वनइंडिया ने उठाया था जो मुद्दा आज बना हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
इलाहाबाद। देश की शिक्षा व्यवस्था को लेकर वनइंडिया ने जो मुद्दा 9 जून, 2014 को उठाया था, आज इलाहाबाद हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला बनकर उभरा है। वो फैसला है कि जनप्रतिनिधियों, नौकरशाहों, और उच्च पदों पर बैठे अधिकारियों व न्यायधीशों के बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाया जाये। हाईकोर्ट का मानना है कि उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों की दशा को सुधारने के लिए यह एक बेहतरीन विकल्प है।
क्या लिखा था वनइंडिया ने
सभी लोग समझ सकते हैं कि जब जिले के कलेक्टर और एसपी तथा अन्य अधिकारीयों के बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ना आरम्भ कर देंगे, तो उन स्कूल में शिक्षा का स्तर क्या होगा और शिक्षक किस तरह की पढ़ाई वहां करवाएंगे। यह सुझाव तो 100 टके का है, लेकिन इसे मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति इरानी क्या, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी लागू नहीं कर सकते हैं।
कोर्ट का फैसला जिसे लागू करना है छह महीनों में
इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज सुधीर अग्रवाल ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला उत्तर प्रदेश के प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक बेसिक स्कूलों की दुर्दशा को सुधारने के लिए दिया है। कोर्ट ने इस फैसले को लागू कराने के लिए मुख्य सचिव को छह माह का समय दिया है।
इस फैसले से जुड़े मुख्य बिंदु
- अगर सरकारी अधिकारियों सहित जनप्रतिनिधि, जज अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में नहीं पढ़ाते हैं तो उनके खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही करेगी।
- जो भी संबंधित व्यक्ति इस आदेश का पालन नहीं करेगा उसे स्कूल में दी जाने वाली फीस के बराबर धनराशि सरकारी खजाने में हर महीने जमा करानी होगी।
- जो सरकारी अधिकारी सहित अन्य लाभ के पद पर अधिकारी हैं अगर वो अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में नहीं पढ़ाते तो उनकी प्रोन्नति रोक दी जायेगी।
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स्कूलों
की
दशा
को
सुधारने
में
कोताही
बरतने
वाले
अधिकारियों
के
विरुद्ध
कार्रवाई
की
जायेगी।