दतिया मंदिर भगदड़: पुलिस की हैवानियत, जिंदा लोगों को नदी में फेंका, लाशों को भी लूटा
दतिया हादसे के बाद जिस तरह से इस घटना से परतें उठ रही है उसने पुलिस के काम के तरीकों पर सवाल उठा दिया है। भगदड़ में 115 लोगों की मौत हो गई जबकि 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए। मौत का ये आंकड़ा शायद कम हो जाता अगर पुलिस अपने कर्तत्व को सही से निभाती। चश्मदीदों ने पुलिस प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि भगदड़ के बाद पुलिस ने जो किया उसे देखकर सब हैरान रह गए। पुलिस लोगों के लाशों से कीमती सामान लूटती रही। लोगों के लाशों को और कई घायलों को जिंदा ही उठाकर नदी में फेंकती रही।
लोगों ने कहा कि पुलिस द्वारा फेंके गए जिंदा बच्चों में से कई बच्चों को तो गांव वालों ने बचाया। लोगों ने पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा कि शवों को फेंकने से पहले पुलिस वाले शवों से जेवर और और पैसे निकालकर अपनी जेबें भर रहे थे। लोग चिल्ला रहे थे, लेकिन पुलिस वालों पर तो यमराज सवार हो गए थे। वो लोगों को, बच्चों को उठा-उठाकर पुल से नीचे नदी में फेंक रहे थे। जब ये आरोप सबके सामने आया तो पुलिसवाले सीधे-सीधे इसबात से नकार गए। डीजीपी नंदन कुमार दुबे ने कहा कि आरोपों की पड़ताल की जा रही है और अगर इनमें सचाई मिली तो कार्रवाई की जाएगी।
माता के मंदिर से पहले जो हादसा हुआ उसके लिए कई प्रत्यक्षदर्शी ने सीधे-सीधे पुलिस को जिम्मेदार ठहराया है। प्रत्यक्षदर्शियों ने दावा किया है कि पुलिस वालों ने मरने वालों की तादाद छुपाने के लिए कई शवों को नदी में फेंक दिया। लोगों ने ये आरोप भी लगाया कि पुलिसवाले शवों को गाड़ी में भर-भर कर कहीं ले जा रहे थे। हादसे पर कार्रवाई करते हुए मध्य प्रदेश सरकार ने दातिया के डीएम और एसपी समेत 14 लोगों पर कार्रवाई करते हुए उन्हें निलंबित कर दिया है।