'MBA मछली वाला', 10 साल काम कर छोड़ दी नौकरी, हर महीने लाखों कमा रहे निशांत
रांची के रातू निवासी निशांत कुमार ने नौकरी छोड़ मछली पालन का व्यापार किया और उनकी ज़िंदगी ही बदल गई। वह खुद तो आत्मनिर्भर बने ही इसके साथ ही दूसरे लोगों को भी रोज़गार उपलब्ध करवा रहे हैं।
रांची, 17 सितंबर 2022। देश भर में बेरोज़गारी की समस्या से युवा जूझ रहे हैं। वहीं कुछ युवक रोजगार होते हुए भी नौकरी छोड़ कर व्यापार कर रहे हैं। नौकरी छोड़ कर व्यापार से हर महीने लाखों रुपये की कमाई भी कर रहे हैं। आज हम आपको रांच के रहने वाले निशांत की कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने एमबीए प्रोफेशनल होते हुए 10 सालों तक नौकरी की। नौकरी छोड़कर रिस्क लेने के बाद आज वह कामयाब लोगों की फेहररिस्त में शुमार किए जा रहे हैं।
हर महीने हो रही 11 लाख रुपये की कमाई
रांची के रातू निवासी निशांत कुमार ने नौकरी छोड़ मछली पालन का व्यापार किया और उनकी ज़िंदगी ही बदल गई। वह खुद तो आत्मनिर्भर बने ही इसके साथ ही दूसरे लोगों को भी रोज़गार उपलब्ध करवा रहे हैं। साल 2018 में निशांत कुमार ने मछली पालन शुरु किया और आज की तारीख में वह करीब 11 लाख रुपये हर महीने कमा रहे हैं। वह बड़े पैमाने पर बायोफ्लॉक, जलाशय, पेन और पॉन्ड कल्चर के ज़रिए मछली पालन कर रहे हैं। इसका साथ ही दूसरों लोगों को भी इसकी जानकारी मुहैय्या करते हुए मछली पालन के व्यापार के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
इंडोनेशिया से सीख कर आए थे मछली पालन तकनीक
निशांत कुमार मछली पालन की तकनीक इंडोनेशिया से सीख कर आए थे। वह कई तरीक़े से मछलियां पाल रहे हैं। निशांत की मानें तो मछली पालने के लिए तालाब होना ज़रूरी नहीं है। दूसरे तरीक़े से भी मछली पालन किया जा सकता है। आर्टिफिशियल टंकी में भी मछली पालन हो सकता है, इसे आर्टिफिशियल तालाब भी कह सकते हैं। इस पद्धति को बायोफ्लॉक का टर्म दिया गया है। यह एक आर्टिफिशियल टंकी (तालाब) है, इसमे 15 हजार लीटर पानी में करीब 300 किलो मछली पाली जा सकती है।
एक बायोफ्लॉक में 1500 रुपये प्रति माह का ख़र्च
आर्टिफिशियल तलाब में मोनोसेक्स तेलापिया, पंगास, वियतनामी कोई, कतला, मृगल कार्प, रोहू, सिल्वर ग्रास कार्प, गोल्डन कार्प, देसी मांगुर के अलावा कई और प्रजाति की मछलियों का पालन किया जा सकता है। एक बायोफ्लॉक में मछलियों के पालने के खर्चे की बात करें तो 1500 रुपये तक हर महीने खर्च हो जाता है। तीन महीने में मछली बाजारों में सप्लाई करने लायक हो जाती है। बायोफ्लॉक में क़रीब 300 ग्राम वजन तक की मछली तीन महीने तैयार हो जाती है। वज़न के हिसाब बाज़ारों से मछलियों की डिमांड आती है।
सरकार की तरफ से मिल रही है सब्सिडि
निशांत कुमार ने बायो फ्लॉक समेत अन्य माध्यम से मछली पालन का व्यापार शुरु किया। आज की तारीख में वह 74 बायो फ्लॉक और अन्य पद्धति से रोज़ाना क़रीब 300 किलो मछली बाजारों में सप्लाई कर रहे हैं। एक दिन में वह करीब 36 हज़ार रुपये की मछली बाज़ारों में सप्लाई कर रहे हैं। निशांत कुमार के मछली पालन के ज़रिए 7 लोगों को सीधे तौर पर रोज़गार मिला है। वहीं 40 और लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला है। आपको बता दें कि मछली पालन के लिए सरकार की तरफ से भी सब्सिडि दी जा रही है। ग़ौरतलब है कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत निशांत को 40% सब्सिडी दी गई।
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