यूपी पंचायत चुनाव 2021: आरक्षण का मामला पहुंचा SC, इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को मिली चुनौती
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर एक बार फिर बड़ी खबर सामने आई है। दरअसल, पंचायत चुनाव में आरक्षण लागू करने का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। शनिवार (20 मार्च) को सुप्रीम कोर्ट में इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती देते हुए एक याचिका दाखिल हुई है, जिसमें वर्ष 2015 के आधार पर आरक्षण लागू करने का आदेश दिया था।
ये याचिका याचिकाकर्ता दलीप कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की है। याचिका दाखिल करते हुए हाईकोर्ट के फैसले पर पुन: विचार करने की मांग याचिकाकर्ता दलीप कुमार ने की है। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया है कि हाईकोर्ट में उनका पक्ष नहीं सुना गया। इस बीच, पंचायत चुनाव के लिए हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन के क्रम में नए सिरे से तय पदों के आरक्षण व आरक्षित सीटों के आवंटन की पहली सूची शनिवार को प्रकाशित होना शुरू हो गई।
22 मार्च तक चलने वाले सूची प्रकाशन के इस सिलसिले से उम्मीदवारों की धड़कन बढ़ गई है। 11 फरवरी को पंचायती राज विभाग की ओर से जारी शासनादेश में सीटों का जो आरक्षण तय हुआ था व तीन मार्च को जो पहली सूची जारी हुई थी उससे दावेदारों के समीकरण बदल गए थे। मगर 15 मार्च को 1995 के बजाय 2015 को आधार वर्ष मानने के हाईकोर्ट के आदेश पर यूपी सरकार ने 17 मार्च को नया शासनादेश जारी किया।
उसी शासनादेश के अनुपालन में शनिवार को जारी सूची ने भी पंचायतों के आरक्षण में फिर बदलाव कर दिया। अब तक की व्यवस्था के अनुसार 20 से 23 मार्च के बीच पहली सूची पर दावे व आपत्तियां दाखिल की जा सकेंगी। 24 से 25 मार्च के बीच उनका निस्तारण किया जाएगा। फिर अंतिम सूची तैयार की जाएगी। 26 मार्च को इस अंतिम सूची का प्रकाशन किया जाएगा।
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