। जानकारी के मुताबिक पिछले 23 वर्षों में यहां 19 सीएमएचओ बदले है। लेकिन कोई भी इस कार्यालय में तीन साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सका।

आधे से अधिक कुआं चैंबर के अंदर, सीसी से ढाला गया है
कार्यालय में जहां सीएमएचओ का चैम्बर है उसके ठीक नीचे एक कुआं बना हुआ है। इस कुंए से आज भी मशीन के जरिए पानी इस्तेमाल किया जाता है। वास्तु शास्त्रियों के अनुसार सीएमएचओ चैम्बर में कुआं जिस दिशा में है उस दिशा में कुआं घर स्वामी के नाश का संकेत होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह दिशा राहू की होती है, इस दिशा में अधिक खुदाई करने से आकस्मिक घटनाक्रम बढ़ जाते हैं। यह कुआं अंग्रेजी शासन काल के समय से यहां मौजूद रहा है।

2009 में किराए के भवन से डफरिन अस्पताल में हुई थी शिफ्टिंग
जानकारी के मुताबिक डफरिन अस्पताल में वर्ष 2009 में सीएमएचओ आफिस शिफ्ट हुआ था इससे पहले यह कार्यालय किराए के भवन में चलता था। वह भी वास्तुशास्त्र के हिसाब से ठीक नहीं था। उस समय सीएमएचओ डॉण् प्रमोद गोदरे थे, जिन्होंने तीन साल का कार्यकाल पूरा कर लिया था, लेकिन नई बिल्डिंग में आने के महज एक साल बाद ही भ्रष्टाचार के आरोप में हटा दिए गए। इसके बाद डॉण् बीके मिश्रा 2 साल, डॉ. सीएल गोस्वामी 4 माह, डॉ. ओपी गौतम एक माह, डॉ. सीएल गोस्वामी डेढ़ साल, डॉ. एजी विनचुनकर 9 माह, डॉ. डीके कौशल डेढ़ साल, डॉ. एनके सैनी 5 माह, डॉ. आईएस ठाकुर 2 साल, डॉ. एसआर रोशन 5 माह, डॉ. एमएस सागर 1 साल, डॉ. आईएस ठाकुर 1 माह, डॉ. एमएस सागर 6 माह, डॉ. एसआर रोशन 7 दिन, डॉ. आईएस ठाकुर 1 साल, डॉ. सुरेश बौद्ध 10 माह और डॉ. डीके गोस्वामी 4 माह ही सीएमएचओ रह सके।
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कुर्सी पर बैठने से पहले डॉण् गोस्वामी ने कराई थी पूजा
बताया जाता है कि जब डॉण् गोस्वामी सीएमएचओ बने थे तो उन्होंने कुर्सी पर बैठने से पहले चैम्बर का पूजा पाठ कराया था और हनुमानजी की फोटो पूरे कार्यालय में लगवाईं थी। क्योंकि उन्हें भी पता था कि अबतक इस कार्यालय में कोई भी सीएमएचओ अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सका है।