झांसी: खेल-खेल में जिंदा जल गए दो मासूम, परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल
झांसी। उत्तर प्रदेश के झांसी जिले में एक दर्दनाक हादसा हुआ है। यहां दो मासूम भाई-बहन की जलकर मौत हो गई। दोनों भाई-बहन अपनी एक बड़ी बहन के साथ मचान पर खेल रहे थे, तभी खेल-खेल में माचिस जल गई। माचिस जलने से घास-फूस से बने मचान में आग लग गई, जिसमें दोनों बुरी तरह झुलस गए। गंभीर हालत में दोनों को इलाज के लिए गुरसरांय सामुदायिक केन्द्र ले जाया गया, जहां दोनों ने दम तोड़ दिया।
जानकारी के अनुसार, मामला झांसी के ककरबई थाना क्षेत्र के सिया गांव का है। गांव निवासी करन के तीन बच्चे है। जिसमें बड़ी बेटी 4 वर्षीय संजना, ढाई वर्षीय बेटी सिम्मी और डेढ़ वर्षीय विशाल है। करन अपनी पत्नी के साथ मकान में था। तीनों बच्चे मकान के पास बना मचान पर खेल रहे थे। बता दें कि मकान के पास बना मचान व उसके नीचे बने टपरा में जानवर भी बांध दिए जाते हैं, पर दोपहर होने के कारण जानवर जंगल में गए हुए थे।
खेल-खेल में माचिस जल गई और घास-फूस से बने मचान में आग लग गई। चार साल की बच्ची संजना यहां से कूदकर मां-बाप को बुलाने के लिए दौड़ी भी, लेकिन तब तक दोनों जल चुके थे। आंखों के सामने कलेजे के टुकड़ों को आग की लपटों में जलते, छटपटाते, चीखते देखकर दहल उठा। उन्हें जैसे-तैसे निकाला गया। उनकी हालत देखकर मां व कुछ अन्य महिलाएं गश खाकर गिर गईं। पिता भी बदहवास था।
गंभीर हालत में दोनों को इलाज के लिए ग्रामीण गुरसरांय सामुदायिक केन्द्र ले जाया गया, जहां दोनों ने दम तोड़ दिया। बच्चों की मौत की पुष्टि होते ही पूरा गांव दहल गया। किसी भी घर में चूल्हा नहीं जला। ग्राम सिया में आग से जिंदा जलकर हुई दो बच्चों की मौत के बाद मातमी सन्नाटा है। वहीं, इस हृदय विदारक घटना से परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है। करनपाल बताते हैं कि वह घर में खाना खा रहे थे, इसी दौरान आग आग चिल्लाने की आवाज आई। आंगन में निकल कर देखा तो दोनों बच्चे आग से घिरे हुए बचाओ बचाओ चिल्ला रहे थे। वहीं, इस घटना के बाद दादा देवीदीन और दादी कमली का बुरा हाल है, पूरे गांव के लोग परिजनों को सांत्वना दे रहे हैं। इन बच्चों के पिता करनपाल का रो-रोकर बुरा हाल है।
मौत
से
थोड़ी
देर
पहले
मांगे
थे
बिस्किट
उन्होंने
रोते
हुए
बताया
कि
वह
सुबह
नौ
बजे
जब
गुरसराय
काम
से
जा
रहे
थे
तो
दोनों
बच्चे
साथ
चलने
की
जिद
करने
लगे।
किसी
तरह
उन्हें
समझाया
तो
दोनों
ने
पिता
से
शर्त
रख
दी
कि
उन्हें
साथ
नहीं
ले
जा
रहे
हैं
तो
लौटते
समय
बिस्किट
लेते
आना।
एक
घंटे
बाद
करनपाल
खाना
खाने
बैठ
गए
और
इसी
दौरान
बच्चे
सामने
बने
मचान
पर
खेलने
चले
गए।
बिस्किट
के
पैकेट
थैले
में
ही
रखे
थे
कि
बच्चे
खेलकर
आएंगे
तो
उन्हें
दे
दिए
जाएंगे।
पर,
किसे
मालूम
था
कि
अपने
पिता
से
जो
आखिरी
फरमाइश
सिम्मी
(3)
और
विशाल
(2)
ने
की
थी
वह
उसे
पूरा
किए
बिना
ही
इस
दुनिया
से
विदा
ले
लेंगे।
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