बुंदेलखंड : 1842 की क्रांति के जनक शहीद मधुकर शाह बुंदेला की यादों-स्मृतियों को संजोएंगे
सागर, 12 अगस्त। मप्र के सागर जिले की मालथौन के नवनिर्मित पार्क में सन् 1842 के विद्रोह में अंग्रेजों से लोहा लेने वाले अमर शहीद मधुकर शाह बुंदेला की प्रतिमा स्थापित की जाएगी और पार्क का नाम शहीद मधुकर शाह बुंदेला के नाम पर होगा। यह घोषणा नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह की ओर से यहां आजादी के अमृत महोत्सव पर आयोजित देशभक्ति से ओतप्रोत सांस्कृतिक कार्यक्रम में अपने संदेश में की गई। कार्यक्रम में मंत्री प्रतिनिधि लखन सिंह ने शहीद मधुकरशाह बुंदेला नाराहट के वंशज विक्रम शाह बुंदेला का शाल श्रीफल स्मृतिचिन्ह से सम्मान व नागरिक अभिनंदन किया।

आजादी के अमृत महोत्सव के तहत आयोजित कार्यक्रम में प्रसिद्ध गायक अमित गुप्ता ने अपनी देशभक्ति से ओतप्रोत प्रस्तुतियां दीं। गायक अमित गुप्ता ने वंदे मातरम एवं तेरी मिट्टी मे मिल जावां सहित अनेक देशभक्ति के गीत गाए। कार्यक्रम में मंत्री प्रतिनिधि लखन सिंह ने प्रदेश के नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेन्द्र सिंह के संदेश का वाचन किया। कार्यक्रम में क्षेत्र के प्रतिभावान छात्र.छात्राओं का सम्मान किया गया। प्रत्येक प्रतिभावान छात्र को मंत्री भूपेन्द्र सिंह की तरफ से सम्मान स्वरूप पांच हजार रूपएए ट्राफी एवं सम्मान.पत्र प्रदान किया गया।

नगरीय विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने अपने संदेश में कहा कि एक वीर बलिदानी की कहानी यहीं मालथौन क्षेत्र के क्रांतिकारी मधुकर शाह बुंदेला की है जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ तब बहुत बड़ा विद्रोह खड़ा किया जब 1857 की क्रांति भी नहीं हुई थी। 1857 के भी 13 साल पहले मालथौन से 9 किमी पर स्थित नारहट के जागीरदार विजय बहादुर के पुत्रों मधुकर शाह बुंदेला और गनेश जू ने अंग्रेजों की जबरन लगान वसूलने की अत्याचारी व्यवस्था के खिलाफ विद्रोह करके अंग्रेजी पलटन को मालथौन के किले में घेर कर मार डाला था और विद्रोह कर दिया था। इस विद्रोह की आग पूरे बुंदेलखंड में फैल गई थी जिसमें आसपास के सभी राजा, जागीरदार, मालगुजार शामिल हुए।
मधुकर शाह बुंदेला को 22 वर्ष की उम्र में फांसी दी थी
मंत्री श्री सिंह ने बताया कि डेढ़ दो साल तक अंग्रेजों के साथ से इस पूरे इलाके का शासन विद्रोहियों के हाथों में रहा। अंग्रेजों ने जब मधुकर शाह बुंदेला और गनेश जू को गिरफ्तार किया तब विद्रोह शांत हुआ। मधुकर शाह बुंदेला को 22 वर्ष की उम्र में अंग्रेजों ने सागर की जेल के पीछे वाले मैदान में सार्वजनिक रूप से फांसी दी थी। सागर शहर के लोगों को मुनादी करके जबरदस्ती से उनकी फांसी को देखने के लिए अंग्रेजों ने इकट्ठा किया था। आज भी वहां नाराहट के इस वीर बलिदानी की समाधि बनी है। उनके भाई गनेशजू को काला पानी की सजा दी गई जहां उन पर इतना अत्याचार किया गया कि चार साल बाद उनकी भी मृत्यु हो गई। ऐसे वीर बलिदानियों का जन्म इस मालथौन क्षेत्र की गौरवशाली धरती पर हुआ।
महान विभूतियों का जीवन परिचय डिस्प्ले किया जाएगा
उन्होंने अपने संदेश में कहा कि इस अवसर पर मैं दो घोषणाएं कर रहा हूं जिससे हमारे क्षेत्र की महान विभूतियों की स्मृति को स्थायी बनाया जा सके। शहीद मधुकर शाह बुंदेला की भव्य प्रतिमा मालथौन में लगाई जाएगी। मालथौन के पार्क का नाम शहीद मधुकरशाह बुंदेला पार्क होगा। हम सभी मिलकर प्रतिवर्ष शहीद मधुकरशाह बुंदेला का बलिदान दिवस मनाएंगे। दूसरी घोषणा यह कि मालथौन के किले में यहां के बुंदेला शासक की भव्य प्रतिमा स्थापित की जाएगी और उनके जीवन परिचय को डिस्प्ले किया जाएगा।
प्रतिभावान छात्रों का सम्मान किया गया
आजादी के 75वें अमृत महोत्सव कार्यक्रम में क्षेत्र के प्रतिभावान छात्रों में कक्षा 10वीं की रागिनी रायए अनस खानए यशी जैन, अभय राजपूत और कक्षा 12वीं की सांवली साहू और हारिस खान शामिल हैं। इसी प्रकार सीबीएसई बोड से कक्षा दसवीं की सिद्धी समरिद्धी पटैरियाए अनुराग रिछारिया और 12वीं की रिताशी जैन एवं नीलेश कुशवाहा का मंच पर सम्मान किया गया।