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उत्तरकाशी हादसा: बंद हो गया 7 जन्मों तक साथ जीने का ‘पन्ना’, अब सिर्फ यादों की भीड़ जमा है

उत्तरकाशी बस हादसे में यहाँ के 24 तीर्थ यात्री अब यादें बन चुके है। परिजनों को नहीं पता था कि तीर्थ यात्रा पर जा रहे उनके अपने अनंत यात्रा पर निकल जाएंगे और छोड़ जाएंगे तो सिर्फ ‘यादों’ की भीड़।

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पन्ना, 08 जून: उत्तरकाशी में हुए बस हादसे का शिकार दो दर्जन लोगों के घरों में अब यादों की भीड़ जमा है। खामोश है पन्ना जिले के वो नौ गांव जहाँ से तीर्थ यात्रियों का जत्था धर्म-यात्रा के लिए निकला था। एक साथ जली चिताओं की राख ठंडी होने के बाद भी रह-रहकर घरवालों को, हादसे की आग उनके दिल को जला रही है। मृतक परिवार के परिजनों को सरकार की तरफ से आर्थिक मदद के चेक भी सौपें गए। कांग्रेस के दिग्गज नेता भी पहुंचे और उन्होंने शोक संतृप्त परिवार को सांत्वना दी।

नौ गांवों की ख़ामोशी ओढ़े हुए ‘पन्ना’

नौ गांवों की ख़ामोशी ओढ़े हुए ‘पन्ना’

उत्तरकाशी बस हादसे में यहाँ के 24 तीर्थ यात्री अब यादें बन चुके है। परिजनों को नहीं पता था कि तीर्थ यात्रा पर जा रहे उनके अपने अनंत यात्रा पर निकल जाएंगे और छोड़ जाएंगे तो सिर्फ 'यादों' की भीड़। जिन नौ गांव के परिवार के सदस्य अब इस दुनिया में नहीं है, उनकी जगह तस्वीरों ने ले ली है। उसी के सहारे घरवालों ने दो दिन गुजारे। असमय, अकल्पनीय हुई मौत की वजह के लिए तो इल्जाम तक नहीं बचा। क्योकि नियति पर न तो किसी का पहले कभी जोर चल सका, न ही चल सकता है। नियति को जो मंजूर रहा वही हुआ, और वजह सिर्फ 'हादसा' बना। दुखीः परिवारों के हर घर में ख़ामोशी छाई हुई है। घर के आँगन में सांत्वना देने वालों का आना-जाना लगा है। घर की जिस परछी पर बैठकर लोग एक दूसरे को याद किया करते थे, अब उसी जगह दूसरे उनकी बातों को याद कर रहे है। इनमें से कुछ ऐसे लोग थे जिनके नाम, काम से दूर शहर तक गांव पहचाना जाता था। अब ये गांव हादसे की वजह से पहचाने जा रहे है। ऐसा लग रहा है, जैसे पूरे पन्ना शहर को नौ गांव की ख़ामोशी की चादर उड़ा दी हो।

7 जन्म साथ जीने-मरने की कसम !

7 जन्म साथ जीने-मरने की कसम !

ऐसे हादसों के सामने पूरी दुनिया बेबस सी लगती है। वो लोग जिन्होंने हादसे से कुछ देर पहले अपने घर वालों से सुखद यात्रा की बाते की, वही यात्रा इन लोगों को ग़मगीन कर गई। यहाँ के 24 यात्रियों में से नौ दंपत्ति साथ थी, बाकी लोग अकेले ही यह सोचकर यात्रा में गए थे कि अगली बार पत्नी को साथ लेकर जाएंगे। लेकिन शायद विधि का विधान पहले ही दर्ज हो चुका था। नियति देखिए कि नौ दंपत्तियों की सात जन्मों तक साथ जीने-मरने की कसम इस जन्म में दिखाई दी। अंतिम संस्कार के दिन उन नौ दंपत्तियों की चिताएं एक साथ जली। बाकी जो अकेले थे, नियति ने उन्हें उस कसम को पूरा होने नहीं दिया। यही वो क्षण होते है, जहाँ किसी का बस नहीं चलता।

मृतकों के परिजनों को सौपीं गई आर्थिक मदद

मृतकों के परिजनों को सौपीं गई आर्थिक मदद

हादसे के बाद केंद्र सरकार ने मृतकों के दुखी परिवार के लिए दो-दो लाख, उत्तराखंड सरकार ने एक-एक लाख और मप्र सरकार ने पांच-पांच लाख रुपए आर्थिक मदद देने की घोषणा की थी। शिवराज सरकार के द्वारा सभी पार्थिव देह को उनके गृह ग्राम तक भिजवाने की व्यवस्था भी की थी। अंत्येष्टि के दूसरे दिन सभी मृतकों के परिजनों को आर्थिक मदद के चेक सौपें गए।

कांग्रेसी नेता भी पहुंचे मृतकों के घर

कांग्रेसी नेता भी पहुंचे मृतकों के घर

मध्यप्रदेश कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव और पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता मुकेश यादव भी पीड़ित परिवारों से मुलाकात करने पहुंचे। मृतकों के घर पहुंचकर श्रध्दा सुमन अर्पित किए। उन्होंने कहा कि इस दुःख की घड़ी में पूरी कांग्रेस पार्टी उनके साथ है। आवश्यकता पड़ने पर जो मदद होगी हरसंभव प्रयास किए जाएंगे। इससे पहले अंतिम संस्कार के दिन खजुराहों संसदीय क्षेत्र के सांसद और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा समेत कई भाजपा नेता पहुंचे थे।

ये भी पढ़े-उत्तरकाशी हादसा: जब एक साथ उठी '24 अर्थियाँ', तो दर्द से भर गया 'पन्ना'

English summary
Uttarkashi Incident: The 'emerald' of living together for 7 births has stopped, now only a crowd of memories has gathered
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