झारखंड सरकार का बड़ा फैसला, धनबाद और बोकारो में क्षेत्रीय भाषा के तौर पर मगही व भोजपुरी को हटाया गया
रांची। झारखंड में भाषा को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। इसके चलते सरकार ने भाषा विवाद को लेकर बड़ा फैसला लिया है। झारखंड के धनबाद और बोकारो जिला से भोजपुरी और मगही भाषा की मान्यता समाप्त कर दी है। इस संबंध में सरकार ने शुक्रवार की देर रात को आदेश भी जारी कर दिया। झारखंड सरकार के कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग ने इस बाबत अधिसूचना जारी कर दी है। इस नए आदेश में झारखंड सरकार ने नए आदेश में हर जिले की क्षेत्रीय भाषा में उर्दू को शामिल कर लिया है।
Jharkhand government rolled back Bhojpuri and Magahi as regional languages from Bokaro and Dhanbad districts; issues new notification of district-wise regional languages pic.twitter.com/SvkcJcSnLt
— ANI (@ANI) February 19, 2022
रांची की क्षेत्रीय भाषाओं की सूची में नागपुरी, पंचपरगनिया, उर्दू, कुरमाली और बंगला को रखा है। वहीं लोहरदगा, गुमला और सिमडेगा की क्षेत्रीय भाषा में उर्दू और नागपुरी भाषा को रखा गया है। जबकि पश्चिमी और पूर्वी सिंहभूमि जिले की भाषाओं में कुरमाली, उर्दू और उड़िया को रखा है। हालांकि लातेहार में मगही, पलामू और गढ़वा जिले में मगही व भोजपुरी को क्षेत्रीय भाषाओं की सूची में रखा गया है।
धनबाद और बोकारो में जिला स्तर पर भोजपुरी और मगही भाषा को हटाने को लेकर सत्ताधारी दल जेएमएम ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और गठबंधन में शामिल कांग्रेस से मांग की थी। समय के साथ बढ़ते भाषा के विवाद को देखते हुए झारखंड मंत्रालय में अहम बैठक हुई। इंडियन एक्सप्रेस के एक लेख के अनुसार, बोकारो और धनबाद जिले में नियुक्तियों के लिए झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) की परीक्षाओं में भोजपुरी और मगही को शामिल करने को लेकर राज्य के कई हिस्सों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो रहे थे।
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रांची और गिरिडीह में फैले विरोध प्रदर्शन हेमंत सोरेन सरकार द्वारा पिछले साल दिसंबर में परीक्षाओं के माध्यम से मैट्रिक और इंटरमीडिएट के उम्मीदवारों के चयन के संबंध में एक अधिसूचना जारी करने के बाद शुरू हुए थे। अधिसूचना में धनबाद और बोकारो जिलों में भोजपुरी और मगही को क्षेत्रीय भाषाओं के रूप में शामिल किया गया था।