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विकास दुबे के नाम से खौफ खाती थी कानपुर पुलिस, बिकरू गांव के लोग कैसे खोलते मुंह

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कानपुर। 'शिवली का डॉन' नाम से कुख्यात दुर्दांत अपराधी विकास दुबे के नाम से लोग ही नहीं, बल्कि पुलिस वाले भी खौफ खाते थे। विकास की दहशत पुलिस वालों में इस कदर थी कि राजनाथ सिंह सरकार में राज्यमंत्री रहे संतोष शुक्ला की हत्या के बाद पुलिसकर्मियों ने उसके खिलाफ कोर्ट में गवाही तक नहीं दी थी। तो बिकरू गांव वालों की क्या मजाल जो उसके सामने मुंह खोलते। इस बात का सच कानपुर में जांच करने पहुंची एसआईटी के सामने भी आया।

21 मुकदमों में दोषमुक्त हो गया था विकास

21 मुकदमों में दोषमुक्त हो गया था विकास

बता दें, एसआईटी की टीम कानपुर रविवार को कानपुर पहुंची थी। एसआईटी की टीम ने कानपुर के एसएसपी, एएसपी, बिल्हौर सीओ से विकास दुबे की दबंगई के बारे में पूछा और उसकी हिस्ट्रीशीट दिखाने को कहा। पुलिस ने उसके खिलाफ दर्ज मुकदमों का जो ब्योरा एसआईटी को दिया उसे देखते ही टीम के अधिकारी सब समझ गए। दरअसल, विकास दुबे 61 मुकदमों में से 21 मामलों में दोष मुक्त हो चुका था। 2001 में पूर्व मंत्री संतोष शुक्ला की हत्या में तो पुलिसकर्मी ही गवाही से मुकर गए थे।

ग्रामीणों से भी की पूछताछ

ग्रामीणों से भी की पूछताछ

इस दौरान एसआईटी के अफसरों ने पुलिस अफसरों से कई सवाल जवाब किए। एसआईटी ने विकास दुबे की इस हिस्ट्रीशीट पर रविवार को खूब मंथन किया। कई मुकदमों की फाइल भी देखी। सूत्र बताते हैं कि यही वजह थी कि सोमवार को एसआईटी में शामिल एक अधिकारी ने इन मुकदमों के बारे में ग्रामीणों से भी पूछा। जिसके बाद चौबपुर के नए थानेदार और सीओ के सामने भी ग्रामीण अब खुलकर बोल रहे हैं। इन लोगों ने बताया कि चौबेपुर की पुलिस ने विकास को कई बार गुण्डा एक्ट लगाकर जिला बदर किया। पर, यह सब कागजों पर ही रहा। वह बाकायदा थाने भी जाता था और गांव में ही रहता था।

गैंगस्टर लगा, पर नहीं हुई सम्पत्ति सीज

गैंगस्टर लगा, पर नहीं हुई सम्पत्ति सीज

विकास दुबे के खिलाफ चौबेपुर में पहला मुकदमा वर्ष 1993 में डकैती का दर्ज हुआ। पर, इसमें वह दोषमुक्त हो गया। इसमें पुलिस की ही लापरवाही निकली थी। 1998 में जानलेवा हमले की एफआईआर हुई, पर पुलिस ने दबाव में फाइनल रिपोर्ट लगा दी। 2020 तक उस पर सात बार गैंगस्टर लगा। 2018 में उसके खिलाफ गैरजमानती वारन्ट जारी हुआ। वह फरार ही रहा पर पुलिस ने सम्पत्ति सीज नहीं की और न ही अन्य कार्रवाई। रिटायर आईएएस अधिकारी एसके पाण्डेय कहते हैं कि गैंगस्टर लगने पर धारा 14 (2) के तहत सम्पत्ति सीज करने की कार्रवाई पुलिस को करनी चाहिए।

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English summary
Kanpur encounter case: policemen themselves were afraid of vikas dubey
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