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निकाय चुनाव: ‘एक अनार सौ बीमार’ नेताओं के दरबार में दावेदारों का जमघट, इतनी मेहनत में तो नौकरी मिल जाती !

नगरीय निकाय चुनाव की प्रक्रिया के तहत अब नाम निर्देशन पत्रों के दाखिले शुरू होने में अब ज्यादा दिन शेष नहीं रहे। ऐसे में वार्डों में पार्षद पद के दावेदारों की धड़कनें रोज घटती-बढ़ती रहती हैं। कुछ के मन में लड्डू फूटते हैं

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जबलपुर, 09 जून: मध्यप्रदेश में लोकल बॉडी इलेक्शन का पारा अब बढ़ने लगा है। बात नगर निगम चुनाव की करे, तो सुबह से लेकर शाम तक आला-नेताओं के दरबार दावेदारों की भीड़ से सजे है। हाथ में बायोडाटा की फ़ाइल के साथ एप्रोच की जा रही है कि कम से कम इस बार तो टिकट के लिए पार्टी उन पर मेहरबानी दिखा ही दे। जबलपुर ही नहीं भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, उज्जैन, रीवा, सागर जैसे बड़े शहरों में भी यही हाल हैं। ये बात अलग है कि महापौर की टिकिट की दौड़ में कांग्रेस आगे है। उसके पीछे-पीछे भाजपा की लिस्ट भी तैयार हो रही है। 'आप' और शिवसेना भी इस चुनावी रण में अपनी ताकत दिखाने पीछे नहीं।

नेताजी के घर-दफ्तर तक दावेदारों की लग रही दौड़

नेताजी के घर-दफ्तर तक दावेदारों की लग रही दौड़

नगरीय निकाय चुनाव की प्रक्रिया के तहत अब नाम निर्देशन पत्रों के दाखिले शुरू होने में अब ज्यादा दिन शेष नहीं रहे। ऐसे में वार्डों में पार्षद पद के दावेदारों की धड़कनें रोज घटती-बढ़ती रहती हैं। कुछ के मन में लड्डू फूटते हैं, खयाली पुलाव की महक से मन सराबोर होता रहता है लेकिन तभी अपने रकीब यानि दूसरे दावेदार का चेहरा जेहन में आते ही पूरे दस्तरखान पर रायता सा बगर जाता है। ऐसे में व्याकुल मन लेकर दावेदार जाए तो जाए कहां, केवल एक ही ठिकाना दिखाई देता है। मुल्ला की दौड़ मस्जिद तक की तर्ज पर, दावेदार की दौड़ नेता जी के घर वाला हिसाब बन जाता है। और वहां पहुंचकर नेताजी के दरवाजे पर लगी घ्ण्टी की आवाज, मंदिर की घण्टी की तरह सुनाई देने लगती है। नेता जी के लग्गू-भग्गू पुजारी से जान पड़ते हैं और दावेदार को श्वेत धवल वस्त्रों में नेता जी के दर्शन होने के साथ ही फिल्म लगान का वही गीत मनमंदिर में सुनाई देने लगता है। 'ओ पालनहारे, निर्गुण और न्यारे, तुम्हरे बिन हमरा कौनो नाहीं..'

नेताओं के यहां दिन-रात लग रहा दावेदारों का जमघट

नेताओं के यहां दिन-रात लग रहा दावेदारों का जमघट

पार्षद पद के दावेदारों के मन की बात तो हमने आपको बता दी अब जरा इनके नेताओं के हाल भी जान लीजिए। घर-दफ्तर पर दिन-रात भक्तों यानि दावेदारों का तांता लगा रहता है। एक भक्त जाता है तो तुरंत दूसरा चला आता है। सब बारी-बारी से इंतजार करते हैं, बात अकेले में जो करनी होती है। कुछ अकेले आते हैं तो जिनको पार्षद पति बनना है वो सपरिवार आते हैं। ऐसे में मेलजोल के चलते इन नेताओं का शेड्यूल बहुत टाइट चल रहा है आजकल। हालांकि पूछपरख का यह माहौल अभी नया-नया है तो नेताओं को इसमें आनंद भी आ रहा है। वही चिलचिलाती धूप में पसीना बहाकर पहुँच रहे कई दावेदार तो यह तक कहते नजर आ रहे है कि कॉलेज छोड़ते ही इतनी भाग-दौड़ पहले की होती, तो इतने वक्त में सरकारी नौकरी मिल जाती। दिन जैसे जैसे बीतते जाऐंगे नेता जी लोगों की झल्लाहट और टेंशन भी नजर आने लगेगा।

टिकट वितरण में तिरंगे वाले, दुरंगे वालों से आगे

टिकट वितरण में तिरंगे वाले, दुरंगे वालों से आगे

इस बार के नगरीय निकाय चुनावों में दशकों से चली आ रही रवायत उल्टी सी दिखाई पड़ रही है। आमतौर पर सबसे अंत में सुस्ताते-सुस्ताते टिकटों का वितरण करने वाली पार्टी, चुनाव के ऐलान के साथ ही एकदम आतुर दिखाई दे रही है। पहले तो इन्होंने प्रदेश के महानगरों के मेयर की टिकट में पैनल में सिंगल नाम देकर चौंका दिया वहीं अब जल्द से जल्द इनके उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी हो सकती है। हम यहां तिरंगा वाली पार्टी की बात कर रहे हैं। वहीं अपने दुरंगे वाले बकायदा प्रोटोकॉल का पालन करते हुए इस बार कम से कम टिकट वितरण में तो पीछे चल रहे हैं। हालांकि खरगोश और कछुए वाली कहानी तो सबको मालुम है ज्यादा आतुरता और तेजी में कहीं तिरंगे वाले खरगोश वाली हरकत न कर दें तो ही बेहतर होगा।

बस गर्मी कम हो जाए, फिर देखो...

बस गर्मी कम हो जाए, फिर देखो...

आमतौर पर गुलाबी सी ठण्ड में होने वाले ये चुनाव भरी गर्मी में हो रहे हैं। तो न तो इस बार चुनावी चौपालों में अलाव रहने वाला है और न ही गर्म चाय। गर्मी इतनी तेज पड़ रही है कि कई लोगों को तो चाय के नाम से ही पेट में तेजाब थपेड़े मारने लगता है। वहीं इन चुनावों में एक पार्टी ही ऐसी हो गई है कि उसे चाय और चायवाले के नाम से ही नफरत है। बहरहाल जो भी चाहे चुनाव के चलते जनता हो या फिर अन्नदाता किसान अब सब चाह रहे हैं कि बरखा रानी झूमकर बरस जाऐं तो बखर की तैयारी शुरू हो जाए। वैसे वोटों की फसल के लिए बखर चलाने के लिए दावेदार भी टिकट का इंतजार कर रहे हैं। वरना वो पहले खेत तैयार कर दें और बोहनी किसी और को करने मिल जाए तो सब गड़बड़ हो जाएगी।

ये भी पढ़े-Local Election: मेयर की चेयर के लिए सोशल मीडिया पर दावेदारों की बाढ़, कौन करेगा चुनाव का संचालन?

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English summary
Municipal elections Contenders vying for tickets rounds in the home office of leaders
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