अमेरिका वाले रोज सुबह-शाम करते हैं राजस्थान के फलोदी तक का सफर! IPS ने शेयर की जानकारी
जोधपुर, 20 मई। अमेरिका के लोग रोज सुबह-शाम राजस्थान के जोधपुर जिले के फलोदी तक का सफर करते हैं। सुनने में भले ही अजीब लग रहा हो, मगर यह सच है। शुरुआत में तो राजस्थान कैडर के आईपीएस अधिकारी अनिल पालीवाल भी चौंक गए थे। फिर पूरा माजरा समझ आया और मौका मिला तो सोशल मीडिया पर इसे शेयर करने से भी नहीं चूके।
अमेरिका से फलोदी की दूरी 10 हजार किमी
राजस्थान पुलिस में एडीजी अनिल पालीवाल ने शुक्रवार को अपने ट्विटर हैंडल पर एक तस्वीर शेयर की है, जो न्यूज कटिंग है। खबर का सार यह है कि अमेरिका के लोगों का रोजाना फलोदी आना-जाना लगा रहता है। अमेरिका से फलोदी की दूरी करीब 10,925 किलोमीटर है। ऐसे में रोजाना आना-जाना कैसे संभव? इस सवाल के जवाब के पीछे की स्टोरी बड़ी दिलचस्प है।
फलोदी से दस किमी दूर है न्यू अमेरिका
दरअसल, जोधपुर जिले की फलोदी तहसील मुख्यालय से करीब दस किलोमीटर दूर स्थित है गांव लोर्डिया। ऐसे में लोर्डिया (न्यू अमेरिका) से बहुत लोग सुबह रोजगार के सिलसिले में फलोदी आते हैं और शाम को लौट जाते हैं। 300 साल पहले बसे गांव लोर्डिया को 'न्यू अमेरिका' के नाम भी जाना जाता है। साल 1951 में होली के मौके पर आयोजित मुशायरे में गांव लोर्डिया को 'न्यू अमेरिका' नाम मिला था, जो वर्तमान में पहचान बनाए हुए है।
एक बार इसी गांव के एक निवासी के बारे में एक सज्जन बोले सुबह अमेरिका से फलोदी आते हैं और शाम को वापस अमेरिका चले जाते हैं, मैंने दिमाग पर जोर डाला ऐसी कौन सी यातायात व्यवस्था है! बाद में बताया इन के गांव को ही अमेरिका बोलते हैं 😃😃 ( समाचार साभार राजस्थान पत्रिका 20.05.2022) pic.twitter.com/kpH1R10Do7
— Anil Paliwal IPS (@AnilPaliwalips) May 20, 2022
एडीजी अनिल पालीवाल का ट्वीट
इधर, मूलरूप से जोधपुर के रहने वाले अनिल पालीवाल 1994 बैच के आईपीएस हैं। इन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि 'एक बार इसी गांव के एक निवासी के बारे में एक सज्जन बोले सुबह अमेरिका से फलोदी आते हैं और शाम को वापस अमेरिका चले जाते हैं, मैंने दिमाग पर जोर डाला ऐसी कौन सी यातायात व्यवस्था है! बाद में बताया इनके गांव को ही अमेरिका बोलते हैं।
लोर्डियो को ऐसे मिला न्यू अमेरिका नाम
मीडिया से बातचीत में गांव लोर्डिया के प्रथम शिक्षक व इतिहासकार कन्हैयालाल जोशी के अनुसार लोर्डिया गांव का नाम न्यू अमेरिका पड़ने के पीछे साल 1951 को होली पर आयोजित मुशायरे में दो राजनीतिक दलों से जुड़े लोगों के बीच तुकबंदी रही। कम्युनिस्ट नेता स्वतंत्रता सेनानी गोपीकिशन ने चीन बढ़ती ताकत का जिक्र करते हुए अपनी कविता 'चीन में बेली म्हारो रातों सूरज उगा रहे' पढ़ी।
वहीं दूसरे दल के हीरालाल कल्ला, तुलसीदास कल्ला, शिवकरण करण बोहरा, बिलाकीदास बोहरा व बंशीलाल कल्ला ने चीन को पटखनी देने के लिए ताकत दिखा रहे अमरीका का उल्लेख कर लोर्डिया को 'न्यू अमरीका' नाम दे दिया, जो धीरे-धीरे इस गांव की पहचान बन गया।
न्यू अमेरिका के नाम से मिल जाती है टिकट
गांव लोर्डिया की सरपंच के भतीजे पवन ओझा बताते हैं कि मैं तो बचपन से गांव के दो नाम सुनता आया हूं। एक लोर्डिया और दूसरा न्यू अमेरिका। दस्तावेजों में लोर्डिया में लिखा हुआ है जबकि मौखिक रूप से इसकी न्यू अमेरिका के रूप में भी पहचान है। जोधपुर रोड स्थित गांव लोर्डिया में आने के लिए अगर रोडवेज बस कंडक्टर से न्यू अमेरिका की टिकट ली जाए तो वो लोर्डिया की ही मिलेगी।
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