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जबलपुर आयुष्मान योजना स्केम में 10 करोड़ से ज्यादा की चपत, एसआईटी जांच में खुलासा

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जबलपुर, 19 सितंबर: मध्यप्रदेश के बहुचर्चित आयुष्मान योजना स्केम की चल रही जांच में एक और बड़ा खुलासा हुआ है। जबलपुर के सेन्ट्रल इंडिया हॉस्पिटल की आड़ में होटल में संचालित अवैध अस्पताल का भंडाफोड़ हुआ था। जिसकी जांच कर रही एसआईटी को पता चला है कि अस्पताल संचालक ने कोरोनाकाल से अब तक करीब 4 हजार फर्जी मरीजों के नाम करीब 10 करोड़ रुपए का भुगतान लिया। वही जांच टीम के कई नोटिस के बाबजूद योजना से जुड़े अधिकारी हाजिर नहीं हो रहे है।

कोरोनाकाल के बाद भर्ती हुए 4 हजार फर्जी मरीज

कोरोनाकाल के बाद भर्ती हुए 4 हजार फर्जी मरीज

पिछले महीने जबलपुर में इस बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ था। जिसके बाद एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा द्वारा गठित एसआईटी द्वारा पूरे घोटाले की जांच की जा रही है। इस मामले में अब तक कई महत्वपूर्ण जानकारी जांच टीम को पता चली हैं। सूत्रों के मुताबिक अस्पताल का रिकॉर्ड और भोपाल मुख्यालय के रिकॉर्ड को खंगाला गया तो लगभग चार हजार फर्जी मरीजों का पता चला। जिन्हें अस्पतालनुमा होटल में भर्ती कर आयुष्मान योजना के तहत करोड़ों रुपए का भुगतान लिया जाता रहा।

10 करोड़ से ऊपर का भुगतान

10 करोड़ से ऊपर का भुगतान

जांच टीम को जो सबूत मिले है, उसके हिसाब से अस्पताल संचालक ने सरकार को 10 करोड़ से ज्यादा की चपत लगाई है। इस मामले में जब आरोपी संचालक डॉ. दुहिता पाठक और उनके पति डॉ. अश्वनी पाठक की गिरफ्तारी हुई थी, तो वे खुद को पाक साफ़ बता रहे थे। लेकिन अब एक के बाद एक अस्पताल के नाम गोरखधंधे की परते उधड़ती जा रही हैं। पाठक दंपति की गैंग में शामिल रहे अस्पताल के मैनेजर और अन्य सहयोगियों की भी अहम् भूमिका बताई जा रही है। हालाँकि पुलिस उन्हें भी गिरफ्तार कर चुकी है।

सामने नहीं आ रहा योजना का जिला समन्वयक

सामने नहीं आ रहा योजना का जिला समन्वयक

जबलपुर जिले में इस सरकार की इस महत्वकांक्षी योजना का जिला समन्वयक रामभुवन साहू है। नोडल अधिकारी धीरज धवंडे के कंधों पर भी योजना के तहत भर्ती होने वाले मरीजों की जांच का जिम्मा था। एसआईटी ने इन दोनों अधिकारियों को कई बार पूछताछ के लिए नोटिस भेजे, लेकिन दोनों ही जिम्मेदार अधिकारी पुलिस के सामने हाजिर नहीं हुए। इसकी जानकारी एसआईटी अब भोपाल मुख्यालय भेजने की तैयारी कर रही है।

लैब रिपोर्ट भी निकली फर्जी

लैब रिपोर्ट भी निकली फर्जी

अस्पताल के बगल में संचालित वेगा होटल में जब स्वास्थ्य विभाग ने पुलिस के साथ छापा मारा था, तो फर्जी मरीजों के साथ उनके इलाज की फ़ाइल बरामद हुई थी। ट्रीटमेंट चार्ट में कई तरह जांच का उल्लेख था। साथ ही लैब की रिपोर्ट भी लगी थी। जो फर्जी पाई गई। उन रिपोर्ट में कई ऐसी लैब का जिक्र मिला जो काफी वक्त से बंद है। इसके अलावा जो लैब वर्तमान में संचालित है उनके द्वारा लिखित में पुलिस को जबाब दिया गया कि संबंधित जांच उनके यहां नहीं हुई।

कई डाक्टरों की भी मिलीभगत

कई डाक्टरों की भी मिलीभगत

एसआईटी की अब तक की हुई जांच में यह बात भी सामने आई है कि फर्जी मरीजों के लिए डॉक्टर विजिट की अलग सूची थी। शहर के कई नामी डॉक्टर उसमें शामिल रहे, जो सिर्फ कागजों पर ट्रीटमेंट लिखकर साइन करते थे। अब जांच टीम की राडार पर ऐसे डाक्टरों का पता किया जा रहा है। कुछ तो इस फर्जीवाड़े के खुलासे के बाद से ही भूमिगत हो गए हैं। कुछ पाठक दंपति से किसी भी तरह के कोई संबंध ना होने दावा कर रहे है।

ये भी पढ़े-गायब हो गई जबलपुर आयुष्मान फर्जीवाड़ा केस की फाइलें ! जेल में रहते भी पाठक दंपति का कारनामा?

English summary
In Jabalpur Ayushman scheme scam, 4 thousand fake patients were detected costing crores
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