IIT जोधपुर का कोविड-19 पर रिसर्च, गंध महसूस नहीं हो रही है तो हो सकता है कोरोना
जोधपुर। दुनियाभर में कोरोना वायरस का कहर लगातार जारी है। 27 अप्रैल तक विश्व में 29 लाख 73 हजार लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 8 लाख 68 हजार की मौत हो गई। भारत में भी कोविड-19 का संक्रमण तेजी से फैल रहा है। राजस्थान भी इससे अछूता नहीं है। राजस्थान प्रदेश में कोरोना पॉजिटिव मरीजों का आंकड़ा 2234 तक पहुंच गया है। 46 लोग मारे जा चुके हैं। कोरोना संकट में पूरी दुनिया में कोरोना वायरस की वैक्सीन को लेकर रिसर्च चल रहा है। इस बीच राजस्थान के दूसरे सबसे बड़े शहर जोधपुर स्थित आईआईटी की टीम कोरोना को लेकर बड़ा रिसर्च किया है।
जोधपुर के आईआईटी प्रोफेसर सुरजीत घोष की टीम का रिसर्च
जोधपुर के आईआईटी प्रोफेसर सुरजीत घोष व उनकी टीम द्वारा किए गए रिसर्च से माना जा रहा है कि इससे आने वाले समय में कोरोना की ड्रग और वैक्सीन बनाने के दौरान काफी मदद मिलेगी। खासकर उन केस में, जिनमें कोरोना पॉजिटिव व्यक्ति में लक्षण तक नजर नहीं आते हैं। जोधपुर के आईआईटी प्रोफेसर डॉ. सुरजीत घोष और उनकी टीम ने रिसर्च में बताया है कि कोराना वायरस शरीर में मौजूद एंजाइम एचएसीई-2 से होकर शरीर में प्रवेश करता है। यह एंजाइम लगभग सभी मानव अंगों में पाया जाता है।
ऐसे दिमाग तक पहुंचता है कोरोना वायरस
नाक और मुंह के रास्ते एचएसीई-2 के संपर्क में आने के बाद वायरस दिमाग के अगले हिस्से में स्थित ओलफैक्ट्री बल्ब तक पहुंच जाता है। ओलफैक्ट्री बल्ब के म्यूकोसा की तंत्रिकाएं अंदर ही अंदर नाक के ऊपर से होकर गले तक आती हैं। गंध की पहचान का काम ओलफैक्ट्री बल्ब ही करता है। इसलिए जब वायरस उसे नुकसान पहुंचाता है तो मरीज के गंध पहचानने की क्षमता समाप्त हो जाती है। कोरोना वायरस का संक्रमण अधिकतर खतरा धूम्रपान व पार्किंसन सहित कई बीमारियां से ग्रसित लोगों को अधिक है।
स्वाद पहचानने की क्षमता भी प्रभावित
इस फंडामेंटल रिसर्च के बाद शोध में कहा गया है कि कोरोना वायरस रक्त और दिमाग के बीच बनी दीवार को पार कर दिमाग में प्रवेश कर दिमाग के पिछले हिस्से में स्थित मेडुला ओब्लोंगेटा को भी नष्ट कर सकता है। दिमाग का यही भाग श्वसन, दिल व रक्त वाहिनियों के कार्य को नियंत्रित करता है। शोध पत्रिका एसीएस केमिकल न्यूरोसाइंस में प्रकाशन के लिए स्वीकृत इस शोध पत्र में कहा गया है कि कोरोना संक्रमित बिना लक्षण वाले मरीजों की भी गंध और स्वाद पहचानने की क्षमता प्रभावित हो सकती है।
दुनियाभर के शोध पत्रों का गहन अध्ययन
आईआईटी जोधपुर के डायरेक्टर शांतनु चौधरी ने बताया कि उनके यहां की टीम के रिसर्च में कोरोना वायरस को लेकर कई नतीजे निकले हैं। यह रिसर्च बिना लक्षण वाले कोरोना पॉजिटिव मरीजों की पहचान व उनके इलाज में काफी मददगार साबित होगा। आईआईटी जोधपुर के प्रोफेसर सुरजीत घोष ने बताया कि हमारी कोशिश यही है कि कोविड-19 महामारी में मानव जाति के कल्याण की दिशा में अपना योगदान दे। नौ अप्रैल को दुनियाभर से कोविड-19 के बारे में जो शोध पत्र आए उनका गहन अध्ययन किया है। फिर हमारी टीम ने अपने तरीके से रिसर्च करके गंध समाप्त हो जाने वाला नतीजा निकाला है।
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