ABVP के राष्ट्रीय अधिवेशन में बाबा रामदेव बोले, पूरे देश में लागू किया जाए जनसँख्या नियंत्रण कानून
योग गुरु स्वामी रामदेव ने कहा है कि देश में बहुत जल्द जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू हो ही जाना चाहिए। उत्तराखंड से अभी समान नागरिक संहिता वाला कार्यक्रम चल रहा है। एक देश एक कानून होना ही चाहिए। वह हो ही जाएगा। देश में बड़े परिवर्तन घटित हो चुके हैं। 140 करोड का भारत हो चुका है। थोड़े दिनों में डेढ़ सौ करोड़ भी पहुंच जाएगा। स्वामी रामदेव शुक्रवार को छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय अधिवेशन के उद्घाटन के अवसर पर बोल रहे थे। स्वामी रामदेव ने कहा कि मैं भी कभी-कभी 370 के बारे में सोचता था। सोचता था। राम मंदिर हमारी आंखों के सामने बनेगा क्या। देश में हिंदू अपने गौरव व स्वाभिमान के साथ जी पाएगा। वह हमारी आंखों के सामने हो गया है।
विद्यार्थियों को कहा ठोक कर करो आंदोलन
योगगुरु ने कहा कि आप में से कई लोग पढ़ाई में आगे हैं। लेकिन आंदोलन भी ठोक कर करते हैं। दोनों काम ठीक से करना। पढ़ाई में भी अच्छे नंबर आने चाहिए। मैं भी पढ़ाई में नंबर वन रहा। आंदोलन की बात आई तो उस खानदान की जड़े हमने ऐसी हिलाई कि बेचारे आज तक माफी मांगते घूम रहे हैं। अब इससे ज्यादा मैं नहीं बोलूंगा वैसे ही सब समझ जाते हैं।
ज्यादा सोशलिज्म देखना है तो किम जोंग के पास जाएं
रामदेव ने कहा कि भारत में पैदा होकर सेकुलरिज्म, कम्युनिज्म का पाठ पढ़ाने वाले कम्युनिस्ट एक बार शी जिनपिंग के पास चले जाएं। ज्यादा ही सोशलिज्म देखना है तो किम जोंग के पास चले जाएं। पता चल जाएगा। मैं तर्क से उत्तर दे रहा हूँ। सोशलिज्म और कम्यूनिज्म के नाम पर बौद्धिक बीमार इंटेलेक्चुअल दिवालिया हैं।
राम कृष्ण से खून का रिश्ता
रामदेव ने कहा कि श्री राम तथा श्री कृष्ण से हमारा खून का रिश्ता है। हम ऋषि, मुनियों, ज्ञानियों और महान पराक्रमियों की संतान हैं। यह विद्यार्थी परिषद का भारत बोध है। विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं को वोकल फॉर लोकल और लोकल फॉर ग्लोबल के कार्य को करने का जिम्मा अपने कंधों पर उठाना होगा। यह आप युवा शक्ति ही कर सकते हैं। जिंदगी में आपको कुछ बड़ा करना है तो वह पराक्रम से होता है।
भेदभाव हमारी संस्कृति में नहीं
स्वामी रामदेव ने कहा कि हमने कभी भेदभाव नहीं किया। ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र, दलित, आदिवासी और वनवासी के नाम पर लोगों ने जातियों के नाम पर हिंदू समाज को बांटा है। हमारे शरीर में सिर ब्राह्मण हैं। भुजाएं क्षत्रिय हैं। इसी शरीर में वैश्य और क्षूद्र भी हैं। जो पवित्र है। उसे क्षूद्र कहते हैं। भारतीय संस्कृति में कभी भी जाति के नाम पर स्त्री पुरुष के नाम पर पक्षपात नहीं किया गया। संस्कृत में लिखी हर बात भारत की संस्कृति नहीं है।