जम्मू और कश्मीर में 70,000 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट पर काम, निवेश के लिए देश में Top पसंद बनने की राह पर
जम्मू और कश्मीर में 10,000 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है और करीब 60,000 करोड़ रुपए के निवेश के प्रस्ताव विभिन्न प्रक्रियाओं की दौर में हैं। जम्मू और कश्मीर के सूचना और जनसंपर्क विभाग के एक अधिकारी की ओर से यह जानकारी दी गई है। यह इस बात का गवाह है कि जम्मू-कश्मीर सरकार की ओर से निवेशकों को आकर्षित करने के अभियानों को अच्छी सफलता मिल रही है। जम्मू-कश्मीर सरकार की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक आजादी के बाद से केंद्र शासित प्रदेश में अबतक जितने निजी निवेश देखने को मिले थे, उसके चार गुना सिर्फ तीन साल में ही हो रहे हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह आर्टिकल 370 को संविधान से हटाया जाना बताया गया है।

जम्मू-कश्मीर में बदल गया है इंवेस्टमेंट इकोसिस्टम
जम्मू और कश्मीर सरकार की ओर से नया जम्मू और कश्मीर के नाम से जारी आधिकारिक विज्ञप्ति के मुताबिक आर्टिकल 370 के हटाने के बाद से इस केंद्र शासित प्रदेश के इंवेस्टमेंट इकोसिस्टम में काफी बदलाव आ गया है। हजारों नए उद्यमी यहां अपना यूनिट स्थापित कर रहे हैं और निवेश के क्षेत्र में रोल मॉडल बनकर उभर रहे हैं। सरकारी बयान में कहा गया है कि उद्यमियों के लिए संघर्ष के दिन अब बीत चुके हैं और अपने उपक्रम लगाने की इच्छा रखने वाले युवाओं को सरकार की विभिन्न योजनाओं की मदद मिल रही है और उनके सपनों को पूरा करने के लिए हर तरह की सहायता उपलब्ध करवाई जा रही है। जम्मू-कश्मीर में निवेश करने वाले निजी निवेशकों में देश के भी लोग हैं और विदेशों के निवेशक भी शामिल हैं।

जम्मू-कश्मीर में नए इंडस्ट्रियल एस्टेट तैयार हो रहे हैं-सरकार
जम्मू-कश्मीर सरकार के अनुसार नए इंडस्ट्रियल एस्टेट तैयार हो रहे हैं और पिछले दो साल में ही 3,300 से ज्यादा आवेदनों को मंजूरी दी गई है, जिनमें से 1,879 आवेदकों के हक में लेटर ऑफ इंटेंट जारी किए जा चुके हैं। जबकि, 260 आवेदकों के पक्ष में लीज डीड का भी निष्पादन किया जा चुका है। 111 इंडस्ट्रियल एस्टेट में संभावित यूनिट होल्डर्स को 9,869 कनाल जमीन भी आवंटित की गई है। इन यूनिट होल्डरों ने इसके बदले सरकारी खजाने में 217 करोड़ रुपए जमा किए हैं। सरकारी बयान के अनुसार रियल एस्टेट समिट के दौरान कई बिल्डरों ने भी केंद्र शासित प्रदेश में निवेश में दिलचस्पी दिखाई है।

देश में टॉप निवेश डेस्टिनेशन बनने की राह पर जम्मू-कश्मीर
देश की आजादी के बाद से जम्मू-कश्मीर को निजी निवेश के रूप में सिर्फ 14,000 करोड़ रुपए प्राप्त हुए थे। लेकिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की निजी दिलचस्पी और नए औद्योगिक विकास कार्यक्रम के शुरू होने की वजह से सिर्फ एक ही साल में यूटी को 56,000 करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। सरकारी बयान के अनुसार, जम्मू और कश्मीर देश में टॉप निवेश डेस्टिनेशन बनने की ओर अग्रसर है, क्योंकि यह विभिन्न इंफ्रास्ट्रचर प्रोजेक्ट के लिए तैयार हो रहा है और कई फोरम और औद्योगिक शिखर सम्मेलनों के जरिए घरेलू और विदेशी निवेशकों को आकर्षित कर रहा है।

जम्मू-कश्मीर में औद्योगिक विकास का स्वर्ण युग शुरू-सरकार
सरकारी बयान में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के नेतृत्व की भी सराहना की गई है, जिनकी वजह से जमीन पर बदलाव नजर आने लगा है, जो कि यूटी के लोगों के हित में है। जम्मू-कश्मीर सरकार को केंद्र शासित प्रदेश की दोनों मीडिया सिटी में हेल्थकेयर प्रोजेक्ट स्थापित करने के लिए भी दर्जनों प्रस्ताव मिले हैं। इनमें दुबई की कंपनियां जैसे कि EMAAR ग्रुप, Noon.com, अल माया ग्रुप, GL Employment, MATU इंवेस्टमेंट के अलावा कई कंपनियां शामिल हैं। जम्मू-कश्मीर सरकार का दावा है कि यह अपनी प्रगतिशील औद्योगिक नीति की वजह से 72 वर्षों में जितना निवेश ला सका था, उसके मुकाबले सिर्फ तीन वर्षों में 4 गुना ज्यादा निवेश लाने में सक्षम हुआ है। विज्ञप्ति के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नई औद्योगिक विकास नीति के की वजह से जम्मू-कश्मीर में औद्योगिक विकास का स्वर्ण युग शुरू हुआ है। इसकी वजह से विभिन्न क्षेत्रों में औद्योगिक और बिजनेस कंपनियों के शुरू होने के अवसर तो बढ़े ही हैं, युवाओं के लिए रोजगार के मौके भी तैयार हो रहे हैं।
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रोजगार के लाखों अवसर पैदा होने की संभावना
आधिकारिक बयान में दावा किया गया है कि पिछले तीन सालों में, सरकार ने निवेशकों के लिए व्यापार-अनुकूल वातावरण बनाया है और जम्मू-कश्मीर उद्योग और बाकी व्यावसायिक उद्यम स्थापित करने के लिए पसंदीदा स्थान के रूप में उभर कर सामने आया है। प्रधानमंत्री की नई औद्योगिक विकास नीति के माध्यम से जम्मू-कश्मीर के युवाओं की आकांक्षाएं देश की मौजूदा आकांक्षाओं के साथ जुड़ गया है। सरकार की गंभीरता के चलते हाल ही में घोषित नई औद्योगिक नीति को लेकर जबर्दस्त प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है, जिसके चलते रोजगार के लाखों अवसर पैदा होंगे। (इनपुट-एएनआई)