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तो क्या अब IAS और MP के बच्चे खायेंगे छिपकली वाला खाना

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लखनऊ। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में उत्तर प्रदेश के अधिकारियों सहित जनप्रतिनिधियों और जज के बच्चों को सरकारी स्कूल में पढाये जाने का आदेश दिया है। लेकिन इस फैसले के बाद प्राइमरी स्कूल की दशा पर बड़ा सवाल उठता है।


हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद सांसदों के बच्चे, आईएएस के बच्चों समेत सभी सरकारी कर्मचारियों के बच्चे प्राइमरी स्कूल में जायेंगे। लेकिन जिस तरह से इन स्कूलों में दिया जाने वाला मिड डे मील विवादों में रहता है क्या इन अधिकारियों के बच्चे भी यह खाना खायेंगे।

स्कूलों में आये दिन मिड डे मील में छिपकली, कॉकरोच मिलने की शिकायत होती है। यही नही विशाक्त खाना खाने की वजह से सैकड़ों बच्चे अस्पताल में भर्ती होते हैं। हाल ही में लखनऊ में विशैला दूध पीने से 100 से अधिक बच्चे अस्पताल ममें भर्ती हुए थे।

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प्राइमरी स्कूलों में शिक्षकों की जानकारी भी सवालों के घेरे में है। मेरठ सहित कई स्कूलों में शिक्षकों को देश के प्रधानमंत्री तक का नाम नहीं पता है। यही नहीं ये शिक्षक अपना नाम तक ठीक से नहीं लिख पाते हैं।

लेकिन कोर्ट के आदेश के बाद यह देखने वाली बात होगी क्या दयनीय स्कूलों में बड़े-बड़े अधिकारियों के बच्चे इन स्कूलों में पढ़ने जाते हैं या सरकार कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखाटायेगी।

English summary
Historic order of High court government officials kids must study at government school, this decision raise several questions on the government.
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