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मकर संक्रांति: बुंदेलखंड के सिंहपुर में भी हुआ था जलियांवााल बाग जैसा हत्याकांड

छतरपुर के सिंहपुर में अंग्रेजी शासन के खिलाफ सभा कर रहे लोगों पर कर्नल फिशर ने गोलियां चलवाई थीं। 14 जनवरी 1931 को मकर संक्रांति के दिन नदी किनारे लोग हजारों की तादाद में एकत्रित हुए थे।

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बुंदेलखंड में मकर संक्रहुआ था जलियांवाला बाग जैसा हत्याकांड

Makar Sankranti : बुंदेलखंड में भी एक जलियांवाला बाग जैसा हत्याकांड हुआ था, जिसमें कर्नल फिशर ने सभा कर रहे आजादी के मतवालों पर अंधाधुंध गोलियां चलवाई थीं। आज से 92 साल पहले मकर संक्रांति के दिन 14 जनवरी 1931 को छतरपुर जिले के सिंहपुर में बर्बरता के बाद दर्जनों स्वतंत्रता संग्राम सै​नानियों की जान गई थी। इस स्थान को चरण पादुका ​स्थल नाम दिया गया है। बुंदेलखंड में चरण पादुका शहीद स्मारक स्थल का नाम स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है।

बुंदेलखंड में मकर संक्रहुआ था जलियांवाला बाग जैसा हत्याकांड

मप्र के छतरपुर जिले में नदी किनारे बसे सिंहपुर में 14 जनवरी 1931 को मकर संक्रांति के दिन स्वतंत्रता सेनानियों की एक सभा का आयोजन किया गया था। इसकी भनक उस समय के तत्कालीन अंग्रेजों के एजेंटों को लग गई थी, इसकी खबर कर्नल फिशर तक पहुंचाई गई थी, जो उस समय यहां नजर बनाए हुए था। सैनानियों की इस सभा और जमावड़े को रोकने के लिए यहां पहुंचने वाले प्रमुख मार्गों की नाकेबंदी करा दी गई थी, लेकिन आजादी के मतवाले गोपनीय रास्तों से यहां पहुंचे थे। इतिहासकारों के अनुसार यहां हजारों की तादाद में लोग यहां पहुंचे थे। उस समय अंग्रेज अधिकारी कर्नल फिशर ने इस स्थान को घेरकर चारों तरफ से बंदूकें तनवा दी थी। कुछ युवाओं ने अंग्रेजों का सभा स्थल से तीखा विरोध किया और हमला बोल दिया, जिसके बाद अंग्रेज सैनिकों की तरफ से बंदूकों के मुंह खोल दिए गए थे। जानकार बताते हैं कि मकर संक्रांति के दिन यहां अंग्रेज अधिकारी और उसके सैनिकों ने खून की होली खेली थी। सैकड़ों फायर किए गए थे। गोलियों की तड़-तड़ की आवाज थमने के बाद मौके पर लाशें ही लाशें और खून से जमीन सनी थी। बताया जाता है कि कई दर्जन लोगों की जान गई थी, लेकिन इतिहास के पन्नों में यहां सिर्फ 21 लोगों के नाम अधिकृत रुप से सामने आ पाए हैं। बुंदेलखंड में यह उस दौर का सबसे बड़ा हत्याकांड कहा जाता है। इसे बुंदेलखंड का जलियांवाला कांउ कहा जाता है।
बुंदेलखंड में मकर संक्रहुआ था जलियांवाला बाग जैसा हत्याकांड

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11 शहीदों के नाम सामने नहीं आ सके थे
क्रूर अंग्रेजों द्वारा सिंहपुर में निर्दोषों की हत्या के बाद इस स्थान को चरण पादुका स्थल नाम दिया गया था। इसमें 21 शहीदों के नाम को सामने आए थे, इनके नाम यहां शहीद स्मारक पर अंकित भी किए गए हैं। लेकिन बाकी शहीदों के नाम सामने नहीं आ सके थे। बताया जाता है कि 11 और शहीद थे जिनके नाम का पता ही नहीं चल पाया है। दूसरी तरफ लोगों की मांग के बावजूद भी यहां सरकार या शासन ने शहीद स्मारक का निर्माण नहीं करवाया है। स्थानीय स्तर पर ही इस स्थान को संरक्षित कर यहां छोटा सा स्मारक का स्वरुप दिया गया है। इस जगह को चरण पादुका शहीद स्थल नाम दिया गया हे।

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चरण पदुका शहीद स्थल नाम दिया गया है
आजादी से जुड़े इतिहास के पन्नो में छतरपुर जिले के सिंहपुर अमर शहीद स्थल चरण पादुका स्मारक का नाम स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है। यहां 14 जनवरी 1931 को मकर संक्रांति के दिन अंग्रेजी हुकुमत द्वारा जनता पर अनेक कर लगाने एवं पं. रामसहाय तिवारी की गिरफ्तारी के विरोध स्वरुप एक सभा का आयोजन किया गया था, जिसके सभापति सरजू प्रसाद यादव थे। सभा का संचालन लल्लूराम शर्मा कर रहे थे। अंग्रेजी हुकूमत के विरोध में की जा रही इस सभा की भनक कर्नल फिशर को पहले से लग गई थी। कर्नल फिशर ने सभा स्थल को चारों तरफ से घेरकर गोली चलाने का आदेश दे डाला। इसके बाद सभा स्थल पर दर्जनों की संख्या में लोग शहीद हो गए थे।

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English summary
The Jallianwala Bagh incident of Bundelkhand also happened in 1931 in Singhpur of Chhatarpur. The British fired indiscriminately on the freedom fighters. 21 freedom fighters sacrificed their lives.
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